नवरात्रि में उपवास के धार्मिक महत्व से तो सभी वाक़िफ़ हैं और लोग मन लगाकर माता रानी को प्रसन्न करने के लिए पूरे 9 दिनों का उपवास भी करते हैं. माना जाता है इस दौरान माता रानी अपने भक्तों पर ख़ास कृपा बरसाती हैं और उनकी मनोकामना पूरी करती हैं.
ये तो था आस्था का पहलू लेकिन आप जानते इसका वैज्ञानिक पहलू भी जानते हैं? वो यह है कि उस दौरान मौसम बदलता है और इस ऋतु परिवर्तन की वजह से हल्का-पाचक भोजन करने पर ज़ोर दिया जाता है, ताकि पाचन क्रिया ठीक रहे और शरीर ऊर्जावान बना रहे. यही वजह है कि वर्ष में दो बार मौसम परिवर्तन के दौरान ही नवरात्रि आती है. इस दौरान शरीर की पाचन क्रिया को थोड़ा रेस्ट करने का टाइम मिलता है, जिससे शरीर के टॉक्सिंस बाहर निकल जाते हैं और हम ऊर्जावान महसूस करते हैं.
नवरात्रि के दौरान न सिर्फ़ मांस-मछली बल्कि लहसुन-प्याज़ जैसे तामसिक भोजन का सेवन भी लोग बंद कर देते हैं जिससे इम्यूनिटी बेहतर होती है. क्योंकि मौसम में बदलाव के कारण पाचन तंत्र कमज़ोर हो जाता है और ऐसे में हल्का भोजन ही हितकर होता है. क्योंकि लोग बिना धार्मिक वजहों के नियमों का पालन करने में कोताही करते हैं इसलिए इसको धर्म, अनुष्ठान व पूजा-पाठ से जोड़ दिया जाता है.
इसके अलावा इस दौरना हवन, यज्ञ, साफ़-सफ़ाई व पूजा-पाठ भी किया जाता है और पूजा व हवन की प्रक्रिया में जो सामग्री इस्तेमाल की जाती है वो वातावरण को शुद्ध करती हैं, आसपास मौजूद बैक्टीरिया-वायरस… कीटाणुओं का नाश कर देती है, हवा की अशुद्धियों को ख़त्म करती है जिससे स्वास्थ्य लाभ होता है और हम बेहतर महसूस करते हैं. आपका मानसिक स्वास्थ्य भी इस दौरान बेहतर होता है, क्योंकि आप ख़ुशी-ख़ुशी व्रत से जुड़े नियमोंका पालन करते हैं.
तो अब आप समझ गए होंगे कि सिर्फ़ धार्मिक ही नहीं माता रानी हमारा शारीरिक क मानसिक स्वास्थ्य का भी इस दौरान ख़्याल रखती हैं.