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लघुकथा- डर (Short Story- Darr)

"अरे मम्मी, लेकिन आप ऐसा क्यों कह रही हैं?"
"क्योंकि बेटा अब तुम्हारी शादी होने वाली है और भले ही हम अपनी तरफ़ से कितनी भी अच्छा परिवार देखकर चुनें और अपने घर में अच्छी बहू लाए. लेकिन आगे चलकर क्या होगा यह कोई नहीं जानता…"

राजू ऑफिस जाने के लिए तैयार होकर निकल रहा था, तो उसने देखा गार्डेन में धूप सेंकने बैठी मां बहुत चिंतित दिखाई दे रही थी. तो वह पूछ बैठा, "मम्मी आप क्या सोच रही है"
"राजू, मैं सोच रही हूं कि तुम कुछ योगासन या प्राणायाम क्लास ज्वाइन कर लो.. ताकि तुम्हारा मानसिक रूप से हेल्थ मज़बूत रहे. तुम छोटी-छोटी बातों में इमोशनल हो जाते हो… और…"
"अरे मम्मी, लेकिन आप ऐसा क्यों कह रही हैं?"

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"क्योंकि बेटा अब तुम्हारी शादी होने वाली है और भले ही हम अपनी तरफ़ से कितनी भी अच्छा परिवार देखकर चुनें और अपने घर में अच्छी बहू लाए. लेकिन आगे चलकर क्या होगा यह कोई नहीं जानता…
और मैं तुम्हें मानसिक रूप से मज़बूत इसलिए बनाना चाहती हूं, ताकि यदि कल को तुम्हारी बीवी तुम्हारे ऊपर प्रताड़ित करने के केस इत्यादि कर दे.. तो तुम मानसिक रूप से मज़बूत रहो और उस टॉर्चर को सहने की क्षमता तुममें रहे.. क्योंकि दुनियाभर के क़ानून स्त्री के पक्ष में है और मैं नहीं चाहती कि मेरा बेटा पीड़ित और टॉर्चर से हारकर अपने साथ कुछ ग़लत कर ले…"

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मां की बातों से निशब्द राजू की नज़र पेपर के हैडलाइन पर पड़ी, तो उस पर लिखा था- पत्नी से प्रताड़ित पुरुष क़ानून से गुहार लगाता रहा. लेकिन मदद नहीं मिलने पर सुसाइड कर लिया!..
- रेखा शाह

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Photo Courtesy: Freepik

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