तेनालीरामा की कहानी: रसगुुल्ले की जड़ (Tenali Rama Story: Root Of Rassagulla)
बच्चों को हमेशा से ही प्रेरणादायक कहानियां (Motivational Stories) घर के बड़े-बुज़ुर्ग सुनाते आए हैं, जिनमें प्रमुख होती हैं तेनालीरामा (TenaliRama), पंचतंत्र (Panchtantra Talses) की कहानियां, फेयरी टेल्स (Fairy Tales), ऐसी किड्स स्टोरी (Kids Story) उन्हें सही-सच्ची सीख (Motivation-Inspiration) देती है और जीवन में सही दिशा भी. एक बार मध्य पूर्वी देश से एक व्यापारी महाराज कृष्णदेव राय का अतिथि बनकर आया. महाराज ने उसके स्वागत में कोई कसर नहीं छोड़ी, क्योंकि अपने अतिथि का सत्कार वो हमेशा ही बड़े भव्य तरीके से करते हैं. एक दिन भोजन पर महाराज का रसोइया व्यापारी के लिए स्वदिष्ट रसगुल्ले बनाकर लता है. व्यापारी कहता है कि उसे रसगुल्ले नहीं खाने हैं, पर हो सके तो उन्हें इस बात की जानकारी ज़रूर दी जाए कि दरअसल रसगुल्ले की जड़ क्या है? रसोइया बेचारा सोच में पड़ जाता है और महाराज कृष्णदेव राय के पास जाकर उस व्यापारी की मांग बताता है. महाराज रसगुल्ले की जड़ पकड़ने के लिए चतुर तेनालीराम को बुलाते हैं, क्योंकि उन्हें भी पता है कि तेनालीरामा के पास हर सवाल का जवाब होता है. तेनालीराम रसगुल्ले की जड़ खोजने की चुनौती का प्रस्ताव स्वीकार कर लेते हैं. वह एक खाली कटोरे और धारदार छुरी की मांग करते हैं और महाराज से एक दिन का समय मांगते हैं. यह भी पढ़ें: पंचतंत्र की कहानी: वंश की रक्षा अगले दिन रसगुल्ले की जड़ से भरे कटोरे को मलमल के कपड़े से ढककर दरबार में बैठे व्यापारी को देते हैं और उसे कपड़ा हटाकर रसगुल्ले की जड़ देखने को कहते हैं. व्यापारी जैसे ही कपड़ा हटाता है, तो कटोरे में गन्ने के टुकड़े देखकर हैरान हो जाता है और सारे दरबारी तथा महाराज कृष्णदेव राय, तेनालीराम से पूछते हैं कि यह सब क्या है? तेनालीराम समझाते हैं कि हर मिठाई शक्कर से बनती है और शक्कर का स्रोत गन्ना होता है, इसलिए रसगुल्ले की जड़ गन्ना है. तेनालीराम के इस गणित से सारे दरबारी, व्यापारी और महाराज भी बेहद प्रभावित हो जाते हैं. तेनालीराम के तर्क से सहमत भी होते हैं और सभी हंस पड़ते हैं. यह भी पढ़ें: पंचतंत्र की कहानी: मूर्ख ब्राह्मण और तीन ठग
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