स्वतंत्र्य वीर सावरकर फ़िल्म पिछले कुछ समय से काफ़ी चर्चा में है. वीर सावरकर वैसे भी पॉलिटिकल मुद्दा बन चुके हैं, यही वजह है कि इस फ़िल्म को भी प्रॉपगैंडा फ़िल्म बताया जा रहा है और इसी वजह से रणदीप हुड्डा भी काफ़ी खबरों में हैं, क्योंकि इस फ़िल्म में उन्होंने न सिर्फ़ वीर सावरकर की भूमिका निभाई है, बल्कि इसी फ़िल्म से वो पहली बार निर्देशन की दुनिया में कदम रख रहे हैं और साथ ही वो फ़िल्म के सह निर्माता भी हैं.
रणदीप ने फ़िल्म को लेकर काफ़ी बेबाक़ी से बातें कीं और बताया कि क्यों इस फ़िल्म को बनाने का निर्णय लिया. रणदीप ने कहा कि उनके जानकारों ने उन्हें इस फ़िल्म को करने से मना किया था. सबका कहना था कि तुम बहुत अच्छे कलाकार हो बेवजह पॉलिटिकल पर्सन दिखोगे और कंट्रोवर्सी में फंस जाओगे इसलिए मत करो ये फ़िल्म.
एक्टर ने आगे कहा सबके मना करने कर मेरी जिज्ञासा और बढ़ गई और मैंने इस फ़िल्म को करने का मन बनाया. इस फ़िल्म को लेकर चैलेंज था कि मैं सावरकर जैसा नहीं दिखता हूं, मुझे वज़न कम करना था.
रणदीप ने बताया कि फ़िल्म बनने के दो साल पहले से उन्होंने वज़न कम करना शुरू किया था पर बीच में मुझे नी इंजरी हो गई थी तो बेड रेस्ट पर था, वज़न फिर बढ़ गया,उसके बाद फिर शुरू किया. कई घंटों तक भूखा रहता, तब जाकर इतना वज़न कम हो पाया, लेकिन लंबे समय तक अंडरवेट होने के कारण हेल्थ प्रॉब्लम्स भी काफ़ी हुईं.
फ़िल्म को प्रॉपगैंडा बताने पर एक्टर ने कहा कि ये एंटी प्रॉपगैंडा फ़िल्म है, जो ग़लत बातें वीर सावरकर के बारे में फैलाई जा रही हैं, उनको माफ़ी वीर बताया जा रहा है, तो ये फ़िल्म बताएगी कि उन्होंने देश के लिए कितना कुछ किया. अगर माफ़ी मांगी होती तो वो 27 सालों तक कालापानी की सज़ा न भुगते होते.
इसके साथ ही एक्टर ने साफ़ किया कि ये किसी पॉलिटिकल पार्टी की पोल खोलने या किसी को सपोर्ट करने के लिए नहीं है, उन्होंने कांग्रेस की गोभी खोदने के लिए फ़िल्म नहीं बनाई, बल्कि ये सशस्त्र क्रांति की फ़िल्म है. उनका घर तक बिक गया इस फ़िल्म को बनाने में.
पॉलिटिक्स जॉइन करने कर रणदीप ने कहा कि मैं एक समय में एक ही काम पर फ़ोकस कर सकता हूं और फ़िलहाल मैं अभिनय कर रहा हूं, अगर पॉलिटिक्स में आया तो फ़ोकस उसी पर रहेगा, फ़िलहाल कोई इरादा नहीं पर फ्यूचर का कह नहीं सकते.
फ़िल्म 22 मार्च को हिन्दी और मराठी भाषा में सिनेमाघरों में रिलीज़ होगी.