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कहानी- पसंद (Short Story- Pasand)

"बेटा, तेरी मां तो स्नेह और ममत्व से भरी हुई स्त्री थीं. वो हमेशा मेरी और इस परिवार की पसंद को ही अपनी पसंद मानती थी. उसके पास सबकी पसंद-नापसंद की फ़ेहरिस्त थी, पर मैंने या शायद किसी ने भी कभी उसकी पसंद जानने की कोशिश नहीं की.''

साल भर पहले आलोक की मां दमयंतीजी की मृत्यु हृदय गति के रुकने से हो गई थी. इस वर्ष दमयंतीजी का पितरों में मिलान कर उनका श्राद्ध करना था. श्राद्ध की सामग्री की जानकारी के लिए पंडितजी को बुलाया गया और पूछा गया कि श्राद्ध में क्या-क्या सामान लगना है.
पंडितजी ने समान की लिस्ट आलोक के हाथ मे  देते हुए कहा, "यह समान ले आना और श्राद्ध वाले दिन अपनी मां की पसंद के कुछ पकवान बनवाना लेना. इससे उनकी आत्मा को शांति मिलेगी."
इतना सुनते ही आलोक ने अपनी पत्नी से मां की पसंद पूछी, तो आलोक की पत्नी बोली, "मुझे क्या मालूम उन्हें खाने में क्या पसंद था, मैं जो भी बनाती थीं, मांजी वही प्यार से खा लेती थीं. मुझे उन्होंने कभी बताया ही नहीं की उन्हें खाने में क्या पसंद है, पर आप तो उनके  बेटे हैं, आपको पता होना चाहिए कि उनको खाने में क्या पसंद था."

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आलोक ने शर्मिंदा होते हुए कहा, "सच में मैं कैसा नालायक बेटा हूं… मैंने कभी मां की पसंद जानी ही नहीं. मैं तो हमेशा उन्हें अपनी ही पसंद बताता रहा.''  उदास होकर आलोक अपने पिता के पास जाकर बोला, ''पिताजी, मां को खाने में क्या पसंद था? उनके श्राद्ध में उनकी पसन्द की कुछ चीज़ें बनवानी हैं. आप तो उनके जीवनसाथी थे आप तो जानते ही होगें कि मां की पसंद और नापसंद क्या थी?''
बेटे के इस प्रश्न पर दमयंतीजी के पति कुछ देर गंभीरता से सोचते हुए बोले, "बेटा, तेरी मां तो स्नेह और ममत्व से भरी हुई स्त्री थीं. वो हमेशा मेरी और इस परिवार की पसंद को ही अपनी पसंद मानती थी. उसके पास सबकी पसंद-नापसंद की फ़ेहरिस्त थी, पर मैंने या शायद किसी ने भी कभी उसकी पसंद जानने की कोशिश नहीं की.''

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यह कहते हुए उनकी आंखों में पश्ताचाप के आंसू छलक उठे.

writer poorti vaibhav khare
पूर्ति खरे


 

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Photo Courtesy: Freepik

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