- चेक मिलने के 3 महीने के भीतर अपना चेक अकांउट में जमा कराएं. 3 महीने के बाद चेक की वेलिडिटी ख़त्म हो जाती है.
- यदि किसी व्यक्ति से रुपए उधार लिए हैं, तो उसे लौटाने के लिए चेक का इस्तेमाल करें.
- किसी भी संस्था को डोनेशन देने के लिए चेक का ही इस्तेमाल करें.
- लोन आदि का भुगतान करने के लिए आप चाहें तो पोस्ट डेटेड चेक भी जमा करा सकते हैं.
- चेक के बाउंस होने पर बैंक आपको एक रसीद देता है, जिसमें चेक के बाउंस होने का कारण लिखा होता है
- यदि आपका कोई चेक बाउंस होता है, तो देनदार को 30 दिन के अंदर नोटिस भेजना होता है.
- नोटिस भेजने के बाद भी अगर देनदार 15 दिन तक अगर देनदार कोई जवाब नहीं देता है, तो लेनदार उसके खिलाफ केस दायर कर सकता है.
- चेक बाउंस होनर पर देनदार को 2 साल की सज़ा हो सकती है.
- साथ ही देनदार को ब्याज के पूरा रुपया चुकाना पड़ता है.
- निगोशिबल इंस्ट्रूमेंट एक्ट 1881 की सेक्शन 138 के अनुसार, आप उसके ख़िलाफ अपना केस दर्ज़ करा सकते हैं.
- भुगतान की रकम सही समय पर न लौटाने पर एक आपराधिक शिकायत के तौर पर आपका केस दर्ज़ किया जाएगा.
- किसी भी तरह का कर्ज या बकाया पैसों की रिकवरी न होने पर या फिर दो पार्टियों के बीच हुए लेनदेन के बाद जब पेमेंट न मिले और चेक बाउंस हो जाए, तो धारा 138 के दौरान कानून मामला दर्ज़ किया जा सकता है.
- इस धारा के अंतगर्त यदि आपके किसी दोस्त द्वारा दिया गया चेक बाउंस हो जाता है, तो भी आप धारा 138 के अंतगर्त केस दर्ज़ कर सकते हैं.
- इस तरह के किसी लोन के डिस्चार्ज के दिया गया चेक बाउंस हो जाता है, तो उसपर भी धारा 138 के तहत केस दर्ज़ किया जा सकता है. ऐसी स्थिति में उसे 2 साल की सज़ा और ब्याज़ के साथ दोगुनी रकम देनी पड़ सकती है.
- केस उसी जगह दर्ज़ किया जाता है, जहां पर आप रहते हैं.
- देवांश शर्मा
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