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लघुकथा- ख़ुशबू-बदबू (Short Story- Khushboo-Badboo)

"अरे रामू भाई, यह बड़े लोग हैं. इन्हें गाय के गोबर साफ़ करने से बदबू आती है और कुत्ते के पोट्टी से ख़ुशबू आती है…" हट्टे-कट्टे और मोटे-तगड़े कुत्तों की तरफ़ देखते हुए वो बोला.

रामू सब्ज़ी का ठेला लेकर कॉलोनी में पहुंचा और आवाज़ लगाकर सब्ज़ियां बेचने लगा. मिसेज शर्मा के घर के सामने पहुंचा, तो देखा मिसेज शर्मा गली में आवारा घूमने वाली गाय को डंडे से मार कर भगा रही थीं. और उनके पीछे खड़े साथ में उनके विदेशी नस्ल के कुत्ते गाय के ऊपर भौंक रहे थे.
तो वह बोल पड़ा, "मैडम, क्यों गाय को मार रही हैं, वह तो बेचारी कचरे में अपना भोजन ढूंढ़ रही है बेजुबान जानवर है."

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"अरे तुम नहीं जानते, यह खाती भी यहीं पर है और हर तरफ़ गोबर करके गंदा कर देती हैं, जिसे मुझे साफ़ करना पड़ता है."
रामू निरुत्तर हो गया. आख़िर उनकी इस बात‌ पर क्या कहता.
लेकिन यह सारा तमाशा एक भिखारी देख रहा था, जो रोज़ मोहल्ले में भीख मांगने आता था.
"अरे रामू भाई, यह बड़े लोग हैं. इन्हें गाय के गोबर साफ़ करने से बदबू आती है और कुत्ते के पोट्टी से ख़ुशबू आती है…" हट्टे-कट्टे और मोटे-तगड़े कुत्तों की तरफ़ देखते हुए वो बोला.
उसका जवाब सुनकर मैडम भिन्ना उठी.
- रेखा शाह


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Photo Courtesy: Freepik

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