आपने बाथरूम में आने वाले ब्रेन स्ट्रोक के बारे में सुना या पढ़ा तो होगा ही. यह एक ऐसी स्वास्थ्य समस्या है, जिसका ख़तरा सर्दियों के मौसम में ज़्यादा बढ़ जाता है और ठंड के मौसम में स्ट्रोक के मामलों में बढ़ोतरी भी देखने को मिलती है.
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स्ट्रोक एक ऐसी मेडिकल इमरजेंसी है, जो किसी व्यक्ति के साथ तब होती है, जब उसके मस्तिष्क में रक्त का प्रवाह बाधित हो जाता है और मस्तिष्क की कोशिकाओं को क्षति पहुंचती है. हालांकि स्ट्रोक कहीं भी हो सकता है, लेकिन ऐसे कई कारक हैं, जो ठंड के मौसम में बाथरूम में स्ट्रोक के जोख़िम को काफ़ी हद तक बढ़ा देते हैं. आइए इस लेख में विस्तार से जानते हैं कि बाथरूम में स्ट्रोक की संभावना क्यों ज़्यादा होती है.
दरअसल, सर्दियों के मौसम में जब कोई ठंडे पानी से स्नान करता है और स्नान के दौरान वो सीधे अपने सिर पर ठंडा पानी डालता है, तो ऐसी स्थिति में दिमाग़ में तापमान को कंट्रोल करने वाला एड्रेनलिन हार्मोन तेज़ी से रिलीज़ होता है, जिसकी वजह से ब्लड प्रेशर अचानक से बढ़ जाता है और व्यक्ति स्ट्रोक का शिकार हो जाता है.
किन लोगों को होता है ज़्यादा ख़तरा?
नहाते समय ब्रेन स्ट्रोक की दिक़्क़त वैसे तो किसी को भी हो सकती है, लेकिन ब्रेन स्ट्रोक होने का ख़तरा अन्य लोगों की तुलना में बुज़ुर्गों को ज़्यादा होता है. ऐसा इसलिए, क्योंकि उम्र बढ़ने के साथ-साथ दिमाग़ की कोशिकाएं भी कमज़ोर होने लगती हैं, जिसकी वजह से ब्लड प्रेशर हाई होने पर धमनियों में ब्लड क्लॉटिंग हो जाती है और कई बार इससे ब्रेन हेमरेज की स्थिति भी बन जाती है. इसके अलावा दिल की बीमारी, मोटापा, डायबिटीज़ और हाई बीपी जैसी बीमारियों से ग्रसित लोगों को भी स्ट्रोक का ख़तरा सामान्य लोगों की तुलना में अधिक होता है.
जोख़िम में योगदान देनेवाले कारक
बाथरूम में स्ट्रोक के ख़तरे को बढ़ाने के कई कारक हो सकते हैं, जिनमें अवरुद्ध धमनियां (इस्केमिक स्ट्रोक), रक्त वाहिकाओं का टूटना (रक्तस्रावी स्ट्रोक) और मस्तिष्क में अस्थायी रक्त प्रवाह में रुकावट (क्षणिक इस्कीमिक हमला या टीआईए) शामिल हैं. यहां कुछ कारक दिए गए हैं, जो बाथरूम में स्ट्रोक के ख़तरे को बढ़ा सकते हैं.
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ब्लड प्रेशर में उतार-चढ़ावः ब्लड प्रेशर में तेज़ी से उतार-चढ़ाव होना, बाथरूम में स्ट्रोक के प्रमुख जोख़िम कारकों में से एक है. विशेषज्ञों की मानें तो नहाते समय या शॉवर के दौरान अचानक गर्म पानी के संपर्क में आने से रक्त वाहिकाएं फैल सकती हैं. इस फैलाव से ब्लड प्रेशर में अचानक गिरावट आ सकती है, जो बेहोशी या स्ट्रोक का कारण बन सकती है. इसके विपरीत, कुछ व्यक्तियों में गर्म पानी की वजह से ब्लड प्रेशर बढ़ सकता है, जिससे हृदय और रक्त वाहिकाओं पर अतिरिक्त दबाव पड़ सकता है. ख़ासकर हाई बीपी या हृदय संबंधी समस्याओं से पीड़ित लोगों के लिए ब्लड प्रेशर का यह उतार-चढ़ाव ख़तरनाक साबित हो सकता है.
