Close

कहानी- एक हाथ सिर पर बना रहे… (Short Story- Ek Hath Sir Par Bana Rahe…)

"बच्चे मां को कितना परेशान करते हैं तो क्या मां उन्हें आया को सौंप देती है? फिर वही बच्चे बड़े होने पर उसी मां की देखभाल के लिए आया रखने की बात क्यों करते हैं?" मधु बोली.

"लेकिन तुम्हारी अपनी भी तो कोई ज़िंदगी है. अपनी सेहत का भी ध्यान रखो." मीरा अब भी मांजी पर नाराज़ थी.

चाय का कप लेकर मधु कुर्सी पर बैठी ही थी कि कमरे से मांजी ने आवाज़ लगा दी. कप टेबल पर रखकर मधु उनके कमरे में चली गई. दो मिनट बाद वह वापस आई तो मीरा ने पूछा, "अभी तो सब कुछ कर दिया था तुमने उनका, अब फिर क्यों बुलाया था?"

"अरे उनका नैपकिन नहीं मिल रहा था उनको. तकिए के नीचे रखा था दे दिया." मधु ने बताया और चाय पीने लगी.

मधु की सासू मां नब्बे वर्ष की थीं. एक तो उम्र उस पर आंखों से बहुत कम दिखाई देता था. वे हर बात के लिए मधु को ही आवाज़ लगातीं. मधु भी उनकी आवाज़ पर तुरंत दौड़ी जाती. कई बार देखभाल करने के लिए नर्स भी रखी, लेकिन उन्हें हर काम के लिए मधु ही लगती. चार दिन से मीरा यही देख रही थी कि मधु न ठीक से खाना-नाश्ता कर पाती है और न चाय ही पी पाती है.

दोपहर में मांजी को खाना खिलाकर मधु और मीरा खाना खाने बैठी. अभी मुश्किल से एक रोटी ही खाई होगी मधु ने कि मांजी ने बाथरूम ले जाने के लिए आवाज़ लगा दी. मधु हाथ का कौर छोड़कर तुरंत दौड़ी. मीरा को बहुत बुरा लगा. जब मधु वापस आई, तो मीरा से रहा नहीं गया.

यह भी पढ़ें: 35 छोटी-छोटी बातें, जो रिश्तों में लाएंगी बड़ा बदलाव (35 Secrets To Successful And Happy Relationship)

"ये क्या है दीदी, तुम्हारी सास को इतना भी नहीं लगता कि कम से कम तुम्हे दो कौर सुख से खाने दे. और तुम भी एक आवाज़ पर सब छोड़ कर दौड़ी चली जाती हो." मीरा खीज कर बोली.

"अरे उन्हें समझता तो क्या वो ऐसे पुकारतीं क्या? कहते हैं न बच्चे और बूढ़े एक समान होते हैं. इस उम्र में वे भी बच्चे के समान हो गई हैं. जरा देर अकेली रहीं तो घबरा जाती हैं." मधु ने मुस्कुराते हुए कहा.

"तो कोई बाई रखो न उनके लिए. उम्र तो तुम्हारी भी साठ हो चली है. चार दिन से देख रही हूं तुम न ठीक से खा पाती हो, न आराम कर पाती हो." मीरा चिढ़कर बोली.

"बच्चे मां को कितना परेशान करते हैं तो क्या मां उन्हें आया को सौंप देती है? फिर वही बच्चे बड़े होने पर उसी मां की देखभाल के लिए आया रखने की बात क्यों करते हैं?" मधु बोली.

"लेकिन तुम्हारी अपनी भी तो कोई ज़िंदगी है. अपनी सेहत का भी ध्यान रखो." मीरा अब भी मांजी पर नाराज़ थी.

"मैंने तो फुल टाइम बाई रखी थी अपने सास-ससुर के लिए. ये सब मुझसे तो नहीं होता बाबा..." मीरा मुंह बिचकाकर बोली.

यह भी पढ़ें: लघुकथा- सासू बनाम मां… (Short Story- Sasu Banam Maa…)

"मीरा एक दिन सभी को चले जाना है. चले जाने के बाद फिर कुछ नहीं बचता. आज मांजी है तो कोई तो है सिर पर हाथ रखने वाला. एक तसल्ली रहती है मन को कि कोई तो बड़ा है मेरा. बच्चे अपने जीवन में सैटल हो गए. मनोहर आज भी व्यवसाय में व्यस्त रहते हैं. मांजी हैं तो दिनभर अकेलापन महसूस नहीं होता. किसी बड़े के घर में रहने से उनके आशीर्वाद की सकारात्मक ऊर्जा से घर ख़ुशहाल रहता है. आज भी जब कभी वो प्यार से सिर पर हाथ फेरती हैं तो उस ख़ुशी को मैं शब्दों में कह नहीं सकती. कोई तो है जिसकी गोद में मैं आज भी सिर रख लेती हूं. मैं तो यही चाहती हूं कि मांजी का हाथ मेरे सिर पर सदा बना रहे." मधु बोली.

यह भी पढ़ें: सास-बहू के रिश्तों को मिल रही है नई परिभाषा… (Daughter-In-Law And Mother-In-Law: Then Vs Now…)

तभी मांजी ने फिर मधु को आवाज़ लगाई. मधु हाथ धोकर उनके कमरे में चली गई. इस बार मीरा को बुरा नहीं लगा. वो भी मधु के पीछे-पीछे मांजी के कमरे में चली आई.

Dr. Vinita Rahurikar
विनीता राहुरीकर

अधिक कहानियां/शॉर्ट स्टोरीज़ के लिए यहां क्लिक करें – SHORT STORIES

अभी सबस्क्राइब करें मेरी सहेली का एक साल का डिजिटल एडिशन सिर्फ़ ₹599 और पाएं ₹1000 गिफ्ट वाउचर.

Share this article

https://www.perkemi.org/ Slot Gacor Slot Gacor Slot Gacor Slot Gacor Situs Slot Resmi https://htp.ac.id/ Slot Gacor Slot Gacor Slot Gacor Slot Gacor Slot Gacor Slot Gacor Slot Gacor https://pertanian.hsu.go.id/vendor/ https://onlineradio.jatengprov.go.id/media/ slot 777 Gacor https://www.opdagverden.dk/ https://perpustakaan.unhasa.ac.id/info/ https://perpustakaan.unhasa.ac.id/vendor/ https://www.unhasa.ac.id/demoslt/ https://mariposa.tw/ https://archvizone.com/