साधु ने कहा कि वह जंगल में ही रहना चाहते हैं, वह किसी राजा का न्योता स्वीकार नहीं करते.
मगर हां राजा को कुछ परेशान देखकर वे बोले, "तुम अपनी समस्या मुझे बता सकते हो."
राजा ने अपनी नींद ना आने की समस्या उन्हें बता दी.
"बस इतनी सी बात? ऐसा करो, मेरे पास तुम्हारी समस्या का समाधान है. तुम मेरी जो कुटिया है, उसमें कल सुबह आना."
बहुत पुरानी बात है एक राजा था. वह अपनी प्रजा से बहुत प्यार करता था. उसके जीवन में सारी ख़ुशियां थी. बस एक ही दुख था कि उसे नींद नहीं आती थी. वह सुबह उठकर दरबार जाता लोगों की समस्याएं सुनते बड़े ही ध्यान से उन्हें सुनता-समझता और उनका समाधान बताता.
उसके दरबार के दरवाज़े सबके लिए खुले थे. गरीब हो या अमीर छोटा हो या बड़ा हर व्यक्ति उससे समस्या का समाधान मांगने किसी भी समय आ सकता था. इसीलिए राजा यह सोचता था कि वह बहुत अच्छा है. हालांकि उसे अपनी अच्छाई का कोई घमंड नहीं था, मतलब वह दूसरों के साथ बुरा बर्ताव या उन्हें नीचा दिखाने जैसा बर्ताव कभी नहीं करता था. लेकिन अक्सर वह खीझ जाया करता, क्योंकि पूरी रात सो न पाने के कारण अक्सर उसकी बुद्धि ठीक से काम नहीं करती थी. वह परेशान रहा करता था.
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एक बार उसके राज्य के पास वाले जंगल में एक साधु रहने आए. उन दिनों यह परंपरा थी कि राजा अपने पास वाले जंगल में रहने आए साधु से आशीर्वाद लेने और उन्हें अपने यहां आने का न्योता देने जाया करते थे.
साधु ने कहा कि वह जंगल में ही रहना चाहते हैं, वह किसी राजा का न्योता स्वीकार नहीं करते.
मगर हां राजा को कुछ परेशान देखकर वे बोले, "तुम अपनी समस्या मुझे बता सकते हो."
राजा ने अपनी नींद ना आने की समस्या उन्हें बता दी.
"बस इतनी सी बात? ऐसा करो, मेरे पास तुम्हारी समस्या का समाधान है. तुम मेरी जो कुटिया है, उसमें कल सुबह आना."
राजा ने पूछा, "कल सुबह क्यों?"
साधु ने कहा, "मेरे पास एक ऐसी जड़ी-बूटी है, जिसे खाकर तुम्हारी नींद ना आने की समस्या ख़त्म हो सकती है. लेकिन एक समस्या है वह जड़ी-बूटी, तभी असर करती है जब सुबह खाली पेट कोई इंसान ख़ुद उस जड़ी-बूटी को तोड़े और खरल में पीस लें और खाए. और जैसा कि तुम देख ही रहे हो मैंने कुटिया बनाई है और इसके आसपास काफ़ी बड़े घेरे में बाड़ बनवा करके एक गेट लगाया है. उसके अंदर रथ का प्रवेश वर्जित है. उसके अंदर रथ लेकर नहीं आ सकते. यह मेरा नियम है. मैंने नियम बनाया हुआ है. ऐसा करो कि तुम कल सुबह आना."
दूसरे दिन सुबह साधु के कहने के अनुसार राजा उनकी कुटिया के गेट पर पहुंच गया. वहां रथ छोड़कर उसने शिष्यों से पूछा, "जड़ी-बूटी तक जाने का रास्ता कौन सा है?"
काफ़ी लंबे रास्ते से चलकर राजा बूटी तक पहुंचा. बूटी तोड़ी और शिष्यों से खरल का पता पूछा. फिर घर ढूंढ़ने के लिए भी उसे बहुत चलना पड़ा. फिर उसने वह बूटी पीसी और खाई. रात में उसे बिस्तर पर लेटते ही नींद आ गई.
सुबह उसने सोचा उसे साधु को धन्यवाद कहना चाहिए. वह साधु का धन्यवाद करने पहुंच गया. उसे यह भी पूछा, "मुझे बताइए कि यह कौन सी बूटी है, ताकि मैं अपने वैद्य को बूटी का पता बता दूं, जिससे वह ऐसे सभी रोगियों को यह जड़ी-बूटी दे सकें, जिन्हें नींद नहीं आती है."
इस पर साधु हंसने लगे. कहने लगे, "यह तो एक साधारण सा साग है. तुमने बहुत बार खाया होगा. यह कोई जड़ी-बूटी नहीं है. तुम्हारी समस्या इसलिए थी, क्योंकि तुम शारीरिक श्रम नहीं करते थे. व्यायाम नहीं करते थे और बिना व्यायाम के नींद नहीं आती है. मैंने इस जड़ी-बूटी को खिलाने के बहाने तुमसे व्यायाम करवाया और इसीलिए तुम्हें नींद आने लगी."
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राजा को बात समझ में आ गई. साधु उसे समझाना चाहते थे कि अच्छा होना दुनिया के लिए सही हो सकता है, लेकिन अपनी सेहत का ध्यान रखने के लिए ऐसा भी करना पड़ता है, जो शायद हमें लगे कि हम सिर्फ़ हमारे लिए कर रहे हैं. लेकिन वह भी ज़रूरी होता है.
- भावना प्रकाश
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