"यह दाग़ तो आपके चेहरे पर रह ही जाएगा."
डॉक्टर संजना मुस्कुराते हुए बोली.
"कोई बात नहीं रिद्धि, अगर दाग़ चेहरे पर लग गया तो कोई हर्ज नहीं… लेकिन मेरी आत्मा पर नहीं लगना चाहिए था!
वैसे भी हम अपने अंदर के इंसानियत को खोते जा रहे हैं तो कुछ दाग़ तो हमारे ऊपर ज़िंदगीभर ही रहेंगे. हम उनसे कैसे बरी हो सकते हैं?"
"हेलो… हेलो डॉ सिन्हा इट्स टू इमरजेंसी… आप जल्दी से आ जाइए. आपकी पेशेंट सीरियस हो गई है." डॉ. रिद्धि ने घबराते हुए अपने सीनियर डॉ. संजना सिन्हा को फोन करते हुए कहा.
डॉ. सिन्हा शहर की जानी-मानी गायनाकोलॉजिस्ट हैं.
उनकी क्लिनिक में गीता नाम की एक सीरियस मरीज़ आई थी. गीता प्रेग्नेंट थी, लेकिन उसे बहुत ही ज़्यादा कॉप्लिकेशन था, जिसके कारण बच्चे और मां दोनों की ज़िंदगी को ख़तरा हो गया था. डॉ. संजना बड़ी मेहनत व अपने अनुभव से उसे हर ख़तरे से बचाती आ रही थी. उसके प्रसव का समय नज़दीक आ रहा था.
एक दिन संजना को ड्यूटी में किसी सरकारी अस्पताल में जाना पड़ा.
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वह अपने असिस्टेंट डॉक्टर रिद्धि को कहकर चली गई थी.
"सुबह तक तो ठीक थी, अचानक क्या हो गया?" संजना हड़बडाते हुए फोन पर बात करते हुए बाहर निकल गई.
उसने कहा, "रिद्धि, पेशंट पर नज़र रखना. मेरी मेहनत बेकार नहीं होनी चाहिए. मैं बस पहुंच ही रही हूं."
वह जल्दी से गाड़ी की ड्राइविंग सीट पर बैठ गई. बदक़िस्मती से आज उसका ड्राइवर भी नहीं था. उसे ख़ुद ही ड्राइव करके शांतिनिकेतन, अपने क्लिनिक जाना था.
संजना गाड़ी चलाने लगी. वैसे तो गाड़ी चलाना उसका काफ़ी पुराना शौक था, लेकिन पिछले कई सालों से वह ड्राइवर के भरोसे ही रहा करती थी. आज ड्राइवर छुट्टी पर था. उसे ख़ुद गाड़ी चला कर ही अपने क्लीनिक पहुंचना था.
जैसे संजना ने गाड़ी को बैक कर गाड़ी को सीधा कर मेन रोड पर लेकर आई, उसके पीछे खड़ी गाड़ी उसकी गाड़ी से हल्की सी टच हो गई. वह गाड़ी से उतर कर पीछे वाले खड़े गाड़ी के पास पहुंची. उसने देखा उसकी गाड़ी से हल्का डेंट उसकी गाड़ी में लग गया है. उसने उस आदमी से जाकर माफ़ी मांगते हुए कहा, "आपकी गाड़ी को थोड़ा सा स्क्रैच लग गया है, जो भी आपका ख़र्चा आएगा, मैं आपको पेमेंट कर दूंगी. आप मुझे अपना नंबर दे दीजिए."
वह गाड़ी वाला सनकी था. वो चिल्लाते हुए भला-बुरा कहने लगा. संजना ने उसे समझाने की कोशिश की.
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"मैं भाग नहीं रही हूं, मुझे जल्दी कहीं पहुंचना है. आपकी गाड़ी में जितना भी ख़र्चा लगेगा मैं उसका ख़ामियाजा भरने के लिए तैयार हूं , प्लीज़ आप मुझे जाने दीजिए."
लेकिन वह व्यक्ति वहां लोगों का हुजूम तैयार कर लिया और उन लोगों ने डॉक्टर के साथ बदसलूकी भी शुरू कर दी.
संजना बहुत टेंशन में थी. उसने हाथ जोड़ा और कहा, "प्लीज़ मेरी पेशेंट बहुत ख़तरे में है. मुझे जाने दीजिए, मैं आपके सारे नुक़सान की भरपाई कर दूंगी."
लेकिन वह आदमी और उसके साथ खड़े हुए लोग कुछ भी सुनने के लिए तैयार नहीं थे.
संजना को मारपीट करते हुए उन लोगों ने उसे ज़ख़्मी कर दिया.
किसी तरह से खड़े कुछ लोगों ने पुलिस को फोन कर दिया. पुलिस के आने के बाद वे लोग वहां से भाग गए.
संजना को भी मेडिकल की ज़रूरत थी.उसने पुलिस अधिकारी से कहा, "मेरी चिंता छोड़ दीजिए. मेरे करियर में आज तक किसी ने कोई दाग़ नहीं लगाया. आज एक दाग़ मेरी आत्मा पर लग जाएगा यदि मैं सही समय पर नहीं पहुंची तो. यदि हो सके तो आप लोग मुझे मेरी क्लीनिक तक पहुंचा दीजिए."
संजना के हाथ, चेहरे से खून बह रहा था फिर भी उसने कोई उपचार नहीं लिया.
वह तुरंत पुलिस की मदद से अपनी क्लीनिक पहुंची.
पेशेंट काफ़ी सीरियस हो चुकी थी.
संजना को ज़ख़्मी हालत में देखकर सभी लोग घबरा गए.
वह फर्स्ट एड लेकर डिलीवरी रूम में घुस गई. बड़ी बारीकी से उसने गीता की सारी रिपोर्ट पर ध्यान देने के बाद जुड़वां बच्चों को जन्म कराया.
गीता शरीर से कमज़ोर थी. तमाम कॉप्लिकेशन के बावजूद उसके दोनों बच्चे सकुशल पैदा हो गए.
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संजना बहुत ख़ुश थी. डॉ. रिद्धि ने संजना के चेहरे के ज़ख़्म साफ़ करते हुए कहा, "यह दाग़ तो आपके चेहरे पर रह ही जाएगा."
डॉ. संजना मुस्कुराते हुए बोली, "कोई बात नहीं रिद्धि, अगर दाग़ चेहरे पर लग गया तो कोई हर्ज नहीं… लेकिन मेरी आत्मा पर नहीं लगना चाहिए था! वैसे भी हम अपने अंदर के इंसानियत को खोते जा रहे हैं तो कुछ दाग़ तो हमारे ऊपर ज़िंदगीभर ही रहेंगे. हम उनसे कैसे बरी हो सकते हैं?"
पुलिस ने उन बदमाशों के ख़िलाफ़ रिपोर्ट लिखा और तहक़ीकात शुरू कर दी थी.
उन्होंने संजना को आश्वासन दिया, "हम जल्द ही अपराधियों को पकड़कर सज़ा दिलाएंगे."
संजना उन्हें धन्यवाद देकर अपने काम पर लग गई.
– सीमा प्रियदर्शिनी सहाय
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