प्राचीन समय की बात है. एक स्त्री के कोई संतान नहीं हो पा रही थी. डाक्टर से इलाज करवाया. वैद्य इत्यादि की दवा खाई, परन्तु कुछ फल न निकला. आज की तरह उस वक़्त चिकित्सा शास्त्र में इतनी तरक़्क़ी नहीं हुई थी. सगे सम्बन्धियों ने किसी संत महात्मा के पास जाकर झाड़-फूंक करवाने की सलाह दी.
कोई नक़ली संत होते तो झाड़-फूंक करके पैसा ऐंठ लेते, परन्तु यह एक विद्वान गुणवान संत थे. वह जानते थे कि वह कुछ नहीं कर सकते. परन्तु स्पष्टतः मना भी नहीं करना चाहते थे.
यह भी पढ़ें: क्या आप भी फोमो (फियर ऑफ मिसिंग आउट) से हैं परेशान? (Are You Also Troubled By Fear Of Missing Out?)
साधु ने एक पहाड़ी झरने का नाम बता कर कहा, “तुम प्रतिदिन एक सप्ताह तक जाकर उस झरने के नीचे नहाओ, तुम्हें अवश्य संतान की प्राप्ति होगी.
बस एक ही शर्त है- स्नान के पूरे दौरान तुम चाहे और कुछ भी सोचो बस बंदरों के बारे में बिल्कुल मत सोचना."
स्त्री को लगा कि यह तो बड़ी आसान सी शर्त है. बंदरों को देखें ही कई वर्ष बीत गए और उनका तो मुझे कभी ध्यान आता भी नहीं.
सौभाग्यवश झरना भी स्त्री के घर से बहुत दूर नहीं था. अतः दूसरे ही दिन से वह अपनी एक सहेली को लेकर उस झरने पर पहुंच गई, पर ज्यों ही वह झरने के नीचे गई उसे बंदर याद आ गया और वह अपनी सखी के साथ उदास मन से लौट आई.
‘आज गलती हो गई पर कल से मैं बहुत सावधान रहूंगी.’ सोच कर वह उस दिन लौट आई.
परन्तु ऐसा हर रोज़ होने लगा. स्त्री दृढ़ निश्चय कर हर रोज़ नहाने जाती, पर शरीर पर पानी पड़ते उसे बंदरों का ख़्याल आ जाता. दस दिन तो क्या एक दिन भी ऐसा नहीं हुआ कि उसे नहाते समय बंदर का विचार न आया हो.
आख़िर वह थक-हार कर संत की शरण में पहुंची और बोली, “यूं चाहे मैंने बरसों से बंदर के बारे में न सोचा हो, पर जब से आपने मना किया है, तब से हर रोज़ बंदर का ख़्याल आ ही जाता है. यदि आप मुझे विशेष रूप से इसका निषेध न करते तो शायद कभी आता भी नहीं.”
ठीक यही बात तो संत महात्मा भी जानते थे. वह यह जानते थे कि झाड़-फू़क से, मंत्र जाप से वह ठीक नहीं हो सकती और उससे भी बढ़कर वह यह बात भी जानते थे कि मना करने पर उस स्त्री को बंदर का ध्यान आएगा ही आएगा.
यह भी पढ़ें: हर महिला को पता होना चाहिए रिप्रोडक्टिव राइट्स (मातृत्व अधिकार)(Every Woman Must Know These Reproductive Rights)
और शर्त कभी पूरी नहीं होगी.
यह एक मनोवैज्ञानिक सत्य है कि जिस बात को हम जितना अधिक भुलाने की कोशिश करते हैं, जिस बात के लिए हमें मना किया जाए, वह बात उतनी ही शिद्दत से हमें याद आती है.
(मनोविज्ञान पर आधारित यह कहानी मूल रूप से ईरान की है, जिसे लेखिका ने फ़ारसी से हिन्दी में अनुवाद किया है.)
अधिक कहानियां/शॉर्ट स्टोरीज़ के लिए यहां क्लिक करें – SHORT STORIES
Photo Courtesy: Freepik