मैं एकटक मां को देख रही थी, इतनी ख़ुश! जैसे एक छोटी सी बच्ची मग्न होकर कोई बात बता रही हो…
"कहां खोई हुई हो सिम्मी?.. सुनो, कितना लगा?" मां का चेहरा अचानक गंभीर हो गया.
"ज़्यादा नहीं मां, पांच सौ में सब हो गया… बताया था ना सहेली के भाई का है… बताओ ना, फिर क्या लगाया बालों में?"
"मैं यहां बाल नहीं कटवाऊंगी! होटल जैसा पार्लर है, लंबा बिल फाड़ेंगे. चलो सिम्मी…" मां मेरा हाथ पकड़कर बाहर ले जाने लगीं.
"मां! बिटिया कमाती है आपकी…और बताया था ना कि वर्षा के भाई का पार्लर है. डिस्काउंट मिल जाएगा अच्छा-ख़ासा... अच्छा सुनो, स्पा करवाओगी?" मेरी आंखें चमकने लगीं. कभी भी मां ढंग के पार्लर नहीं गईं, इसीलिए जब भी इस गाॅर्जस पार्लर एंड स्पा के सामने से गुज़रती थी, बस मां ही ध्यान में आती थीं.
मां को किसी तरह राज़ी करके अंदर भेजा और बिलिंग काउंटर पर पहुंची, "एक्सक्यूज़ मी! वहां लिखा है, पेमेंट पहले करना है… हेयरकट, हेयर स्पा और बॉडी स्पा! कितना हुआ?"
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"तीन हज़ार आठ सौ." सुसज्जित रिसेप्शनिस्ट ने मुस्कुराते हुए पर्ची मेरी ओर बढ़ाई.
हैं! इतना ज़्यादा! वर्षा का भी ज़िक्र किया, उसके नाम पर भी कोई डिस्काउंट नहीं… मां सही कह रही थीं. यहां आना ही नहीं चाहिए था…
"हो गया मां? कैसा लगा?" मेरा मुंह उतरा हुआ था, मन किया जल्दी से यहां की लूट बताकर भड़ास निकाल दूं. पता है यहां…" मेरी बात मां ने बीच में ही काट दी, "पूछो मत कैसा लगा. पता नहीं कौन-कौन से तेल लगा रही थीं. लग रहा था सालों की थकान निकली जा रही है. भाप वाली इतनी बड़ी मशीन... देखो, बाल देखो, कैसे रुई जैसे हो गए!"
मैं एकटक मां को देख रही थी, इतनी ख़ुश! जैसे एक छोटी सी बच्ची मग्न होकर कोई बात बता रही हो...
"कहां खोई हुई हो सिम्मी?.. सुनो, कितना लगा?" मां का चेहरा अचानक गंभीर हो गया.
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"ज़्यादा नहीं मां, पांच सौ में सब हो गया… बताया था ना सहेली के भाई का है… बताओ ना, फिर क्या लगाया बालों में?"
मां का ध्यान हटाते हुए मैंने 'तीन हज़ार आठ सौ' की पर्ची गुड़मुड़ाकर कूड़ेदान में फेंक दी; मां की इस तृप्त मुस्कान पर ऐसे लाखों बिल कुर्बान!
- लकी राजीव
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