Close

आज़ाद भारत की आधी आबादी का सच(Women’s Place In Indian Society Today)

भारत को पुरुष प्रधान और महिलाओं के लिए असुरक्षित देश कहा जाता है और भारतीय महिलाओं को अबला-असहाय, लेकिन क्या वाकई ऐसा है? क्या हमारा देश आज भी महिलाओं के लिए नहीं बदला है? क्या भारतीय महिलाओं की स्थिति आज भी दयनीय है? आइए, अपने देश और देश की महिलाओं की सच्चाई को जानें.
  आज़ाद भारत की आधी आबादी का सच

बदल रही है पुरुषों की मानसिकता

  पुरुषों के लिए कही जानेवाली कहावत- हर पुरुष की कामयाबी के पीछे महिला का हाथ होता है, काफ़ी हद तक अब भारतीय महिलाओं पर भी लागू होने लगी है. हमारे देश में यदि महिलाओं को प्रताड़ित करने वाले पुरुषों की कमी नहीं है, तो ऐसे पुरुषों की तादाद भी दिनोंदिन बढ़ती जा रही है, जो महिलाओं की कामयाबी में अपना विशेष योगदान दे रहे हैं. आज ऐसी कई महिलाएं हैं, जिनकी सफलता में उनके पिता, पति, भाई, दोस्त आदि का विशेष योगदान रहा है. आइए, आपको मिलाते हैं कुछ ऐसी महिलाओं से, जिनकी कामयाबी में पुरुषों का विशेष योगदान रहा है. - बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन ने अपनी संपत्ति में बेटी श्‍वेता नंदा को भी उतना ही हक़ दिया है, जितना अपने बेटे अभिषेक बच्चन को. ऐसा करके उन्होंने बेटा-बेटी में भेद मिटाने का सार्थक प्रयास किया है. - बॉक्सर मैरी कॉम के करियर को आगे बढ़ाने में उनके पति का विशेष योगदान रहा है. मैरी कॉम जब नेशनल या इंटरनेशनल लेवल पर बॉक्सिंग करने जाती थीं, तो उनके पति बच्चों की देखभाल करते थे. - भारत के सबसे बड़े बैंक भारतीय स्टेट बैंक की सबसे युवा और पहली महिला अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक अरुंधति भट्टाचार्य और उनके पति प्रीतिमोय भट्टाचार्य को करियर में बिज़ी रहने के कारण जब बेटी सुक्रिता की परवरिश में दिक़्क़त होने लगी, तो प्रीतिमोय ने आईआईटी, खड़गपुर में प्रोफेसरशिप की अपनी नौकरी छोड़ दी. यही वजह है कि अरुंधति अपनी कामयाबी का श्रेय अपने परिवार, ख़ासकर पति और बेटी को देती हैं. ये भी पढें: विमेन सेफ्टीः ख़ुद करें अपनी सुरक्षा - हरियाणा की पहलवान गीता और बबिता फोगट को कुश्ती के लिए उनके पिताजी महावीर फोगट ने हौसला दिया और क़दम-क़दम पर अपनी बेटियों का साथ दिया. - एसिड अटैक पीड़िता लक्ष्मी पर यदि एक पुरुष ने एसिड फेंककर इतना अमानवीय काम किया, तो आलोक दीक्षित जैसे ज़हीन इंसान ने उसे अपना जीवनसाथी बनाया. - निर्भया के साथ यदि चार दरिंदों ने हैवानियत की हद पार कर दी, तो रेप के व़क्त उसके साथ मौजूद उसके दोस्त अवनींद्र पांडेय ने न स़िर्फ उसके ज़िंदा रहते, बल्कि उसकी दर्दनाक मौत के बाद भी उसका साथ दिया. अवनींद्र ने निर्भया केस के मुजरिमों को सज़ा दिलाने के लिए हर मुमकिन कोशिश की. - स्कीइंग करते हुए अंटार्टिका साउथ पोल पहुंचनेवाली पहली भारतीय महिला रीना धर्मशक्तू को ये उपलब्धि शादी के बाद मिली और उनकी कामयाबी में उनके पति लवराज का विशेष योगदान है. रीना के अंटार्टिका जाने के फैसले और तैयारी में उनके पति लवराज का काफ़ी सहयोग रहा है और जब रीना अंटार्टिका के मिशन से लौटी, तो लवराज दिल्ली एअरपोर्ट पर बैंड-बाजा के साथ उनके स्वागत में खड़े थे. - एक साल में दो बार एवरेस्ट पर चढ़ाई करनेवाली पहली भारतीय महिला संतोष यादव जब अपनी मां के गर्भ में थीं, तो उनकी दादी चाहती थीं कि उनके घर में बेटी का जन्म हो. हरियाणा के छोटे से गांव जौनियाबाद, रेवाड़ी की रहनेवाली संतोष यादव अपनी कामयाबी का क्रेडिट अपनी दादी और अपने पैरेंट्स को देती हैं.  

