चूड़ियां पहनने के 5 धार्मिक और वैज्ञानिक लाभ (Why Do Indian Women Wear Bangles-Science Behind Indian Ornaments)
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चूड़ियां पहनने के 5 धार्मिक और वैज्ञानिक लाभ (Bangles-Science Behind Indian Ornaments) हर महिला को मालूम होने चाहिए. चूड़ियां पहनने के 5 धार्मिक और वैज्ञानिक लाभ हमें बताते हैं कि चूड़ियां पहनना सिर्फ़ महिलाओं का शौक़ नहीं है, चूड़ियां पहनने के कई धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व भी हैं. आइए, जानते हैं चूड़ियां पहनने के 5 धार्मिक और वैज्ञानिक लाभ के बारे में.
1) धार्मिक मान्यता के अनुसार, महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए चूड़ियां पहनती हैं इसीलिए चूड़ियां सुहाग का प्रतीक मानी जाती हैं.
2) सोलह शृंगार में चूड़ियों का ख़ास महत्व है इसलिए शृंगार के समय चूड़ियों को ख़ास महत्व दिया जाता है. खनकती चूड़ियां महिलाओं की ख़ूबसूरती को और बढ़ा देती हैं.
3) आयुर्वेद के अनुसार, सोने और चांदी की भस्म शरीर के लिए बलवर्धक होती है इसीलिए सोने और चांदी की चूड़ियां पहनने से इन धातुओं के तत्व महिलाओं को बल प्रदान करते हैं, जिससे महिलाएं लंबी उम्र तक स्वस्थ रहती हैं.
4) विज्ञान कहता है कि कांच की चूड़ियों की खनक से वातावरण में मौजूद नकारात्मक ऊर्जा नष्ट होती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है.
5) लाल और हरे रंग की चूड़ियां सुहाग का प्रतीक मानी जाती हैं. लाल रंग प्रेम का माना जाता है और यह महिलाओं को अदि शक्ति से जोड़ता है. इसी तरह हरा रंग प्रकृति का रंग माना जाता है. जिस तरह प्रकृति हमारे जीवन में ख़ुशहाली लाती है, उसी तरह हरा रंग वैवाहिक जीवन में ख़ुशहाली लाता है.
सुहागन स्त्रियां मंगलसूत्र ज़रूर पहनती हैं. मंगलसूत्र को सुहाग का प्रतीक माना जाता है इसलिए वर विवाह के समय वधु को मंगलसूत्र पहनाता है और उसके बाद विवाहित स्त्री हमेशा मंगलसूत्र पहनती है.
मंगलसूत्र पहनने की धार्मिक मान्यता
मंगलसूत्र को सुहाग का प्रतीक माना गया है इसलिए सभी सुहागन महिलाएं मंगलसूत्र पहनती हैं.
मंगलसूत्र पहनने का वैज्ञानिक महत्व
मंगलसूत्र सोने से निर्मित होता है. सोना शरीर में बल व ओज बढ़ानेवाली धातु है, इसलिए ये शारीरिक ऊर्जा का क्षय होने से रोकती है.