"… वो जैसे फिल्मों में डॉक्टर पूछते हैं कि मां को बचाएं या बच्चे को… आप क्या करेंगे ऐसे में?"
कोशिश की, लेकिन मैं हंसी रोक नहीं पाया. मैं पागलों की तरह हंस रहा था… कीर्ति के आंसू आ गए थे. किसी तरह मनाया. कसम खाई कि आइंदा मज़ाक नहीं उड़ाऊंगा!
शादी से पहले जब मैं कीर्ति से मिला था, तभी उसने ऐलान कर दिया था, "मुझे फिल्मों का बहुत शौक है, और इस बाबत टोका-टाकी मुझे बिल्कुल पसंद नहीं." मैं भी फिल्में बहुत देखता था, अच्छा रहेगा… लेकिन मैं ग़लत था. मैंने बात को हल्के में लिया था, यहां स्थिति गंभीर थी!
श्रीमतीजी फिल्में देखती मात्र नहीं थीं, उनको जीवन में उतार लेती थीं! एक दिन टीवी पर 'बॉम्बे' फिल्म देख ली, फिर क्या, बीच की मांग काढ़कर बिना बिंदी लगाए, अजीब सा भोलापन चेहरे पर लाकर बात करने लगीं… जब 'देवदास' मूवी देखी, तब लाल पाड़ की सफ़ेद साड़ी, बड़ी सी बिंदी का भूत सवार हो गया… इतना ही रहता, तो गनीमत थी, बातें भी वहीं की…
मैंने ऑफिस से आते ही देखा, मुंह लटका हुआ है, "सुनिए, उनका तलाक़ निश्चित है."
"किसका तलाक़ कीर्ति?" मैं हड़बड़ा गया.
"अरबाज़ और मलाइका का…"
मैं समझ गया था कोई इलाज नहीं है इनका!
एक दिन तो हद हो गई, कीर्ति का नवां महीना चल रहा था, सुबह से मुंह उतरा हुआ था, "क्या हुआ, तबियत ठीक नहीं लग रही क्या?"
"कुछ नहीं… आप चिल्लाएंगे…"
"बताओ ना, क्या बात है?"
"… वो जैसे फिल्मों में डॉक्टर पूछते हैं कि मां को बचाएं या बच्चे को… आप क्या करेंगे ऐसे में?"
कोशिश की, लेकिन मैं हंसी रोक नहीं पाया. मैं पागलों की तरह हंस रहा था… कीर्ति के आंसू आ गए थे. किसी तरह मनाया. कसम खाई कि आइंदा मज़ाक नहीं उड़ाऊंगा!
अगले दिन घर आया, तो गज़ब नज़ारा था… फूलों के छाप वाली साड़ी, छोटा सा पल्लू,आंखों को चीरता हुआ कान तक जाता काजल, जूड़े में बड़ा सा फूल… पूछने वाला था,
"आज कौन सी हिरोइन का भूत सवार है?" तब तक याद आया, कल ही तो कसम खाई थी.
प्यार से पूछा, "कैसा रहा दिन? क्या किया दिनभर?"
"आज 'रजनीगंधा' फिल्म देखी, विद्या सिन्हा की.. बहुत अच्छी लगी…"
कीर्ति ख़ुश थी, मैं भी ख़ुश हो गया, बिना पूछे मेरे प्रश्न का उत्तर मिल गया था!
- लकी राजीव
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Photo Courtesy: Freepik
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