बदलते वक्त के साथ रिश्तों की ज़रूरतें, गहराई, नैतिक मूल्य और नज़रिए में भी बदलाव आ रहा है. एक वक्त था जब पुरुष को कमाने वाला और स्त्री को घर संभालने वाला माना जाता था, लेकिन अब स्त्री और पुरुष दोनों ही कमा रहे हैं और दोनों ही घर भी संभाल रहे हैं, इसलिए विवाह की बहुत सारी रस्मों और हमारे रिवाज़ों में भी समय के साथ बदलाव आ रहे हैं. मंडप के नीचे भी सात फेरों से पहले पंडित जी सात वचनों का जो आदान-प्रदान करवाते हैं, उसमें मजाक में ही सही कभी-कभी कुछ नई बातें जोड़ देते हैं, जिन्हें सुनकर परिजनों को हंसी आ जाती है, लेकिन समय की मांग है कि अब गंभीरतापूर्वक इस बात पर विचार किया जाए और वर-वधू पारंपरिक सप्तपदी के साथ-साथ नए जमाने में ज़रूरी सात नए वचन भी लें.
1. वादा स्पेस देने का
40 वर्षों तक 3000 से ज़्यादा विवाहित कपल्स पर रिसर्च करने वाले एवं सेवेन प्रिंसिपल्स ऑफ़ मेकिंग मैरिज वर्क के लेखक अमेरिकी साइकोलॉजिस्ट डॉक्टर जॉन गोटमैन ने अपने रिसर्च में पाया कि कपल्स के 69 फ़ीसदी झगड़े कभी नहीं सुलझते. उनमें से एक स्पेस की प्रॉब्लम है. माना कि शादी के बाद दूल्हा और दुल्हन का एक-दूसरे के वक्त पर पूरा अधिकार है और दोनों को एक-दूसरे की ज़रूरतों का पूरा ध्यान रखना चाहिए, लेकिन पति और पत्नी दोनों को ही यह नहीं भूलना चाहिए कि विवाह के बंधन में बंधने और ताउम्र साथ निभाने के वादे के बावजूद दोनों का अलग-अलग अस्तित्व भी है. अपने शौक और अपनी मित्र मंडली भी है. मानसिक सुकून के लिए हॉबीज़ और फ्रेंड्स भी ज़रूरी हैं. इस बात को समझते हुए एक-दूसरे से वादा करना चाहिए कि वे परस्पर पर्सनल स्पेस की ज़रूरत को समझेंगे और सम्मानपूर्वक मी टाइम ज़रूर देंगे.
2. वादा सपने साकार करने का
रिलेशनशिप ब्लॉगर एना मार्टिन योंक, जो बोल्ड वुमन नामक पुस्तक की लेखिका भी हैं, का मानना है कि पति या पत्नी दोनों के कुछ सपने होते हैं. दोनों के कुछ लक्ष्य भी होते हैं और कैरियर में ऊंचाइयां हासिल करने की हसरतें भी. कई बार पढ़ाई पूरी होने से पहले ही शादी हो जाती है. कई बार पति या पत्नी को जॉब में प्रमोशन के चांस के कारण दूर भी रहना पड़ता है. इन सब बातों को न समझने या किसी एक की ज़िद अथवा अहंकार से एक-दूसरे का अहित हो सकता है, मन टूट सकता है या सपना अधूरा रह सकता है, इसलिए मंडप के नीचे यह वादा करना ज़रूरी है कि एक-दूसरे के कैरियर, लक्ष्य व सपनों में अड़चन नहीं बनेंगे, बल्कि पूरा सहयोग देंगे ऊंचाइयों को हासिल करने में.
3. वादा बात सुनने का
किसी भी रिश्ते में परस्पर संवाद बेहद ज़रूरी होता है. संवाद में अपनी बात बोलने से ज़्यादा महत्व पार्टनर की बात को सुनने और समझने का है. दो तरफा संवाद के कई फायदे हैं. पहला यह कि दोनों में परस्पर एक-दूसरे के व्यक्तित्व के प्रति समझ बढ़ती है. दूसरा यह कि आपस में कोई कंफ्यूजन रहने की संभावना नहीं रहती और तीसरा व सबसे महत्वपूर्ण यह कि जब आप पार्टनर की बातों को तवज्जो देते हैं और उसकी बातें गौर से सुनते हैं, तो वह सम्मानित महसूस करता है. नतीजतन आपस में प्यार भी बढ़ता है, इसलिए वादा करें कि दोनों एक-दूसरे की बातें सुनेंगे.
