"वही तो! कुछ चीज़ें ऐसी होती हैं, जिनका नाम भी नहीं शामिल होता है सामग्री में, लेकिन वही स्वाद और ख़ुशबू बढ़ा देते हैं. जैसे बंदगोभी में बेसन, कढ़ी में कसूरी मेथी… और टमाटर के सूप में पुदीना. इनको अंग्रेज़ी में कुछ कहते हैं, सीक्रेट जैसा…"
" अरे हां मां, सीक्रेट इंग्रीडिएंट्स." मां की समझदारी पर एक बार फिर मुझे गर्व हुआ. मां के तो गुणों ने ही तो इस मकान को घर बनाया है.
"चलो मां, बाहर सब बुला रहे हैं आपको."
"अरे नहीं! मुझे रसोईं में रहना ज़रूरी है, ये लोग गड़बड़ कर देते हैं." मां नौकरों की ओर इशारा करके फुसफुसाईं.
मैं बचपन से ये देखती आई हूं, जब भी घर में पापा के दोस्तों का जमावड़ा लगता, मां ज़्यादातर समय रसोईं में बितातीं. उन सबकी लटके-झटके दिखाने वाली पत्नियों के बीच कस्बाई माहौल में पली-बढ़ी मां सहज नहीं हो पाती थीं.
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"वैसे ये क्या किया आपने मां?.. टमाटर के सूप में पुदीना?"
"वही तो! कुछ चीज़ें ऐसी होती हैं, जिनका नाम भी नहीं शामिल होता है सामग्री में, लेकिन वही स्वाद और ख़ुशबू बढ़ा देते हैं. जैसे बंदगोभी में बेसन, कढ़ी में कसूरी मेथी… और टमाटर के सूप में पुदीना. इनको अंग्रेज़ी में कुछ कहते हैं, सीक्रेट जैसा…"
" अरे हां मां, सीक्रेट इंग्रीडिएंट्स." मां की समझदारी पर एक बार फिर मुझे गर्व हुआ. मां के तो गुणों ने ही तो इस मकान को घर बनाया है.
"चलो बाहर सुधा. यहीं घुसी हुई हो. वहां दुनियाभर की बातें हो रही हैं, तुम बस घर-गृहस्थी में… ऐसी औरतों को पता है क्या कहते हैं- कुएं का मेंढक!" पापा ग़ुस्से में इतना कुछ बोल गए, वो भी नौकरों के सामने. मां का चेहरा एकदम से मुरझा गया.
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मैं मां के गले में बांहें डालकर मुस्कुराते हुए बोली, "बिल्कुल ग़लत पापा, ऐसी औरतों को पता है क्या कहते हैं- सीक्रेट इंग्रीडिएंट्स!"
मां मुस्कुरा रही थीं और सूप की ख़ुशबू पूरे घर में फैल रही थी.
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