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पौराणिक कथा- समस्या का सामना (Short Story- Samasya Ka Samna)

पहरे पर खड़े बलराम ने कुछ समय पश्चात एक भयानक राक्षस की आकृति पास आती देखी. राक्षस ज़ोर से दहाड़ा, जिससे बलराम डर गए.
विचित्र बात यह हुई कि इस घटना के पश्चात राक्षस पहले से और भी बड़ा हो गया एवं बलराम पहले से छोटे.
राक्षस तब तक और समीप आ गया था. वह फिर से दहाड़ा और बलराम डर गए. इस बार फिर वही हुआ.

श्रीकृष्ण और बलराम कार्यवश दूसरे गांव जा रहे थे. रास्ते में घना जंगल आया. रास्ता अभी बाकी था, जब सूरज डूबने लगा. अंधियारे में चलना संभव नहीं था और जंगल में रात बिताना ख़तरनाक. श्रीकृष्ण ने सुझाया कि हम बारी-बारी सो कर रात बिता लें. पहले श्रीकृष्ण सो गए एवं बलराम पहरा देने लगे. सोने से पहले श्रीकृष्ण ने उनसे से कह दिया था कि तुम्हें जब भी नींद आने लगे मुझे जगा देना.
पहरे पर खड़े बलराम ने कुछ समय पश्चात एक भयानक राक्षस की आकृति पास आती देखी. राक्षस ज़ोर से दहाड़ा, जिससे बलराम डर गए.
विचित्र बात यह हुई कि इस घटना के पश्चात राक्षस पहले से और भी बड़ा हो गया एवं बलराम पहले से छोटे.
राक्षस तब तक और समीप आ गया था. वह फिर से दहाड़ा और बलराम डर गए. इस बार फिर वही हुआ. राक्षस कुछ और बड़ा हो गया एवं बलराम कुछ और छोटे.
अब तक राक्षस बहुत समीप आ चुका था, जिसे देख बलराम ने कृष्ण को पुकारा और मूर्छित हो गए.
अपना नाम सुन कृष्ण जग गए. उन्होंने सोचा कि बलराम को ज़ोर की नींद आई थी, तो वह मुझे उठा कर सो गया है.
कृष्ण पहरा देने लगे. कुछ देर के पश्चात उन्हें भी दूर राक्षस की आकृति दिखाई दी. वह ज़ोर से दहाड़ा, तो श्रीकृष्ण ने साहसपूर्वक पूछा, “क्यों चिल्ला रहे हो? क्या चाहिए तुम्हें?”
इस बार उल्टा असर पड़ा. राक्षस कुछ छोटा हो गया और श्रीकृष्ण बड़े.
पास आते हुए राक्षस ने एक बार फिर से दहाड़ मारी.
श्रीकृष्ण ने पूर्ववत् निर्भय होकर पूछा, “क्या चाहिए तुम्हें?”
राक्षस थोड़ा और छोटा हो गया और श्री कृष्ण बड़े. राक्षस अब तक कृष्ण के बहुत निकट पहुंच चुका था. आख़िरी प्रयास में वह फिर चीखा. कृष्ण ने मुस्कुराकर पूछा, “बोलो न क्या चाहिए?”
अब तक राक्षस बहुत छोटा हो चुका था. श्रीकृष्ण ने उसे अपनी हथेली पर लिया और अपनी धोती के कोने में बांध कमर में खोंस दिया.

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दूसरे दिन सुबह राह में बलराम ने उत्तेजित होते हुए कृष्ण को रात की आपबीती सुनाई, तो श्रीकृष्ण ने गांठ खोल राक्षस को निकालकर पूछा, “तुम इसकी बात कर रहे हो क्या?”
बलराम ने 'हां' में सिर हिलाते हुए पूछा, “पर यह तो बहुत बड़ा था, इतना छोटा कैसे हो गया?”
इस पर श्रीकृष्ण ने कहा, “जब हम जीवन में आने वाली चुनौतियों का सामना हिम्मत से नहीं करते, तो वह बड़ी लगने लगती हैं और हमें अपने नियन्त्रण में ले लेती हैं.
यह चुनौतियां हमारे जीवन में आई विपरीत परिस्थितियां हैं. जब हम पूरे बल और आत्मविश्वास से उनका मुक़ाबला करने की ठान लेते हैं, तो वही छोटी और कमज़ोर हो जाती हैं.
अतः उनसे बचने की कोशिश करने की बजाय हमें दृढ़ता से उनका सामना करना चाहिए!”

Usha Wadwa
उषा वधवा
Kahaniya

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