तेनालीराम की कहानी : तेनालीराम और सोने के आम (Tenali Rama And The Golden Mangoes)
आज के हाईटेक युग में जब बच्चों को हर जानकारी कंप्यूटर/इंटरनेट पर ही मिल रही है, उनका पैरेंट्स से जुड़ाव कम हो रहा है. साथ ही उन्हें मोरल वैल्यूज़ (Moral Values) भी पता नहीं चल पाती, ऐसे में बेड टाइम स्टोरीज़ (Bed Time Stories) जैसे- पंचतंत्र (Panchtantra) की सीख देने वाली पॉप्युलर कहानियों के ज़रिए न स़िर्फ आपकी बच्चे से बॉन्डिंग स्ट्रॉन्ग होगी, बल्कि उन्हें अच्छी बातें भी पता चलती हैं. राजा कृष्णदेव राय की माता बहुत बूढ़ी हो गई थीं और बढ़ती उम्र के चलते ही वे बहुत बीमार पड़ गईं. उन्हें लगा कि अब उनके बचने की उम्मीद नहीं है, तो उन्होंने अपनी अंतिम इच्छा राजा को बताई कि चूंकि उन्हें आम बहुत पसंद थे, इसलिए जीवन के अंतिम दिनों में वे आम दान करना चाहती थीं, सो उन्होंने राजा से ब्राह्मणों को आमों को दान करने की इच्छा प्रकट की. उनका मानना था कि इस तरह से दान करने से उन्हें स्वर्ग की प्राप्ति होगी, लेकिन इससे पहले कि उनकी यह इच्छा पूरी होती, वे चल बसीं. उनकी मत्यु के बाद राजा ने सभी विद्वान ब्राह्मणों को बुलाया और अपनी मां की अंतिम अपूर्ण इच्छा के बारे में बताया. ब्राह्मण सारा माजरा सुनकर बोले कि यह तो बहुत ही बुरा हुआ महाराज, अंतिम इच्छा के पूरा न होने पर तो उन्हें मुक्ति ही नहीं मिलेगी और वे प्रेत योनि में भटकती रहेंगी, इसलिए आपको उनकी आत्मा की शांति का उपाय करना चाहिए. महाराज ने उनसे उपाय पूछा, तो ब्राह्मण बोले, उनकी आत्मा की शांति के लिए आपको उनकी तिथि पर सोने के आमों का दान करना पडेगा. महाराज मान गए और राजा ने मां की पुण्यतिथि पर कुछ ब्राह्मणों को भोजन के लिए बुलाया और प्रत्येक को सोने से बने आम दान में दिए. इस विषय के बारे में जब तेनालीराम को यह पता चला, तो वह तुरंत समझ गया कि ब्राह्मणों ने राजा की सरलता का लाभ फ़ायदा उठाकर उन्हें लूटा है, सो उसने उन ब्राह्मणों को सबक सिखाने की एक योजना बनाई. अगले दिन तेनालीराम ने ब्राह्मणों को निमंत्रण-पत्र भेजा, जिसमें लिखा था कि तेनालीराम भी अपनी माता की पुण्यतिथि पर दान करना चाहता है, क्योंकि वे भी अपनी एक अधूरी इच्छा लेकर मरी थीं. यह भी पढ़ें: पंचतंत्र की कहानी: खरगोश, तीतर और धूर्त बिल्ली (Panchtantra Story: The Hare, Partridge & Cunning Cat) जबसे उसे पता चला है कि उसकी मां की अंतिम इच्छा पूरी न होने के कारण प्रेत-योनि में भटक रही होंगी, वह बहुत ही दुखी है और चाहता है कि जल्दी उसकी मां की आत्मा को शांति मिले. ब्राह्मणों ने सोचा कि तेनालीराम शाही विदूषक है, ऐसे में उसके घर से उन्हें बहुत अधिक दान मिलेगा. सभी ब्राह्मण निश्चित दिन तेनालीराम के घर पहुंच गए. ब्राह्मणों को स्वादिष्ट भोजन परोसा गया. भोजन करने के बाद सभी दान मिलने की प्रतीक्षा करने लगे, तभी उन्होंने देखा कि तेनालीराम लोहे के सलाखों को आग में गर्म कर रहा है. पूछने पर तेनालीराम ने बताया कि मेरी मां फोड़ों के दर्द से परेशान थीं, मृत्यु के समय उन्हें बहुत तेज़ दर्द हो रहा था, पर इससे पहले कि मैं गर्म सलाखों से उनकी सिंकाई करता, वह मर चुकी थीं. अब उनकी आत्मा की शांति के लिए मुझे आपके साथ वैसा ही करना पड़ेगा, जैसी कि उनकी अंतिम इच्छा थी. वे गुस्से में तेनालीराम से बोले कि क्या तुम मूर्ख हो, भला हमें गर्म सलाखों से दागने पर तुम्हारी मां की आत्मा को शांति मिलेगी? तेनालीरामा ने कहा कि महाशय, यदि सोने के आम दान में देने से महाराज की मां की आत्मा को स्वर्ग में शांति मिल सकती है, तो मैं अपनी मां की अंतिम इच्छा क्यों नहीं पूरी कर सकता? यह सुनते ही सभी ब्राह्मण समझ गए कि तेनालीराम क्या कहना चाहता है. वे बोले, हमें क्षमा करो, हम वे सोने के आम तुम्हें दे देते हैं. बस तुम हमें जाने दो. तेनालीराम ने सोने के आम लेकर ब्राह्मणों को जाने दिया, परंतु एक लालची ब्राह्मण ने सारी बात राजा को जाकर बता दी. यह सुनकर राजा क्रोधित हो गए और उन्होंने तेनालीराम को बुलाया. वे बोले, तेनालीराम यदि तुम्हें सोने के आम चाहिए थे, तो मुझसे मांग लेते. तुम इतने लालची कैसे हो गए कि तुमने ब्राह्मणों से सोने के आम ले लिए? यह सुन तेनालीरामा ने कहा कि महाराज, मैं लालची नहीं हूं, मैं तो उनकी लालच की प्रवृत्ति को रोक रहा था. यदि वे आपकी मां की पुण्यतिथि पर सोने के आम ग्रहण कर सकते हैं, तो मेरी मां की पुण्यतिथि पर लोहे की गर्म सलाखें क्यों नहीं झेल सकते? राजा तेनालीराम की बातों का अर्थ समझ गए, उन्होंने ब्राह्मणों को बुलाया और उन्हें भविष्य में लालच त्यागने को कहा. सीख: लालच का फल हमेशा पूरा ही होता है. यह भी पढ़ें: पंचतंत्र की कहानी: लालची कुत्ता (Panchtantra Ki Kahani: The Greedy Dog)
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