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कहानी- फेसबुक (Short Story- Facebook)

कुछ सोचकर सगाई समारोह की एक तस्वीर फेसबुक पर लगा दी, 'भांजी की सगाई'… बधाइयों का तांता लग गया. 'बढ़िया जोड़ी', 'सास बन गई तुम तो' जैसी बातें पढ़कर और खून जला जा रहा था, तब तक फोन की घंटी बजी.

"अभी तक वही‌ सोच रही हो ना? भले लोग हैं यार, जीजाजी ने सब जांच-पड़ताल करके रिश्ता तय किया है…" समीर मुझे समझा तो रहे थे, लेकिन मेरा मन मानने को तैयार नहीं था. भांजी की शादी जिस लड़के से हो रही थी, पता नहीं क्यों वो मुझे देखा हुआ लग रहा था. सगाई में मेरे पूछने पर मज़ाक में टाल गया, "नहीं मामीजी, आपका स्टूडेंट नहीं रहा हूं कभी…" 
मैंने एक और बात समीर के सामने रखी, "ये भी तो सोचिए, ना तो लड़का है फेसबुक पर ना उसके घर का कोई भी सदस्य… आजकल के ज़माने में थोड़ा अजीब नहीं लगता?"
"भाड़ में जाए तुम्हारा फेसबुक. जो वहां नहीं है वो ग़लत है… है ना? अच्छा तुम दिमाग़ खपाओ, मुझे नींद आ रही है."
मेरी तो नींद उड़ी हुई थी. भावी वर गिरीश और उसके पिताजी, दोनों को कहीं देखा हुआ है; वही चेहरा, वही खुराफाती आंखें और वही मक्कार मुस्कुराहट!

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कुछ सोचकर सगाई समारोह की एक तस्वीर फेसबुक पर लगा दी, 'भांजी की सगाई'… बधाइयों का तांता लग गया. 'बढ़िया जोड़ी', 'सास बन गई तुम तो' जैसी बातें पढ़कर और खून जला जा रहा था, तब तक फोन की घंटी बजी.
"ये किसकी फोटो लगाई है तुमने?" मेरी सहकर्मी मानसी हड़बड़ाई हुई थी.
"मेरी भांजी है, मतलब ननद की बेटी… क्या हुआ?"
"ये तो गिरीश है यार! तुमको पिछले साल इसकी फोटो नहीं दिखाई थी?.. अरे, वही लड़का है, जो शादी वाले दिन लेन-देन को‌ लेकर मेरी भतीजी से शादी तोड़ गया था… हां वही लोग… केस भी चल रहा है इन लोगों पर… हां, हां तुरंत पहुंच रही हूं, सारी तस्वीरें लेकर… अपनी ननद का पता भेजो."
सच्चाई सुनकर समीर के होश‌ उड़ गए थे, ननद के कमरे में जाते हुए बोले, "सॉरी जानू, तुम पर इतना ग़ुस्साया मैं… अब क्या बोलूं…"

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मैंने इतराते हुए चिकोटी काटी, "फेसबुक को भाड़ में झोंक रहे थे ना, अब बोलिए जुग-जुग जिए फेसबुक!"

Lucky Rajiv
लकी राजीव

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Photo Courtesy: Freepik

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