बच्चों की अपनी ख़ूबसूरत दुनिया और उन पर ही लिखते, पढ़ाते, कुछ समझाते, कुछ शिक्षा देते अपनी मंज़िल की ओर कदम-दर-कदम बढ़ती लेखिका-शिक्षिका रिफ़त मर्चेंट.
वकालत की पढ़ाई करते एक एडवोकेट बनने का ख़्वाब देखते कब रिफ़त जी बच्चों की दुनिया में खो गईं ख़ुद ही जान नहीं पाईं. जब अपना शौक व जुनून ही काम का ज़रिया बन जाए, तब ज़िंदगी और भी ख़ूबसूरत और अर्थपूर्ण बन जाती है. बच्चों से प्यार, मनोरंजन के साथ उन्हें कुछ सिखाना, पढ़ाना और उन पर लिखना… रिफ़त जी के लिए एक ऐसा खेल बनता चला गया, जिसमें वे और बच्चों की एक अलग ही दुनिया बनती चली गई.
वे एक बेहतरीन टीचर के साथ-साथ बच्चों पर लिखी अपनी किताब 'बीइंग मी' और 'विद लव, सेज' के कारण बच्चों की भावनाओं को समझने वाली सशक्त लेखिका भी बन गईं.
बच्चों पर मनोरंजक, काव्यात्मक, सहज अंदाज़ में चित्रकारी के साथ लिखी गई उनकी इन किताबों को लोगों का अच्छा प्रतिसाद मिला. यही उन्हें आगे और भी लिखने की प्रेरणा भी देता रहा. लेखक ओलिवर जेफ़र्स से प्रभावित रिफ़त जी की शिक्षाप्रद बच्चों की यह दोनों ही बुक ऑनलाइन अमेज़ॉन पर उपलब्ध है.
रिफ़त जी को लिखने के लिए बढ़ावा देते उनके मेंटर रहे मशहूर गीतकार आनंद बक्शी के सुपुत्र राकेश बक्शी. उन्होंने रिफ़त जी को लेखनी के लिए प्रोत्साहित व सहयोग दिया. फिर जो लिखने का सफ़र शुरू हुआ, तो चलता ही रहा. बीच में कई पड़ाव आए, किंतु उन्होंने लिखना बंद नहीं किया.
दुबई के किंडरगार्टन (बालवाड़ी) में बच्चों को फन, गीत-संगीत और मस्ती के साथ पढ़ाना उनका शग़ल बन गया. पैरेंट्स-टीचर्स को उनका यह अंदाज़ ख़ूब पसंद आया. एक प्यारी सी बच्ची की मां होने के साथ अपनों की सभी ज़िम्मेदारी को संभालने के साथ बच्चों के प्रति अपने कर्तव्य को भी बख़ूबी निभा रही हैं वे. उनके इस मुक़म्मल शिखर पर पहुंचने में उनके पिता रियाज़ मर्चेंट की भूमिका बेहद ख़ास रही है. वे रिफ़त जी के हमेशा से आदर्श और प्रेरणास्रोत रहे हैं. उनसे जुड़ी अनगिनत हौसलाअफ़जाई की बातों का ज़खीरा रहा है उनके पास.
बचपन का एक ऐसा ही वाकया, जब एक दुर्घटना में उनके हाथ ख़राब हो गए थे, जिसे लेकर स्कूल में काफ़ी चिढ़ाया जाता और वे परेशान हो जातीं.
परंतु पिता की सकारात्मक और हौसला बढ़ाती बातों ने उनका मनोबल हमेशा ऊंचा उठाए रखा. समझाते व प्रोत्साहित करते उन्हें एक अलग नज़रिया भी दिया कि ज़िंदगी में हालात चाहे जैसे भी हों अपने अनुकूल या प्रतिकूल, पर हमें हिम्मत नहीं हारनी चाहिए और हमेशा सकारात्मक सोच रखनी चाहिए. यही पाॅज़िटिवनेस हमें जीवन में बहुत कुछ आगे करने के लिए प्रेरित करती है. अपने पिता के उन शब्दों को अपने जीवन का आधार बना लिया था उन्होंने. और फिर जब कभी कदम डगमगाए, तो उनके वही शाबाशी वाले बोल उन्हें आगे बढ़ने में मदद करते रहे, बल्कि उनके जज़्बे को भी बुलंदियों तक ले जाते थे.
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मुंबई में रहते हुए स्कूल, कॉलेज और क़ानूनी पढ़ाई करने के बाद वैसे तो वे वकील बनना चाहती थीं, मगर शादी के बाद दुबई में रहते बहुत कुछ अलग करने का भी सोचती रहीं और उन्होंने किया भी. आज उनकी दोनों ही बुक बच्चों के बीच काफ़ी मशहूर है, जिसे वे बड़े प्यार से पढ़ते हैं.
किंडरगार्टन की यह सशक्त शिक्षिका कैसे अपनी सरलता और दिलचस्प तरीक़े से पढ़ाते हुए छोटे मासूम व निश्चल बच्चों को अपना बना लेती हैं ये देखने क़ाबिल है. अब बच्चों को भी उनके फन के साथ पढ़ना-सीखना बहुत ही अच्छा लगता है.
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खेलना, कहानी सुनना, चित्रकारी करना हमेशा से बच्चों का प्रिय शौक रहा है. इसे ही आधार बनाते हुए रिफ़त मर्चेंट भी बहुत कुछ क्रिएटिव और प्रोग्रेसिव करती आ रही हैं और उनकी इस कामयाबी में उनके अपने भी सहयोगी रहे हैं. लेखनी में उनके उल्लेखनीय कार्यों को कई प्रतिष्ठित संस्थानों द्वारा सम्मानित भी किया गया है.
- ऊषा गुप्ता