बैंकिंग क्षेत्र में टेक्नोलॉजी का प्रभाव बढ़ता जा रहा है. यही वजह है कि बैंकों में होने वाले फाइनेंशियल फ्रॉड के मामलों में तेज़ी से वृद्धि हो रही है. आए दिन ठगी के नए-नए तरी़के ईज़ाद किए जा रहे हैं और लोगों के बैंक अकाउंट से पैसे गायब कर उन्हें चूना लगाया जा रहा है. अपने इस लेख में हम आपको ऐसे ही कुछ तरीक़ों के बारे में बता रहे हैं जिनके बारे में जानकर आप ज़रूरी सावधानी बरत सकते हैं और अपने बैंक अकाउंट में जमा की गई राशि को गायब होने से बचा सकते हैं.
कस्टमर बैंक द्वारा दी गई डिजिटल पेमेंट की सुविधा का लाभ उठाकर न केवल आप अपना क़ीमती समय बचा सकते हैं, बल्कि वित्तीय लेनदेन को भी आसान बना सकते हैं. लेकिन इस वित्तीय लेनदेन पर आपके साथ कई साइबर ठगों की पैनी नज़र भी रहती है, जो लोगों की धनराशि को अलग-अलग तरीक़ों से ठगने के लिए तैयार बैठे रहते हैं. डिजिटल पेमेंट संबंधी धोखाधड़ी कई तरह की होती हैं. इन तरीक़ों का इस्तेमाल करके ही ठग बैंकों अकाउंट से पैसों को गायब करने का कोई मौका नहीं चूकते हैं.
साइबर ठगी के तरी़के
1. एटीएम कार्ड स्किमिंग (कार्ड के डाटा की चोरी): साइबर ठग कस्टमर के एटीएम कार्ड के डाटा की चोरी करने के लिए कार्ड स्कीमर का इस्तेमाल करते हैं. ये साइबर ठग एटीएम मशीनों में स्किमिंग डिवाइस लगाते हैं और डाटा चोरी कर लेते हैं. इसके अलावा एक और तरीक़ा है, जिससे ठग कार्ड के डाटा की चोरी करते हैं. वह है फर्जी कीबोर्ड के जरिए. किसी भी दुकान या पेट्रोल पंप पर जब कस्टमर एटीएम कार्ड स्वाइप कर रहा हो, तो कस्टमर इस बात का ध्यान रखें कि दुकान या पेट्रोल पंप का कर्मचारी कार्ड को आपकी नज़रों से दूर न ले जाए.
2. स्क्रीन शेयरिंग ऐप के जरिए धोखाधड़ी: बैंक अकाउंट से पैसे गायब करने वाले ठग कस्टमर को इस बात के लिए बहलाते-फुसलाते हैं कि स्क्रीन-शेयरिंग ऐप डाउनलोड करें. डाउनलोड करने के बाद फिर वे कस्टमर के मोबाइल/लैपटॉप को अपने कंट्रोल में लेते हैं और कस्टमर की सारी फाइनेंशियल स्थिति की जानकारी प्राप्त कर लेते हैं. सारी फाइनेंशियल स्थिति जानने के बाद ठग अनऑथोराइज़ तरी़के से पैसों को अपने अकाउंट में ट्रांसफर कर लेते हैं. इसके अलावा ठग कस्टमर को ई-बैंकिंग/पेमेंट ऐप का उपयोग करके उन्हें भुगतान करने के लिए भी कहते हैं.
3. रिवॉर्ड पाइंट के नाम पर धोखेबाजी: आपको जानकर हैरानी होगी कि साइबर ठग कस्टमर को अट्रैक्ट करने के लिए मोबाइल पर रिवॉर्ड पाइंट का मैसेज भेजते हैं. इस रिवॉर्ड पाइंट के मैसेज के जरिए ठग कस्टमर से बैंक खाते से जुड़ी जानकारी मांगते हैं. कस्टमर रिवॉर्ड पाइंट की लालच में आकर ठग को बैंक खाते से जुड़ी जानकारी दे देते हैं और जैसे ही जानकारी उनके पास पहुंचती है, वैसे ही ठग कस्टमर के खाते से पैसे उड़ा ले जाते हैं.
4. व्हाट्सऐप कॉल के जरिए पैसे ठगना: अगर आपके मोबाइल के व्हाट्सऐप पर किसी अनजान नंबर से वॉइस कॉल आती है तो आप अलर्ट हो जाइए. हो सकता है कि फ़ोन के दूसरी तरफ़ कोई ठग हो. बातों ही बातों में वे आपसे बैंक संबंधी इंफॉर्मेशन प्राप्त कर आपके खाते से पैसे निकाल सकते हैं. इस वारदात को अंजाम देने के बाद वह आपके नंबर को ब्लॉक कर सकते हैं.
