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कहानी- नया साल मुबारक़ हो!.. (Short Story- Naya Saal Mubark Ho!..)

''तुम बी.एड. ख़त्म करके अध्यापक बनने जा रहे हो. तुम्हें वैसे भी जल्दी उठने और अनुशासन में रहने की आदत डाल लेनी चाहिए. तुम आने वाली भावी पीढ़ी का मार्गदर्शन करोगे, लेकिन अगर तुम स्वयं ही अनुशासनहीन जीवनशैली को अपनाओगे तो क्या ख़ाक अपने विद्यार्थियों को शिक्षित और अनुशासित करोगे?'' 

''नितिन बेटा! रात बहुत हो गई है सो जाओ, कब तक मोबाइल पर यूं आंखें गढ़ाए रहोगे, कल नए साल का पहला दिन है, अगर कल भी देर से जागे, तो पूरी साल देर से जागोगे.'' नींद से भारी हो रही पलकों को हल्का सा खोलते हुए मैंने अपने नाती नितिन से कहा, तो वह मेरी बात पर हंसता हुआ बोला, ''क्या दादी! ऐसा कुछ नहीं होता, ज़रूरी नहीं हम साल के पहले दिन जो करें वही पूरी साल भी करें.''
''तुम मानो न मानो तुम्हारी मर्ज़ी पर हम लोग तो बचपन से ऐसा ही करते आए हैं. साल के पहले दिन हम सारे काम समय पर करते हैं, कोई न कोई बुरी आदत को त्यागकर कुछ नया और अच्छा अपनाते हैं, और वैसे भी कुछ नया और कुछ अलग न किया, तो किस बात का नया साल मुबारक़?''
इस बार नितिन ने मेरी बात का सिर्फ़  ''हम्म…'' में जवाब दिया, तो मैं आगे बोली, ''तुम बी.एड. ख़त्म करके अध्यापक बनने जा रहे हो. तुम्हें वैसे भी जल्दी उठने और अनुशासन में रहने की आदत डाल लेनी चाहिए. तुम आने वाली भावी पीढ़ी का मार्गदर्शन करोगे, लेकिन अगर तुम स्वयं ही अनुशासनहीन जीवनशैली को अपनाओगे तो क्या ख़ाक अपने विद्यार्थियों को शिक्षित और अनुशासित करोगे?'' यह कहते हुए मेरी आंख लग गई.
रोज़ की तरह मैं अलसुबह उठी, तो देखा पास के बेड पर नितिन नहीं था. आंखें मलते हुए अपना चश्मा पहनकर जब मैंने खिड़की से बाहर झांका, तो नितिन पौधों में पानी देता नज़र आया. मैं नारायण का नाम लेकर अपना बिस्तर समेटने लगी, तो नितिन आकर मेरे गले लगकर जोश में बोला, ''साल मुबारक़ हो दादी!''
''क्या बात है? तुम तो आज जल्दी उठ गए!''
''हां, क्योंकि आज नए साल का पहला दिन है, इसलिए आज से मेरे अध्यापक बनने की ट्रेंनिग शुरू.''
''पर तुम तो बी.एड. करके उसकी ट्रेनिंग पहले ही ले रहे हो न!''
''दादी, काग़ज़ों पर कितनी भी ट्रेंनिग ले लो, पर जब तक आप ख़ुद को किसी काम के लिए ट्रेंड न करो, तब तक काम नहीं बनता. कल रात की आपकी बातों से मेरे भीतर का भावी अध्यापक जाग गया. इसलिए आज से पुरानी बुरी आदतों को अलविदा बोलकर कुछ अच्छा और नया करूंगा.''
उसकी बात पर मुस्कुराते हुए मैं बोली, ''अच्छी बात है कि तुम साल के पहले दिन ही बदल गए. यह सकारात्मक बदलाव पूरे साल कायम रखना.''
''बिल्कुल दादी, मैं समझ गया कि साल का क्या है एक आएगा तो दूजा जाएगा, पर जाते हुए साल में कुछ बुरी आदतों को न छोड़ा तो क्या फ़ायदा? और आते हुए साल में कुछ नया और अच्छा न जोड़ा तो भी नए साल का क्या फ़ायदा?''
उसकी ऊर्जा से भरी बातें सुनकर मैं नितिन के सिर पर आशीष से भरा हाथ फेरती हुई बोली, ''यह भविष्य का होने वाला शिक्षक तो बड़ा ज्ञानी बन गया. फ़िलहाल मेरे प्यारे नाती को सुबह जल्दी उठने की एक अच्छी आदत के साथ नया साल मुबारक़ हो.''


writer poorti vaibhav khare
पूर्ति खरे

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Photo Courtesy: Freepik

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