"जी मैं कुछ नहीं करती, मैं बस एक हाउसवाइफ हूं." बहुत शर्मिंदा होते हुए उसने जवाब दिया जैसे की हाउसवाइफ होना कोई गुनाह हो.
"आप क्या करती हैं?"
दवाइयां लिखने के बाद डॉक्टर ने यूं ही उत्सुकतावश पूछ लिया. प्रश्न सुनकर उसके चेहरे पर मानो स्याही पुत गई. एक बेबसी, एक पीड़ा, एक छोटेपन का एहसास, एक नकारात्मक एहसास अपने व्यक्तित्व के बारे में क्या कुछ नहीं था उस स्याही में. आज तक घर-बाहर सब लोगों ने उसे यह स्याही ही तो दी थी.
"जी मैं कुछ नहीं करती, मैं बस एक हाउसवाइफ हूं." बहुत शर्मिंदा होते हुए उसने जवाब दिया जैसे की हाउसवाइफ होना कोई गुनाह हो.
यह भी पढ़ें: लेडी लक के बहाने महिलाओं को निशाना बनाना कितना सही? (Targeting Women In Name Of Lady Luck… )
"अरे वाह! तो इतना मायूस क्यों हो रही हो? आपको तो अपने आप पर गर्व होना चाहिए आप वह हो, जो चौबीसों घंटे ऑन ड्यूटी रहती हो आप इतनी महान हो, जो अपनी इच्छाओं का त्याग करके पूरे घर को ख़ुश रखती हो. आप तो होममेकर हो आज के बाद कभी मायूस नहीं होना. कभी अपने को कम नहीं समझना. आप तो सब कुछ हो."
यह भी पढ़ें: ख़ुद अपना ही सम्मान क्यों नहीं करतीं महिलाएं (Women Should Respect Herself)
वह क्लीनिक से बाहर निकली तो नए आत्मविश्वास से उसका चेहरा चमक रहा था.
- विनीता राहुरीकर
अधिक कहानियां/शॉर्ट स्टोरीज़ के लिए यहां क्लिक करें – SHORT STORIES
Photo Courtesy: Freepik
अभी सबस्क्राइब करें मेरी सहेली का एक साल का डिजिटल एडिशन सिर्फ़ ₹599 और पाएं ₹1000 का गिफ्ट वाउचर.