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विचारों से आती है ख़ूबसूरती (Vicharon Se Aati Hai KHoobsurati)

ख़ूबसूरत विचार महंगे कॉस्मेटिक्स और पार्लर पर ढेरों ख़र्च करके हम अपने चेहरे को सबसे सुंदर बनाने में जुटे रहते हैं, मगर क्या कभी अपने विचारों व भावनाओं को ख़बूसरत बनाने की कोशिश की है? सच्ची ख़ूबसूरती चाहते हैं, तो चेहरे को नहीं, बल्कि विचारों को सवारें. ख़ूबसूरत विचारों से चेहरा ख़ुद-ब-ख़ुद चमकने लगेगा. सकारात्मक सोच का जादू  किसी ने सच ही कहा है ख़ूबसूरती तो देखने वाले की आंखों में होती है, जब हम अच्छा और सकारात्मक सोचेंगे, तो हमें हर चीज़ अच्छी और ख़ूबसूरत लगेगी. नकारात्मक लोगों को कभी कोई चीज़ अच्छी नहीं लग सकती, वो किसी की तारीफ़ भी बिना नुस्ख़ निकाले नहीं कर सकते, मगर जो दिल के साफ़ होते हैं, जिनके मन में घृणा का भाव नहीं होता उन्हें बदसूरत चीज़ भी सुंदर लगती है. आपके आसपास भी ऐसे कुछ लोग होंगे जिनकी मौजूदगी भर से आपका आत्मविश्‍वास बढ़ जाता है, क्योंकि वो कभी ये नहीं कहते, ‘अरे ये काम तो बहुत मुश्किल है कैसे होगा, आज तो संभव ही नहीं है कल देखते हैं...’ बल्कि कहते हैं ‘इसमें कौन-सी बड़ी बात है अभी हो जाएगा ये, बस थोड़ा टाइम लेगगा, मगर ये आज ही पूरा हो जाएगा.’ जब भी आप मुश्किल में होते हैं, तो अपने सकारात्मक रवैया (पॉज़िटीव एटीट्यूड) के कारण आपको वही इंसान याद आता है... आपके लिए उसका चेहरा मायने नहीं रखता, क्योंकि वो दिल से ख़ूबसूरत है. कई बार आपने ये भी ग़ौर किया होगा कि कुछ लोग गोरे-चिकने होते हैं, उनके नैन-नक्श भी ठीक-ठाक होते हैं, मगर फिर भी वो आपको आकर्षित नहीं करतें, वो सुंदर नहीं लगते क्योंकि उनके अंदर के नकारात्मक विचार चेहर पर झलकते हैं. कोई कितना भी क्रीम पाउडर लगा ले विचारों की बदसूरती का असर चेहरे पर दिख ही जाता है.
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विचारों को करें पॉलिश अपने दुश्मन को भी दोस्त समझना और अपने से नफ़रत करने वालों से भी प्यार करना... ये काम थोड़ा मुश्किल ज़रूर है, मगर जिस दिन आप ये मुश्किल काम करने में सफल हो जाएंगे समझिए आप अपने विचारों को पॉलिश करने में सफल हो गएं. आपके ऑफिस या घर में कोई आपसे नफ़रत करता है, बदले में आप भी उसी तरह का व्यवहार करते हैं, तो दिन ब दिन आप दोनों के बीच की कड़वाहट बढ़ती जाएगी और उस शख़्स के आसपास रहने पर आप तनावग्रस्त हो जाएंगे जिसका असर आपकी सोच और सेहत दोनों पर होगा. इसके विपरीत यदि आप उसके प्रति नफ़रत को त्यागकर सामान्य व्यवहार करने लगें, तो इससे आप तो तनावमुक्त हो ही जाएंगे, हो सकता है सामने वाले को भी अपनी ग़लती का एहसास हो और आपके प्रति उसके विचार बदल जाएं. मसलन आपकी अपने पड़ोसी से नहीं पटती, मगर एक दिन आपने उसकी तारीफ़ में दो शब्द कह दिए, ये ड्रेस आप पर बहुत अच्छी लग रही है या आपने अपना घर बेहद ख़ूबसूरती से सजाया है... आपकी ये छोटी-सी तारीफ़ से पड़ोसी का आपके प्रति रवैया बदल सकता है, उसके मन में आएगा कि आप इतने भी बुरे नहीं है. धीरे-धीरे ही सही आपके बीच की नफ़रत की खाई पटने लगेगी. इस तरह से आप एक तीर से दो निशाने लगा सकते हैं. एक तो अपने विचारों को सुंदर बनाना और दूसरे सामने वाले के विचारों को सकारात्मक बनाने में मदद करना. याद रह जाते हैं विचार कई बार पहली नज़र में आपको कोई शख़्स अच्छा नहीं लगता, मगर जब आप उससे बात करते हैं, तो उसके विचारों के आगे आपको उसका रूप-रंग बौना लगने लगता है. बाहरी रूप तो चंद दिनों के लिए होता है, मगर विचारों की सुंदरता आपको जीवनभर सुंदर बनाए रख सकती है. लोग आपका चेहरा तो चंद दिनों में भूल जाते हैं, मगर आपकी अच्छी सोच, सकारात्मक विचार वो ज़िंदगीभर याद रखते हैं. इसके विपरीत किसी बेहद ख़ूबसूरत इंसान से मिलकर पहली बार में भले ही आप उसकी सुंदरता के क़ायल हो जाएं, मगर ज़ुबान खुलते ही आपको उसका चेहरा बदसूरत नज़र आने लगता है, क्योंकि वो बाहरी तौर पर तो सुंदर है, मगर उसकी नकारात्मक सोच और विचार उसे बदसूरत बना देते हैं.

कंचन सिंह

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