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लघुकथा- प्रगति (Short Story- Pragati)

मंत्री, "अरे जनता बहुत चालू चीज़ हो चुकी है. अब कंबल से काम नही चलेगा.. कुछ उससे ऊपर जाना होगा.. प्रगति करना पडे़गा…"

कार्यकर्त्ता, " मंत्रीजी आधी ठंड गुज़र चुकी है और आपने वो कंबल बांटने का एक दिन भी कार्यक्रम नहीं रखा. ऐसा ना हो कि जनता इस बार बिदक जाए. चुनाव में बड़ी मुसीबत हो जाएगी."
मंत्री, "अरे जनता बहुत चालू चीज़ हो चुकी है. अब कंबल से काम नही चलेगा.. कुछ उससे ऊपर जाना होगा.. प्रगति करना पडे़गा…"

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"तब क्या करेंगे?"
"इस बार मुर्गा और शराब ठंड में बांटूगा."
"अगर अभी मुर्गा बांटोगे, तो चुनाव में क्या बांटोगे?"
"चुनाव में नोट और योजना रूपी लॉलीपॉप बांटूगा."
कार्यकर्ता मंत्रीजी की बुद्धि देखकर हैरत में पड़ गया. साथ ही उनकी बुद्धि का लोहा भी मान लिया.
- रेखा शाह


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Photo Courtesy: Freepik

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