एक व्यक्ति नदी में नहा रहा था कि उसने एक बिच्छू को नदी में डूबते देखा. बिच्छू को बचाने के लिए उसने फ़ौरन बिच्छू के नीचे अपनी हथेली रख दी और उसे किनारे पर ले जाने लगा कि बिच्छू ने उसे ज़ोर का डंक मारा और इस झटके से फिर पानी में जा गिरा.
व्यक्ति ने उसे एक बार फिर उठाकर बचाने का प्रयत्न किया और बिच्छू ने एक बार फिर डंक मारा.
नदी किनारे खड़ा एक अन्य व्यक्ति यह सब देख रहा था. दो-तीन बार जब ऐसा हो चुका, तो उसने पहले व्यक्ति से कहा, "जब वह तुम्हें बार-बार काट रहा है, तो तुम क्यों उसे बचाने पर तुले हो?"
यह भी पढ़ें: विचारों से आती है ख़ूबसूरती (Vicharon Se Aati Hai KHoobsurati)
इस पर पहले वाले व्यक्ति ने उत्तर दिया, “जब वह बिच्छू होकर अपना कर्म नहीं छोड़ रहा, तो मैं मनुष्य होकर अपना धर्म कैसे छोड़ दूं? उसका कर्म है ‘काटना’ वह अपने बचाव के लिए काटता है. मनुष्य होने के नाते मेरा धर्म है ईश्वर द्वारा बनाए अन्य प्राणियों की रक्षा करना.”
यह कहकर उसने किनारे पड़ी पेड़ की एक डंडी उठाई और उसके सहारे बिच्छू को उठाकर किनारे पर रख दिया.
Photo Courtesy: Freepik
अधिक शॉर्ट स्टोरीज के लिए यहाँ क्लिक करें – SHORT STORIES