देश बदल रहा है 

आज़ाद भारत की आधी आबादी का सच यदि हम भारतीय महिलाओं के जीवन में आए सुधार की बात करें, तो इसमें भी हमारे देश में काफ़ी सुधार आया है. - राष्ट्रीय परिवार के स्वास्थ्य सर्वेक्षण के आंकड़ों के अनुसार, घरेलू हिंसा के मामले 37% से घटकर 29% हो गए हैं. - हाल ही में जारी किए गए राष्ट्रीय आंकड़ों से पता चलता है कि पिछले एक दशक में बाल विवाह में 20% की कमी आई है. - घरेलू निर्णय लेने के मामलों में महिलाओं की भागीदीरी में वृद्धि हुई है.  

महिलाओं के हक़ में हुए फैसले 

  महिलाओं की स्थिति में सुधार लाने के लिए सरकार द्वारा कई महत्वपूर्ण फैसले लिए गए हैं, जैसे- - पिता की संपत्ति में समान अधिकारश्र सरनेम बनाए रखने की आज़ादी - अभिभावक बनने का अधिकार - पति की प्रॉपर्टी में समान अधिकार - घरेलू हिंसा से सुरक्षा  श्र मातृत्व अवकाश में वृद्धि - कार्यस्थल पर यौन-उत्पीड़न से मुक्ति  

अभी दिल्ली दूर है

  हमारे देश में महिलाओं की स्थिति में काफ़ी सुधार तो आया है, लेकिन अभी भी कई मोर्चों पर उनका संघर्ष जारी है. - सर्वेक्षण के अनुसार भारत में, प्रति 1,000 लड़कों पर 919 लड़कियां हैं. - विश्‍व बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक़ देश में 27% महिलाएं ही कामकाजी हैं. इसमें भी ताज्जुब की बात ये है कि शहरी महिलाओं की तुलना में ग्रामीण महिलाएं अधिक कामकाजी हैं. - पढ़ी-लिखी महिलाओं में से 50% महिलाएं आज भी चौके-चूल्हे तक ही सीमित हैं. - यूनिसेफ की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 15 साल से 19 साल की उम्र वाली 34% विवाहित महिलाएं अपने पति या साथी के हाथों शारीरिक या यौन हिंसा झेलती हैं. - भारत में हर एक घंटे में लगभग 22 बलात्कार के मामले दर्ज होते हैं. ये वे आंकड़े हैं, जो पुलिस द्वारा दर्ज किए जाते हैं. अधिकांश मामले में तो पुलिस रिपोर्ट दर्ज ही नहीं करती और लोकलाज के कारण भी पीड़िता के परिवारवाले ऐसी घटनाओं को दबा देते हैं.  

महिलाओं के प्रति आम नज़रिया

  महिलाएं भले ही आज हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं, लेकिन उनको लेकर आम नज़रिया अभी भी नहीं बदला है. - आज भी अधिकतर माता-पिता को बेटी की पढ़ाई की बजाय अच्छे घर में उसकी शादी हो जाए, इस बात की चिंता ज़्यादा रहती है. - बेटी की पढ़ाई से ज़्यादा उसकी शादी पर ख़र्च किया जाता है. - बेटियों की पढ़ाई को आज भी बेटे जितना ज़रूरी नहीं समझा जाता. - जारी है दहेज प्रथा का सिलसिला. - विधवाओं और मां न बन पानेवाली महिलाओं को अभी भी अपशगुन माना जाता है. - बाल विवाह अभी भी हो रहे हैं. - लड़की की सुंदरता उसकी काबिलीयत से ज़्यादा ज़रूरी समझी जाती है. - घरेलू हिंसा आज भी पढ़ी-लिखी महिलाएं तक झेल रही हैं. ये भी पढें: महिलाओं के हक़ में हुए फैसले और योजनाएं 

- कमला बडोनी

Share this article

https://www.perkemi.org/ Slot Gacor Slot Gacor Slot Gacor Slot Gacor Situs Slot Resmi https://htp.ac.id/ Slot Gacor Slot Gacor Slot Gacor Slot Gacor Slot Gacor Slot Gacor Slot Gacor https://pertanian.hsu.go.id/vendor/ https://onlineradio.jatengprov.go.id/media/ slot 777 Gacor https://www.opdagverden.dk/ https://perpustakaan.unhasa.ac.id/info/ https://perpustakaan.unhasa.ac.id/vendor/ https://www.unhasa.ac.id/demoslt/ https://mariposa.tw/ https://archvizone.com/