मल त्याग के दौरान तनावः बाथरूम में स्ट्रोक के जोखिम में तनाव भी एक रिस्क फैक्टर है. ख़ासकर, कब्ज़ से पीड़ित लोगों को जब मल त्यागने में कठिनाई का अनुभव होता है, तो वे अक्सर तनावग्रस्त हो जाते हैं. यह समस्या ब्लड प्रेशर को नाटकीय रूप से बढ़ा सकती है. यह स्पाइक रक्तस्रावी स्ट्रोक का कारण बन सकता है, इस दौरान मस्तिष्क में रक्त वाहिकाएं फट सकती हैं या इस्केमिक स्ट्रोक हो सकता है. तनाव को दिल के दौरे से भी जोड़ा गया है, जिससे यह एक महत्वपूर्ण स्वास्थ्य चिंता बन गई है.
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डिहाइड्रेशन और रक्त का गाढ़ा होनाः डिहाइड्रेशन एक आम समस्या है, जो स्ट्रोक के ख़तरे को बढ़ा सकती है, ख़ासकर बाथरूम के वातावरण में स्वास्थ्य विशेषज्ञों की मानें तो लोग गर्म पानी से स्नान के दौरान अधिक तेज़ी से डिहाइड्रेट हो जाते हैं और यह रक्त को गाढ़ा कर देता है, जिससे थक्का बनने की संभावना बढ़ जाती है. इसके अलावा बुज़ुर्ग, जो डिहाइड्रेशन के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं, वो अक्सर पर्याप्त तरल पदार्थ का सेवन नहीं करते हैं, जिससे यह समस्या बढ़ जाती है.
गिरना और सिर में चोट लगनाः बाथरूम की फ़र्श अक्सर गीली और फिसलन वाली होती है, जिससे नहाने के दौरान गिरने का ख़तरा भी होता है. शॉवर लेते समय बाथरूम के गीले फर्श पर फिसलने से सिर में चोट लग सकती है, जिससे स्ट्रोक हो सकता है या मस्तिष्क की चोट के कारण स्ट्रोक जैसे लक्षण हो सकते हैं. ख़ासकर, बाथरूम में गिरना उन लोगों के लिए ज़्यादा ख़तरनाक हो सकता है, जो पहले से ही स्ट्रोक या अन्य न्यूरोलॉजिकल स्थितियों से ग्रस्त हैं.
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बाथरूम में स्ट्रोक से बचने के उपाय
थोड़ी सी सावधानी बरतते हुए और इससे बचने के उपायों की मदद से स्ट्रोक के जोख़िम को काफ़ी हद तक कम किया जा सकता है.
ब्लड प्रेशर को मॉनिटर करेंः ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करना और नियमित रूप से इसकी जांच करना, स्ट्रोक से बचने के लिए सबसे ज़रूरी है. जिन लोगों के ब्लड प्रेशर में उतार-चढ़ाव की संभावना होती है, उन्हें गर्म पानी से बचना चाहिए. इसकी बजाय गुनगुने पानी से स्नान करना चाहिए.
बॉडी को हाइड्रेटेड रखेंः रक्त प्रवाह को सुचारू बनाए रखने और रक्त को गाढ़ा होने से बचाने के लिए हाइड्रेटेड रहना बेहद ज़रूरी है, इसलिए बाथरूम जाने से पहले और बाद में पानी पीना चाहिए. ख़ासकर, अगर आप स्नान करने या शौचालय का उपयोग करने जा रहे हैं, तो आपकी बॉडी का हाइड्रेट रहना आवश्यक है.
कब्ज़ को हल्के में न लेंः अगर आप कब्ज़ से पीड़ित हैं, तो इसे हल्के में लेने की ग़लती न करें. मल त्याग के दौरान होनेवाले तनाव को रोकने के लिए फाइबर से भरपूर स्वस्थ आहार लेना और हाइड्रेटेड रहना महत्वपूर्ण है.
ज़्यादा गर्म पानी से बचेंः नहाने के दौरान ज़्यादा गर्म पानी का इस्तेमाल करने की बजाय गुनगुने पानी का उपयोग करें. दरअसल, गर्म पानी ब्लड प्रेशर में अचानक बदलाव का कारण बन सकता है, इसलिए पानी को मध्यम तापमान पर रखें, ताकि आपके ब्लड प्रेशर में अचानक से होनेवाले बदलाव को रोका जा सके.
डॉक्टर से परामर्श लेंः अगर आप हृदय संबंधी या तंत्रिका संबंधी स्वास्थ्य स्थितियों से पीड़ित हैं, तो आपको समय-समय पर अपने डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए. आपका डॉक्टर आपके मेडिकल इतिहास के आधार पर आपको सेहत संबंधी सुझाव दे सकता है.
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