4. वादा अपने विचार न थोपने का
क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट लेस्ली रॉल्फ ने माइंड बॉडी ग्रीन में अपने लेख में राय ज़ाहिर की है कि सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक मुद्दों पर ही नहीं पारिवारिक और व्यक्तिगत मसलों पर भी पति-पत्नी दोनों के विचार अलग-अलग हो सकते हैं. दो परिवारों की सोच, रहने के तौरतरीके, रीति-रिवाज़ आदि अलग हो सकते हैं. ऐसे में दो भिन्न पृष्ठभूमि के पार्टनर जब विवाह के बाद एक छत के नीचे रहने लगते हैं तो उनमें मतभिन्नता हो सकती है. इस मतभिन्नता का दोनों को सम्मान करना चाहिए. सहज भाव से जहां तक एडजस्टमेंट संभव है, कर लें. असहज महसूस करें तो कभी भी दूसरे पक्ष को अपनी बात, विचार या रीति-रिवाज़ मानने के लिए बाध्य ना करें. यह वादा आपको विवाह के समय अवश्य करना चाहिए.
5. वादा विश्वास न तोड़ने का
कोलकाता के फोर्टिस अस्पताल में वरिष्ठ मनोचिकित्सक डॉ. संजय गर्ग कहते हैं, विवाह एक पवित्र रिश्ता है और इसकी डोर पूरी तरह परस्पर विश्वास से बंधी है. इस रिश्ते को ईमानदारी, सही और लंबे समय तक निभाने के लिए पति और पत्नी दोनों को इस बात का वादा करना चाहिए कि वे एक-दूसरे के साथ किसी प्रकार की बेवफाई, विवाहेतर संबंध या विश्वासघात नहीं करेंगे. विश्वास बहुत नाजुक चीज है जो एक बार टूट जाए तो दोबारा स्थापित होना बेहद मुश्किल है. इस बात का दोनों पक्षों को ध्यान रखना चाहिए.
6. वादा समस्याओं को मिलकर सुलझाने का
समाजशास्त्री प्रीति सुराणा कहती हैं कि ज़िंदगी समस्याओं का पुलिंदा है. विवाह के बाद भी आपके सामने तरह-तरह की आर्थिक, सामाजिक व शारीरिक समस्याएं आ सकती हैं. पति या पत्नी दोनों में से कोई भी किसी प्रकार की मुश्किल में हो, तो दूसरे को उस वक्त उसकी कमियां गिनाने या दूसरों के सामने बुराई करने की बजाय उसका हर तरह से साथ देकर, उसका मनोबल बढ़ाकर मुसीबत से उबारने में मदद करनी चाहिए. यह वादा आपको मंडप के नीचे अवश्य करना चाहिए.
7. वादा एक दूसरे के रिश्तेदारों के सम्मान का
रिलेशनशिप काउंसलर रेखा श्रीवास्तव कहती हैं कि पति और पत्नी विवाह के बाद शुरुआती दिनों में एक अलग दुनिया में होते हैं- प्यार, मोहब्बत और रोमांस की दुनिया में. ऐसे में उन्हें एकांत अच्छा लगता है. एक-दूसरे का साथ अच्छा लगता है, लेकिन इन सबके बीच दोनों को यह नहीं भूलना चाहिए कि दोनों के परिवार भी एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं और पति-पत्नी दोनों का फर्ज़ है कि एक-दूसरे के परिवार को भी सम्मान और अपनापन दें. कई बार पत्नी अपने ससुर, देवर, ननद आदि के साथ परायों जैसा व्यवहार करने लगती है और पति अपने सास-ससुर या साले साली की उपेक्षा करता है. ऐसे में पति-पत्नी के रिश्ते में कड़वाहट आ सकती है, इसलिए कभी ऐसी ग़लती ना करें. दोनों वादा करें कि एक-दूसरे के परिवार को सम्मान और अपनापन देंगे.