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कहानी- हुमा (Short Story- Huma)

“यह तुम मानते हो, मैं नहीं. तुम्हें यह जानकर आश्चर्य होगा कि मैं एक दिन हुमा की खोज में अवश्य निकलूंगा. मुझे लगता है मेरा भाग्य उदय होने वाला है.” सेरिगोन ने कहा.
“तुम्हारे से पहले यदि अनजाने में किसी अहेरी ने उसे पकड़ कर मार दिया तो! फिर तुम्हारा प्रयोजन सफल कैसे होगा?” वेंगा ने पूछा.
“उसे पकड़ना और मारना तो बिल्कुल ही संभव नहीं है. और यदि ऐसा संभव हुआ, तो उसे मारने वाला व्यक्ति चालीस दिन के भीतर स्वयं मर जाएगा.” सेरिगोन ने स्पष्ट किया.


पोटामिया के मुहाने पर सुमेरियन से लेकर बीच के भाग बेबीलोन तक बेसिलिस्क का प्रभाव था. ख़ासकर बेबीलोन के खंडहरों में. दजला-फरात के इसी क्षेत्र में हुमा भी पाया जाता था. सुमेरियन लोग राजा बनने अथवा अपने महान भाग्य की कामना को लेकर हुमा की खोज में रहते थे; इस उम्मीद के साथ कि एक बार उसकी छाया उन पर पड़ जाए, लेकिन उन्हें बेसिलिस्क का खौफ़ भी था. बावजूद इसके वेंगा उसकी खोज में जाना चाहता था.
क्वार की धूप कड़कड़ा रही थी. वेंगा गोमला आज घर पर पहली बार टेपेस्ट्री ख़रीद कर लाया था. जिसे उसने अपने घर में डाइनिंग टेबल के ठीक सामने वाली खिड़की, जहां पहले चिलमन का पर्दा लगा हुआ था; वहां पर टांग दिया. टेपेस्ट्री पर उसने पहली बार एक विचित्र पक्षी का चित्र देखा जिसके सिर्फ़ एक पैर और एक पंख था. उसने पहले भी कई आयोजनों में पेंटिंग्स और मूर्तियां देखी, लेकिन इस तरह का आकर्षक और रहस्यमयी चित्र उसने पहले कभी नहीं देखा था.
उस रात वेंगा की आंखों में वही चित्र घूम रहा था. रात का दूसरा पहर चल रहा था. वेंगा की आंखों में स्वप्न तैरने लगा. स्वप्न देखिए- वसंत का पहला दिन है. वह ईरान के वार्षिक पर्व नौरोज़ में शामिल हुआ है. जहां उसकी मुलाक़ात एक इराकी नागरिक सेरिगोन से होती है, जो एक नामचीन पुराविद् था. वह उसे सुमेरियन युग में एक व्यक्ति के हुमा के प्रभाव से वहां का राजा बनने की दंत कथा सुनाता है.

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वेंगा उससे पूछता है, “कौन है हुमा? उसके प्रभाव से व्यक्ति राजा कैसे बन जाता है! ऐसा क्या है उसमें?”
सेरिगोन उसे बताता है, “हुमा अदृश्य रूप से धरती से ऊपर उड़ने वाला एक ऐसा पक्षी है, जो कभी ज़मीन पर नहीं उतरता. और यदि किसी के सिर पर बैठ जाए या उसके सिर के ऊपर से होकर निकल जाए, तो उसे राजा बना देता है. यानी वह महान भाग्य लाने वाला पक्षी है.”
“क्या तुम ऐसा मानते हो! और क्या यह संभव है?” वेंगा ने पूछा.
“मिथ लोक में इस तरह की किंवदंतियां प्रचलित हैं. और यह भी कि वह कुछ सौ साल में स्वयं को आग में जला लेता है और फिर उसी राख से पुनः उठ खड़ा होता है.” सेरिगोन ने जवाब दिया.
वेंगा को आश्चर्य होता है. वह कहता है, “मुझे लगता है कि एक तरह से वह कल्पना का प्राणी है और फिर सुमेरियन युग बीते कितना समय हो गया! अब इस युग में कहां हुमा और कहां उसका प्रभाव!”
“यह तुम मानते हो, मैं नहीं. तुम्हें यह जानकर आश्चर्य होगा कि मैं एक दिन हुमा की खोज में अवश्य निकलूंगा. मुझे लगता है मेरा भाग्य उदय होने वाला है.” सेरिगोन ने कहा.
“तुम्हारे से पहले यदि अनजाने में किसी शिकारी ने उसे पकड़ कर मार दिया तो! फिर तुम्हारा प्रयोजन सफल कैसे होगा?” वेंगा ने पूछा.
“उसे पकड़ना और मारना तो बिल्कुल ही संभव नहीं है. और यदि ऐसा संभव हुआ, तो उसे मारने वाला व्यक्ति चालीस दिन के भीतर स्वयं मर जाएगा.” सेरिगोन ने स्पष्ट किया.
“फिर तुम उसकी खोज क्यों नहीं करते! यहां क्या कर रहे हो?” वेंगा ने बात आगे बढ़ाई.
“मैं खुदाई से प्राप्त होने वाले एक शिलालेख का इंतज़ार कर रहा हूं. उसी से मुझे शक्तिशाली यूनिकॉर्न की प्राप्ति होगी. हुमा की खोज के समय उस क्षेत्र में यूनिकॉर्न बेसिलिस्क से लड़ने में मेरी मदद करेगा.”