5. यूपीआई के जरिए बैंक से रुपये उड़ाना: कस्टमर यूपीआई (यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस) के ज़रिए आसानी से वित्तीय लेनदेन कर सकते हैं. इसी का फ़ायदा उठाकर ठग लोगों को डेबिट लिंक भेजते हैं और जैसे ही कस्टमर डेबिट लिंक पर क्लिक कर अपना पिन डालते हैं तो उनके अकाउंट में से पैसे ट्रांसफर हो जाते हैं. अत: यूपीआई के जरिए बैंक से रुपये उड़ाने की धोखेबाज़ी से बचने के लिए अनजान डेबिट रिक्वेस्ट को तुरंत डिलीट कर दें और भूलकर भी अजनबियों के लिंक भेजने पर क्लिक ना करें.
6. क्यूआर कोड के जरिए होने वाला ठग: साइबर ठग क्यूआर (क्विक रिस्पांस कोड) के ज़रिए कस्टमर के अकाउंट से पैसे उड़ाने का काम करते हैं. साइबर ठग अक्सर कस्टमर से विभिन्न बहाने से संपर्क करते हैं और कस्टमर के मोबाइल पर क्यूआर कोड भेजते हैं. जब कस्टमर क्यूआर कोड लिंक पर क्लिक करते हैं तो ठग उनके मोबाइल फोन का क्यूआर कोड स्कैन कर बैंक खाते से रकम निकाल लेते हैं.
7. ईमेल स्पूफिंग: ईमेल स्पूफिंग एक ऐसा स्पैमर है, जिसमें सेंडर (भेजने वाला) झूठे नाम और एड्रेस के साथ नकली मेल आईडी बनाता है. ठग भी इसी ईमेल स्पूफिंग के माध्यम से ऐसी नकली ईमेल आईडी बना लेते हैं, जो लोकप्रिय कंपनियों के नाम से मिलती-जुलती होती हैं और फिर सर्वे फॉर्म के ज़रिए जालसाज पब्लिक को अपनी ओर आकर्षित कर उनका डाटा चोरी लेते हैं.
8. डीलरशिप, जैसे- पेट्रोल पंप आदि के नाम पर ऑनलाइन ठगी: साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट्स का मानना है, साइबर ठग नामी-गिरामी कंपनियों के नाम पर बड़ी डीलरशिप, जैसे- पेट्रोल पंप आदि देने के नाम पर ऑनलाइन ठगी करके भी कस्टमर के अकाउंट से जमा राशि गायब कर देते हैं. इस तरह की नकली डीलरशिप के लालच में आकर ऑनलाइन ठगी का शिकार होने से बचें.
9. एटीएम कार्ड की क्लोनिंग: साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट के अनुसार आज के समय में ठगी करने का तरीक़ा बदल गया है. पहले नॉर्मल कॉल के जरिए ठगी होती थी और अब ठगी करने के लिए ठग हाईटेक टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर पैसे खाते से निकाल रहे हैं. यानि कि कार्ड क्लोनिंग के द्वारा अब ठग बैंक अकाउंट से पैसे गायब करने लगे हैं. एटीएम क्लोनिंग के द्वारा ठग कस्टमर के कार्ड की पूरी जानकारी चोरी कर लेते हैं और उसका डुप्लीकेट कार्ड बनाते हैं. फिर कस्टमर के खाते से जमा राशि निकाल लेते हैं.
10. नौकरी देने के नाम पर होती है ऑनलाइन ठगी: सोशल मीडिया का इस्तेमाल नौकरी ढूंढ़ने के लिए भी किया जाता है. इसी सिलसिले में अनेक जॉब पोर्टल कैंडिडेट को अपना संक्षिप्त विवरण लिखने और जॉब रजिस्ट्रेशन के लिए फीस चार्ज करते हैं. ज़रूरी नहीं ये जॉब पोर्टल ऑथेंटिक हो. नौकरी दिलाने के नाम पर ठग नकली कंपनी, मेल आईडी और वेबसाइट बनाकर भुगतान करने को कहते हैं और कैंडिडेट के नाम से बैंक अकाउंट से पैसे निकाल लेते है.
