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कहानी- ठूंठ जैसी लगती हूं… (Short Story- Toonth Jaisi Lagti hun…)

वो लड़के तो सलाखों के पीछे क़ैद हुए, मेरी बच्ची खुली दुनिया में भी क़ैद होकर रह गई. कभी अपना अधजला चेहरा देखती, कभी अपनी आधी-अकड़ी हुई उंगलियां… फिर फूट-फूटकर रो पड़ती, "मां, बिल्कुल ठूंठ जैसी लगती हूं ना!.."

"मां, ग़ुस्सा मत करो प्लीज़… देख रही हो ना कितनी भीड़ है आज पार्लर में! पानी पीने की फ़ुर्सत नहीं… खाना कैसे खा लेती?" विनी मेरे पास आकर बैठी ही थी कि उसकी सहायिका बुलाने चली आई, "विनीता मैम, एक बार देख लीजिए, मेकअप ठीक हुआ है क्या?"
विनी अपनी आधी-अधूरी उंगलियों को घुमा-घुमाकर मेकअप ठीक करने लगी, मैं कटकर रह गई. इतनी दुल्हनों को तैयार करती है, ख़ुद नहीं बेचैन होती होगी इस रूप में आने के लिए?..
पांच साल हो गए उस बात को.. कॉलेज के लड़कों ने तेजाब फेंककर इसका तन ही नहीं मन भी जला दिया था. वो लड़के तो सलाखों के पीछे क़ैद हुए, मेरी बच्ची खुली दुनिया में भी क़ैद होकर रह गई. कभी अपना अधजला चेहरा देखती, कभी अपनी आधी-अकड़ी हुई उंगलियां… फिर फूट-फूटकर रो पड़ती, "मां, बिल्कुल ठूंठ जैसी लगती हूं ना!.."

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धीरे-धीरे खोल से बाहर निकली, अपना पार्लर खोला, नाम भी तो कैसा रखा- रेनेसां यानी 'पुनर्जागरण'… सबने नाम का विरोध किया तो बोली,‌ "ये केवल एक पार्लर नहीं, उन सब महिलाओं का आश्रय है जिनका कोई नहीं है!"… एक से दो जुड़े, दो से चार और आज पचास से भी ज़्यादा लोगों का परिवार है.
"क्या सोच रही हो मां? ईमेल देख लूं, फिर खाना खाते हैं…" उसकी आवाज़ सुनकर मैं अतीत से वापस लौटी, देखा लैपटॉप में कुछ पढ़ते-पढ़ते उसकी आंखें डबडबा आई थीं. मैंने घबराकर लैपटॉप अपनी ओर घुमाया… हैं! सौंदर्य प्रसाधन की बहुत बड़ी कंपनी 'रेनेसां' से जुड़ना और महिला दिवस पर पूरी टीम को सम्मानित करना चाहती है.

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"रोना नहीं बेटा! आज तो हंसने-मुस्कुराने का दिन है." मैं भर्राए स्वर में बोली.
"मां…" सुबकते हुए विनी मुझसे लिपट गई, "ठूंठ में से कोंपल निकल रही है."

Lucky Rajiv
लकी राजीव

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Photo Courtesy: Freepik

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