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सायबर क्राइम: आइडेंटिटी थेफ्ट- ख़तरनाक है धोखाधड़ी का यह तरीक़ा (What Is Identity Theft In Cyber World?)

आए दिन धोखाधड़ी के नए-नए मामले देखने-सुनने में आते रहते हैं. ऐसे ही एक फ्रॉड का तरीक़ा है आइडेंटिटी थेफ्ट. इसमें व्यक्ति विशेष के पहचान का इस्तेमाल करके ग़लत कामों को अंज़ाम दिया जाता है. आइडेंटिटी थेफ्ट यानी आपके पहचान को चुराकर ऑनलाइन ठगना. दरअसल, पहचान की चोरी तब होती है, जब कोई आपकी पहचान चुरा लेता है और आपके नाम पर क्रेडिट कार्ड, बैंक अकाउंट और अन्य फ़ायदों जैसे रिसोर्सेस तक पहुंचता है. साथ ही अन्य अपराधों को अंज़ाम देने के लिए भी आपकी पहचान का इस्तेमाल करता है.
इसमें अपराधी क़िस्म के लोग व्यक्ति की व्यक्तिगत जानकारी, बैंक से जुड़ी जानकारियां, नाम, पता, डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड, जन्म तारीख़ आदि को चुराकर उनका उपयोग ख़रीददारी करने, क्रेडिट कार्ड लेने, मेडिकल हेल्थ इंश्योरेंस लेने के लिए करते हैं.
लाइसेंस आईडी, जिसमें नाम, पता, बर्थ डेट के साथ पहचान संख्या भी होती है, जिसका इस्तेमाल अपराधी कर्ज़ लेने, क्रेडिट कार्ड लेने या फिर बैंक में अकाउंट खोलने आदि के लिए करते हैं. टैक्स पहचान की चोरी में अपराधी टैक्स रिफंड पाने के लिए अपील करने के लिए आपकी नियोक्ता पहचान संख्या का ग़लत इस्तेमाल करते हैं. धोखाधड़ी का यह तरीक़ा इन दिनों काफ़ी फल-फूल रहा है. आपके साथ ऐसा न हो, इसके लिए आपको सचेत रहने की ज़रूरत है.

आइडेंटिटी थेफ्ट में चोरों को सबसे आसान लगता है फाइनेंस, निवेश से जुड़ी जानकारी को चुराना और उसका ग़लत तरी़के से इस्तेमाल करना. इसमें व्यक्ति के बैंक अकाउंट, डेबिट, क्रेडिट कार्ड के ज़रिए पैसों की हेरफेर करना, यूपीआई का इस्तेमाल करके अकाउंट से पैसे निकाल लेना, किसी दूसरे के नाम से क्रेडिट कार्ड का उपयोग करके बेहिसाब ख़रीददारी करना. क्रिमनल व्यक्ति की पर्सनल जानकारियों का उपयोग करके क्रेडिट कार्ड लेना आदि शामिल है. फिर इसके ज़रिए हज़ारों-लाखों की ख़रीददारी कर सकता है और उन सभी शॉपिंग के पेमेंट ठगे गए शख़्स को करना पड़ सकता है.

अलर्ट

  • इस तरह की धोखाधड़ी से बचने के लिए नियमित अंतराल पर अपने बैंक अकाउंट, बिल, स्टेटमेंट आदि को देखते रहेें.
  • अपने बैंक और आधार कार्ड से जुड़ी जानकारियां कभी किसी के साथ शेयर न करें.
  • अक्सर अपराधी सीमित पैसों की ख़रीददारी करते हैं, ताकि अकाउंट होल्डर को पता न चल सके. ऐसा होता भी है कि छोटे पेमेंट की लेन-देन पर हमारा ध्यान नहीं जाता. इसलिए अपने हर छोटे-बड़े ट्रांजेक्शन पर ध्यान दें.
  • यदि आपको कोई ऐसा ट्रांजेक्शन दिखता है, जो आपने नहीं किया है, तो तुरंत बैंक या फिर क्रेडिट कार्ड कंपनी से कॉन्टेक्ट करें. इस तरह के अलर्टनेस से आप किसी बड़े फ्रॉड से बच सकते हैं.
  • कई बार फोन पर किसी कंपनी का कर्मचारी होने की बात करते हुए अपराधी वित्तीय जानकारी मांगते हैं. ऐसे लोग कुछ आकर्षक रिटर्न का वादा करके आपसे व्यक्तिगत डेटा मांगते हैं. अतः इस तरह के झांसे में आने से बचें.
  • मेडिकल से जुड़ी जानकारियां अपराधी वर्ग के लोग इंश्योरेंस पर दावा करने, मेडिसिन लेने, मेडिकल चेकअप जैसे ज़रूरी चीज़ों के लिए करते हैं.
    इस तरह की धोखाधड़ी होने पर पीड़ित व्यक्ति के लिए बाद में ज़रूरी मेडिकल सुविधाएं, हेल्थ इंश्योरेंस लेना भी मुश्किल हो जाता है. साथ ही उनका क्रेडिट स्कोर भी प्रभावित होता है.

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क्या करें?