11. ऑनलाइन सेल्स प्लेटफॉर्म का उपयोग करके ठगी करना: बैंक अकाउंट से जमा राशि गायब करने का एक और तरीक़ा है ऑनलाइन सेल्स प्लेटफॉर्म का उपयोग. इस प्लेटफॉर्म के ज़रिए भी साइबर ठग लोगों के बैंक अकाउंट से पैसे गायब कर देते हैं. इस प्लेटफॉर्म पर साइबर ठग ख़रीददार के तौर पर अपना परिचय देते हैं और सामान ख़रीदने में अपनी रुचि दिखाते हैं. बातों ही बातों मेंठग ऑनलाइन सेलर का विश्वास हासिल कर लेते हैं. ठग ऑनलाइन सेलर को
यूपीआई ऐप के ’रिक्वेस्ट मनी’ ऑप्शन का यूज़ करने की रिक्वेस्ट करते हैं और कहते हैं कि वह यूपीआई पिन को दर्ज़ करें. जैसे ही ऑनलाइन सेलर पिन डालते हैं तो साइबर ठग सेलर के खाते में पैसा ट्रांसफर कर लेते हैं और ऑनलाइन सेलर को जब तक इस बात का एहसास होता है, तब तक बैंक अकाउंट से पैसे निकल चुके होते हैं.
12. सर्च इंजन में दी गई कॉन्टेक्ट डिटेल्स के मॉडिफाइड होने पर धोखाधड़ी: बैंक, इंश्योरंस कंपनी, आधार अपडेशन सेंटर और बिज़नेस के लिए कॉन्टैक्ट डिटेल्स सर्च करने के लिए कस्टमर सर्च इंजन का यूज करते हैं. सर्च इंजन पर अपलोड की गई कॉन्टेक्ट डिटेल्स लगातार मॉडिफाइड (संशोधित) होती रहती हैं. साइबर ठग इसी मौके का फायदा उठाकर लोगों के खातों कम पैसे उड़ा देते हैं.
13. मैट्रिमोनियल वेबसाइट के ज़रिए ठगी: यदि आप मैट्रिमोनियल वेबसाइट पर पार्टनर ढूंढ़ रहे हैं, तो सावधान हो जाएं, क्योंकि बैंक अकाउंट से पैसे उड़ाने वाले साइबर ठग की नज़र मैट्रिमोनियल वेबसाइट पर भी होती है. रिश्ता कराने की एवज में ये ठग चैटिंग करते हुए लोगों से उनकी बैंक डिटेल्स मांगते हैं. बस इसी दौरान ये ठग बैंक खाते से रकम उड़ा ले जाते हैं.
साइबर ठगी से बचने के लिए इन बातों का ध्यान रखें-
1. अपने नेट बैंकिंग पासवर्ड को कहीं पर लिखने की बजाय याद रखें, साथ ही उस पासवर्ड को किसी के साथ शेयर न करें.
2. नेट बैंकिंग पासवर्ड का यूज़ हमेशा अपने कंप्यूटर पर ही करें.
3. ऑनलाइन ट्रांजेक्शन करते समय चेक कर लें कि वेबसाइट कितनी सेफ है?
4. जब भी आप अपना एड्रेस और मोबाइल नंबर बदलें, तो इसकी जानकारी बैंक को ज़रूर दें. साथ ही सप्ताह में कम से कम एक बार बैंक अकाउंट या क्रेडिट कार्ड अकाउंट पर ज़रूर चेक करें. अपने फ़ोन पर मोबाइल बैंकिंग एक्टिवेट रखें, ताकि हर ट्रांजेक्शन पर नज़र रखी जा सकें.
5. फिशिंग (नकली ईमेल) से सावधान रहें, क्योंकि इनके ज़रिए पर्सनल डिटेल्स मांगी जाती हैं.
6. सबसे अहम बात है कि बैंक के पास आपकी सभी जानकारी मौजूद होती हैऔर कोई भी बैंक कभी ईमेल या फोन से कोई सीवीवी या ओटीपी नहीं मांगता.
7. साइबर जालसाजी से बचने के लिए अपने मोबाइल फोन में एंटी वायरस डालें. समय-समय पर इसे अपडेट करते रहें.
8 यदि आप क्रेडिट कार्ड के ज़रिए भुगतान कर रहे हैं, तो ऐसे कार्ड से पेमेंट करें, जिसकी लिमिट कम हो.
9. किसी भी वेबसाइट, सर्वर, मोबाइल या डेस्कटॉप पर क्रेडिट/डेबिट कार्ड्स की कार्ड्स की डिटेल सेव न करें.
- पूनम नागेंद्र शर्मा
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