कौन-सी बीमारी में क्या न खाएं? (What Not To Eat When Sick With These Health Problems?)
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माइग्रेन से लेकर कब्ज़ तक, तरह-तरह की बीमारियों (Diseases) में खान-पान की अहम् भूमिका होती है. हम आपको बता रहे हैं कि किस बीमारी में किन चीज़ों से परहेज़ करना चाहिए और किनका सेवन करना चाहिए?
क्या दूध पीने से कफ बढ़ता है? या माइग्रेन होने पर प्रोसेस्ड मीट खाने से परहेज़ करना चाहिए? जानिए ऐसे ही कुछ सवालों के जवाब.
कब्ज़ होने परपरहेज़ करेंः चॉकलेट खाने से बचें. सबसे पहली बात चॉकलेट में शक्कर की मात्रा अधिक होती है, जिसे पचाने के लिए हमारे पाचन तंत्र को ज़्यादा मेहनत करनी पड़ती है. इसके अलावा चॉकलेट में कैफीन भी होता है, जिसके कारण डिहाइड्रेशन की समस्या हो सकती है और कब्ज़ की परेशानी बढ़ सकती है.
खाएंः आलूबुखारा कब्ज़ से आराम दिलाने में काफ़ी असरदार होता है. इसके अलावा कब्ज़ होने पर तरल पदार्थों का सेवन ज़्यादा से ज़्यादा करना चाहिए. बीन्स, दाल और साबूत अनाज में भरपूर मात्रा में फाइबर पाए जाते हैं, जो पाचन क्रिया को दुरुस्त करने में मदद करते हैं.
पेट की गड़बड़ी होने पर
परहेज़ करेंः संतरा और दूसरे सिट्रस फलों में विटामिन सी तो भरपूर मात्रा में पाया जाता है, लेकिन ये एसिडिक भी होते हैं, जो स्मटक लाइनिंग को और बिगाड़ सकते हैं. इसी तरह टमाटर और अन्य खट्टे खाद्य पदार्थ (नींबू का छोड़कर) भी पेट पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं.
खाएंः कम तेल-मसाले वाली चीज़ें, जैसे- चावल, बेक्ड चिकन और टोस्ट इत्यादि का सेवन करें.
माइग्रेन होने परपरहेज़ करेंः इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति को प्रोसेस्ड मीट, कॉफी, कोला, चॉकलेट इत्यादि का सेवन करने से बचना चाहिए. अध्ययनों से सिद्ध हुआ है कि प्रोसेस्ड फूड में नाइट्रेट मिलाया जाता है, जो माइग्रेन की समस्या को बढ़ा सकता है. इसी तरह कॉफी, चाय, कोला इत्यादि में भी कैफीन पाया जाता है, जो माइग्रेन के लिए
घातक है.
खाएंः मैग्नीशियम युक्त खाद्य पदार्थ, जैसे-बादाम व कद्दू के बीज रक्त धमनियों को रिलैक्स करते हैं, जिससे दर्द में आराम मिलता है. शरीर में पानी की कमी से कभी-कभी सिरदर्द होता है. तरबूज और खीरा जैसे पानी वाले फल का सेवन ज़्यादा से ज़्यादा करें और साथ ही ख़ूब पानी पीएं.
कफ की समस्या होने परपरहेज़ करेेंः दूध के सेवन से बचें. हालांकि दूध पीने से कफ नहीं बढ़ता, लेकिन अध्ययनों से सिद्ध हुआ है कि दूध कफ को गाढ़ा कर देता है.
खाएंः पानी पीने से कफ ढ़ीला होता है और आसानी से बाहर भी निकल जाता है. विटामिन सी में एंटी इंफ्लेमेट्री गुण पाए जाते हैं. अतः सिट्रस फ्रूट्स, बेरीज़ और हरी पत्तेदार सब्ज़ियां खाएं.
डायरिया होने परपरहेज़ करेंः प्याज़, बीन्स, पत्तागोभी और ब्रोकोली गैस व पेट फूलने की समस्या को बढ़ा देती हैं, जिसके कारण डायरिया की समस्या और बढ़ जाती है.
खाएंः पेट ख़राब होने पर हल्की व कम मसालेदार चीज़ें, जैसे- उबले हुए आलू, केला, ओटमील, ब्रेड, टोस्ट इत्यादि खाएं और शरीर में पानी की कमी को दूर करने के लिए लिक्विड लेते रहें.
सर्दी होने परपरहेज़ करेंः सर्दी होने पर अक्सर थकान-सी महसूस होती है. ऐसे में मीठे ड्रिंक्स पीने का मन कर सकता है, लेकिन ऐसा करने से बचना चाहिए, क्योंकि शक्कर हमारे शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता को कम कर देती है, जिससे व्हाइट ब्लड सेल्स को वायरस से लड़ने में कठिनाई होती है.
खाएंः शरीर में पानी की कमी न हो इसलिए गर्म ड्रिंक्स और पानी पीते रहें. इससे शरीर से विषाक्त पदार्थ निकल जाएंगे. फल व सब्ज़ियों का सेवन करते रहें, क्योंकि इनमें मौजूद पौष्टिक पदार्थ आपके शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाएंगे.
गला ख़राब होने परपरहेज़ करेंः संतरे का जूस, नींबू का रस, अंगूर का जूस इत्यादि एसिडिक होते हैं, जो गले को और ख़राब कर सकते हैं. इसके अलावा ऐसी स्थिति में कच्चे फल, चिप्स इत्यादि खाने से भी समस्या होती है. अतः जब तक गला ठीक न हो जाए, ऐसी चीज़ें न खाएं.
खाएंः गला ख़राब होने पर पेपरमिंट टी और शहद का सेवन करने से काफ़ी फ़ायदा होता है. इसके अलावा सॉफ्ट क्रीमी फूड्स, जैसे- सूप, मसले हुए आलू खाने से गले को आराम मिलता है. पका हुआ केला एसिडिक नहीं होता, इसलिए अगर आपका फल खाने का मन कर रहा है तो केला खा सकते हैं.
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