  • अपने सभी ज़रूरी डॉक्यूमेंट्स, जैसे- हेल्थ इंश्योरेंस कार्ड, मेडिकल बिल्स, लाइफ इंश्योरेंस के पेपर्स, अन्य मेडिकल डॉक्युमेंट्स संभालकर रखें.
  • कभी भी ये ज़रूरी काग़ज़ात ईमेल या किसी ड्राइव आदि में बिल्कुल भी न रखें.
  • मेडिकल से संबंधित गैरज़रूरी डॉक्यूमेंट्स को यूं ही न फेंकें. उन्हें जला देना बेहतर होगा.
  • कभी भी फोन पर या एसएमएस या फिर ईमेल के ज़रिए अपने स्वास्थ्य से जुड़ी जानकारियां न दें.
  • ठग किसी व्यक्ति की फर्जी आईडी बनाकर परिचितों से रुपए-पैसे की मदद की गुहार भी लगा सकता है. ऑनलाइन फर्जीवाड़े में इस तरह आइडेंटिटी थेफ्ट का भरपूर इस्तेमाल किया जा रहा है. आईडी हैक करके जॉब या ऐड आदि में ़भी गलत तरी़के से इस्तेमाल किया जा रहा है.

सचेत रहें, सुरक्षित रहें

  • यदि कोई शख़्स स्वयं को गवर्मेंट का एम्प्लॉयी कहकर आपसे आपकी पर्सनल जानकारी मांगे, तो कभी भी न दें.
  • अपराधी किसी बड़ी कंपनी का नाम लेकर भी आपसे आपके बैंक अकाउंट, आधार कार्ड आदि के बारे में जानने की कोशिश कर सकता है, ऐसे लोगों से सचेत रहें.
  • किसी तरह का प्रलोभन या फिर कोई स्कीम, लाभ आदि कहकर भी कोई पासवर्ड व आईडी के बारे में जानना चाहेें, तो शेयर न करें.
  • सोशल मीडिया पर जॉब के लिए दिए गए ऐड पर यक़ीन न करें. यदि नौकरी के अप्लाई करना हो, तो वेबसाइट पर
    ही करें.

अक्सर फिल्मों में या क्राइम से जुड़े टीवी शोज़ में दिखाया जाता है कि किस तरह अपराधी दूसरे की पहचान का इस्तेमाल अपने गुनाह को छिपाने और उस शख़्स पर थोपने के लिए करता है. उदाहरण के लिए व्यक्ति का आईडी कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, आधार कार्ड आदि का दुरुपयोग कर सकता है. जैसे जुर्म करने के बाद उस जगह पर इन आईडी कार्ड को रख देना. इसके लिए अपने सभी पहचान पत्र संभालकर रखें.

आमतौर पर बुज़ुर्ग लोग इस तरह की आइडेंटिटी थेफ्ट धोखाधड़ी के अधिक शिकार होते हैं, विशेषकर 60 वर्ष से अधिक उम्र के लोग. ठगों द्वारा उन्हें ऐसी जानकारी भेजी जाती है, जो उन्हें वास्तविक लगती है. इसके बाद तमाम तरह के साइबर क्राइम में इस्तेमाल करने के लिए उनकी व्यक्तिगत जानकारी इकट्ठी की जाती है.

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सेफ्टी ट्रिक्स

  • मज़बूत पासवर्ड का इस्तेमाल करें व अपना पिन फोन पर या किसी व्यक्ति के साथ शेयर न करें.
  • जब कभी आपका कोई पहचान पत्र खो जाता है या फिर कहीं गिर जाता है, तो तुरंत पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज़ करवाएं.
  • ईमेल के लिए टू-फैक्टर नोटिफिकेशन का उपयोग करें.
  • सोशल मीडिया पर अपने पहचान पत्र से जुड़ी जानकारियां शेयर न करें.
  • अपने सभी गैजेट्स को पासवर्ड से सेफ करें.
  • इंटरनेट से रैंडम सॉफ्टवेयर इंस्टॉल न करें.
  • सोशल मीडिया पर सेंसेटिव इन्फॉर्मेशन पोस्ट न करें.
  • पेमेंट गेटवे पर पासवर्ड देते समय इसकी प्रामाणिकता के बारे में अच्छी तरह से जान लें.
  • अपना पिन व पासवर्ड नियमित अंतराल पर बदलते रहें.
  • फोन पर अपनी किसी भी व्यक्तिगत जानकारी के बारे में बातचीत न करें.
  • अपने सोशल मीडिया अकाउंट्स पर सभी व्यक्तिगत जानकारी को सार्वजनिक न करें.
  • अपने फोन पर प्राप्त आधार ओटीपी को किसी कॉल पर किसी के साथ शेयर न करें.
  • उस वेबसाइट पर व्यक्तिगत डेटा न भरें, जो बदले में लाभ देने का दावा करती है.
  • सॉफ्टवेयर व ऐप्स को हमेशा अपडेट करते रहें.

बैंक ट्रांजेक्शन में फ्रॉड होने पर क्या करें?
आरबीआई के अनुसार, कोई आपके बैंक से ग़लत तरी़के से पैसे निकाल लेता है, तो तीन दिन के अंदर शिकायत करने पर आपके पैसे आपको वापस मिल सकते हैं. इसके लिए आपके अकाउंट से कोई ग़लत ट्रांजेक्शन हुआ है, तो इसकी सूचना तुरंत अपने बैंक को दें. दरअसल, बैंकों की तरफ़ से ऐसे साइबर धोखाधड़ी को ध्यान में रखकर ही इंश्योरेंस पॉलिसी ली जाती है. बैंक आपके साथ हुए फ्रॉड की सारी जानकारी सीधे इंश्योरेंस कंपनी को देते हैं. इंश्योरेंस के पैसे मिलने पर वे आपके नुक़सान की भरपाई कर देते हैं.
साइबर फ्रॉड के शिकार होने पर इसकी शिकायत आप ऑनलाइन यहां पर कर सकते हैं-
cybercrime.gov.in

- ऊषा गुप्ता

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