सैफ़ अली ख़ान और करीना ने हाल ही में एक इंटरव्यू दिया जिसमें कई मुद्दों पर उन्होंने बेबाक़ राय दी. इसी बीच स्टार किड्स को लेकर भी बातें हुईं, क्योंकि बॉलीवुड में नेपोटिज़्म को लेकर अक्सर सवाल उठते हैं और ऐसा माना जाता है कि स्टारकिड्स को न तो स्ट्रगल करना पड़ता और न ही कास्टिंग काउच का सामना.
बात सैफ़ और करीना की करें तो ये दोनों भी स्टार किड रह चुके हैं और अब इनके दोनों बेटे तैमूर और जेह सोशल मीडिया में काफ़ी पॉप्युलर हैं. इसी विषय पर सैफ़ और करीना से जब पूछा गया कि स्टारकिड्स को फ़िल्में इतनी आसानी से कैसे मिल जाती हैं, तो सैफ़ ने कहा- 'ऑडियंस और लोग स्टारकिड्स में इतना इंटरेस्ट लेते हैं. आर्चीज के एक्टर्स को उदाहरण के तौर पर देखिए- लोग इसके बारे में कितनी बातें कर रहे थे, लगातार उनकी फोटोज़ ली जा रही थीं, ऐसे में कल कोई उनमें से किसी के साथ फिल्म बनाना चाहता है, तो इसमें कोई रॉकेट साइंस नहीं है, कोई बिल्कुल बनाना चाहेगा. आपको तय करना पड़ेगा कि ये अटेंशन क्यों मिल रही है और कहां से मिल रही है.
इसी बात को आगे स्पष्ट करते हुए सैफ़ ने अपने बेटे तैमूर का उदाहरण दिया- ‘तैमूर ताइक्वान्डो कर रहे थे, लोग उनकी फोटो ले रहे थे, इंटरनेट पर उनकी रील्स हैं. हमें ऐसा अटेंशन नहीं चाहिए. हम स्टारकिड नहीं बनाते. हम बच्चे पैदा ज़रूर करते हैं, लेकिन प्रेस, फोटोग्राफर्स और फिर जनता इन्हें ये स्टारकिड बनाती है. जनता शायद बड़ी मासूमियत से बस एक स्टारकिड को देखना चाहती है.’
करीना ने भी इस मुद्दे पर कहा कि जनता में एक नेचुरल एक्साइटमेंट रहती है. लोगों के दिमाग में ये रहता है कि ये उनका बेटा है या उसकी बेटी है.
इसके अलावा फ़िल्म फ़ैमिली से जुड़े सरनेम का क्या फ़ायदा मिलता है, इस पर बेबो ने कहा- आपके पास कोई सरनेम हो सकता है, लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि आप में टैलेंट भी है या आप कामयाब भी होंगे. ये फैसला तो दर्शक करते हैं. इसके अलावा एक्ट्रेस ने यह भी कहा कि सोशल मीडिया पर ज़्यादा फ़ॉलोअर्स आपको स्टार नहीं बनाते, आपको अपने काम से साबित करना पड़ता है कि आप स्टार हो.
इस इंटरव्यू में ये भी हिंट मिला कि करीना और सैफ़ एक बार फिर बड़े पर्दे पर साथ नज़र आ सकते हैं.