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“अभी तुम हुमा की बात कर रहे थे. फिर यह बेसिलिस्क कौन है?” सेरिगोन की बात सुनकर वेंगा को आश्चर्य हुआ.
“बेबीलोन के खंडहरों में शैतान का प्रतिनिधित्व करता है बेसिलिस्क. वह किसी भी प्रलोभन के रूप में लोगों को अपनी ओर खींचकर मार सकता है. अपनी आंखों में देखने वालों के लिए वह मृत्यु का कारण बनता है, इसीलिए वहां के लोग उसे बेबीलोन का शैतान कहते हैं.”
इतना रहस्य जानकर हल्की सिहरन के साथ अब वेंगा के भीतर से अंतर्द्वंद्व की परतें खुलने लगी थीं. उसने पूछा, “क्या तुम बता सकते हो; हुमा किस तरह दिखता है?”
वेंगा के प्रश्न पर सेरिगोन ने अपनी डायरी के पन्नों के बीच फंसाकर रखे हुए हुमा के चित्र को निकालकर उसे दिखाया. चित्र देखकर वेंगा अवाक रह गया.
“अरे, यह तो वही पक्षी है, जो मेरी टेपेस्ट्री पर बना हुआ है.” वह मन ही मन बुदबुदाया.
चित्र देखकर वेंगा का स्वप्न भंग हो गया. उसने उठकर देखा, दीवार पर टंगी टेपेस्ट्री से हुमा का चित्र ग़ायब था. वह खाली जगह दूसरे चित्र और रंगों से भर गई थी। यह देखकर वेंगा के चेहरे पर पसीने की बूंदें तैर आईं.
इधर कल्पना एवं यथार्थ के बीच की दुनिया का रहस्य वेंगा को बेचैन कर रहा था. वह विचार मग्न हतप्रभ खड़ा रहा.
वसंत का उत्सव.. नौरोज.. सेरिगोन.. यूनिकॉर्न.. शैतान.. हुमा..! स्वप्न के सारे दृश्य उसके सामने दौड़ रहे थे. रात अब भी मौजूद थी, लेकिन अब उसकी आंखों में नींद कहां..! पहली बार उसे कोई स्वप्न यथार्थ में बदलता नज़र आ रहा था.
उसने खिड़की से टेपेस्ट्री को हटाया और समेटकर एक ओर रख दिया. खिड़की पर वापस चिलमन का पर्दा टांग दिया, जिसमें से फट्टियां निकल रही थीं. वह जर्जर अवस्था में पहुंच चुका था. वेंगा घर में चहल-कदमी करने लगा. बेसिलिस्क का खौफ़ भी उसके इर्द-गिर्द मंडरा रहा था.

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वह सोचने लगा, ‘टेपेस्ट्री के साथ हुमा का घर आना और स्वप्न का आना... सब एक साथ! क्या यह संयोग मात्र है या कहीं मेरे बेबीलोन की तरफ़ जाने और भाग्य बदलने का संकेत तो नहीं है! लेकिन हुमा तो यहीं था मेरे पास. वह मेरा भाग्य बदल सकता था. उसने ऐसा क्यों नहीं किया..! फिर क्या मुझे वसंत के उत्सव में जाना ही होगा! बिना यूनिकॉर्न के शैतान के क्षेत्र में जाना मौत को निमंत्रण देना है. काश! सेरिगोन को शिलालेख के बारे में कोई जानकारी होती, तो मैं भी यूनिकॉर्न तक पहुंच ही जाता.’


प्रिय पाठको! जादुई यथार्थवाद से लबरेज़ यह किस्सागोई जो मेरे ज़ेहन में संचित थी मैंने आपको बताई. अभी मेरी हद में यही कुछ था. वेंगा गोमला को यदि हुमा के प्रभाव से भाग्य बदलने या राजा बनने का मौक़ा मिलता है, तो आगे की कथा आपको अवश्य बताऊंगा. शेष‌ फिर...

डॉ. एस. डी. वैष्णव

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Photo Courtesy: Freepik

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