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आरती के बाद चरणामृत क्यों दिया जाता है? क्या आप जानते हैं कि आरती के बाद चरणामृत क्यों दिया जाता है? पूजा में चरणामृत का विशेष महत्व है. हम सब आरती के बाद चरणामृत ग्रहण करते हैं, लेकिन ऐसा क्यों किया जाता है, इसकी जानकारी बहुत कम लोगों को ही होती है. आरती के बाद चरणामृत क्यों दिया जाता है? आइए, हम आपको बताते हैं.
चरणामृत की धार्मिक मान्यता पूजन आदि के बाद तांबे के पात्र में रखा तुलसीदल से युक्त चरणामृत दिया जाता है. चरणामृत भक्तों के सभी प्रकार के दुख और रोगों का नाश करता है तथा इससे संपूर्ण पापों का शमन होता है. चरणामृत का वैज्ञानिक महत्व आयुर्वेद में यह माना गया है कि तांबे में अनेक रोगों को नष्ट करने की शक्ति होती है. इसका जल मेधा, बुद्धि व स्मरणशक्ति को बढ़ाता है. इसमें तुलसीदल डालने के पीछे मान्यता यह है कि तुलसी का पत्ता महौषधि है. इसमें न केवल रोगनाशक गुण होते हैं, बल्कि कीटाणुनाशक शक्ति भी होती है. चरणामृत में तुलसी-पत्र, केसर तथा स्वर्णकण-संघटित शालग्राम का जल धार्मिक दृष्टि से तो उपयोगी है ही, इसका जल बलवृद्धि टॉनिक भी है, जिसके प्रतिदिन सेवन से किसी भी रोग के कीटाणु शरीर में नहीं पनपते.यह भी पढ़ें: हथेली के रंग से जानें अपना भविष्य (Palmistry: Know Your Future & Destiny By Looking At Your Hands)
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