हमने दी से कहा, "हम तो किसी को नहीं जानते, होगा कोई सरफिरा." दी भी बेचारी पढ़ाई में उलझी थीं उन्होंने सोचा जाने देते हैं.
कोचिंग में निगाहें उसे ढूंढ़ती तो रहती थीं, लेकिन साथ में डर भी रहता था की कहीं कोई कुछ कह न दे.
प्रेम सृष्टि की सबसे सुखद अनुभूति है, जिसे सिर्फ़ महसूस किया जा सकता है. लेकिन प्रेम यदि एकतरफ़ा हो तो उसकी अनुभूति उसे पाने वाले और प्रेम करने वाले दोनों ही पक्षों को थोड़ी अधूरी ही लगती है. ऐसा ही एकतरफ़ा प्रेम मुझे भी किसी ने किया था.
प्री मेडिकल टेस्ट की तैयारी के लिए मैं ग्वालियर कोचिंग लेने गई थी. मेरी किशोर उम्र घर की यादों से नहीं निकल पा रही थी, लेकिन सपनों को साकार करने का जुनून कस्बे से शहर ले आया था. बनाव-श्रृंगार से कोसों दूर रहने वाली मैं प्यार की दुनिया से पूर्णतः अनभिज्ञ ही थी.
हॉस्टल में मैं और मेरी दीदी रहते थे. एक दिन अचानक वार्डन का फोन दी के पास आया, "तुम्हारी बहन के नाम कोई ख़त आया है, ले जाओ."
दी उस ख़त को ले आई और मुझसे पूछा, "कौन हैं ये?" मुझे काटो तो खून नहीं, मानो सारा क़सूर मेरा ही हो.
मैंने कहा, "मैं तो इस नाम के लड़के को जानती ही नहीं." अगले दिन कोचिंग में निगाहें उसी को ढूंढ़ती रहीं कि कौन है जिसने हमें हमारी दी की नज़रों में गिराया है. ख़ुशी ये नहीं थी की कोई चाहने वाला है.
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कुछ दिनों बाद फिर एक ख़त आया और सारी पूछताछ हुई,
हमने दी से कहा, "हम तो किसी को नहीं जानते, होगा कोई सरफिरा." दी भी बेचारी पढ़ाई में उलझी थीं उन्होंने सोचा जाने देते हैं.
कोचिंग में निगाहें उसे ढूंढ़ती तो रहती थीं, लेकिन साथ में डर भी रहता था की कहीं कोई कुछ कह न दे.
कोर्स पूरा होने को था और घर वापसी की तैयारी थी, फिर एक बार वार्डन ने बुलवाया. उसी लड़के का ख़त था, जिसमें खून से आई लव यू लिखा था. साथ ही मुझसे मेरा स्थाई पता भी मांगा था.
डरी-सहमी मैं और मेरी दी उस ख़त को फाड़कर अपने घर वापस आ गए, हम दोनों ने ही उन ख़तों के बारे में किसी को कुछ नहीं बताया.
कुछ समय बाद मैं एक दिन अख़बार पढ़ रही थी, तो उस अख़बार में उस लड़के का नाम वर्ग पहेली के विजेताओं की सूची में था. उसने नाम के साथ मेरा नाम भी जोड़ रखा था. मैं उसके नाम और शहर के नाम से पहचान गई थी, लेकिन साथ में अपना नाम देखकर हैरान रह गई थी.
मैने उस दीवाने को कभी नहीं देखा.. लेकिन यदा-कदा उसकी चाहत याद आ जाती है.
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कुछ चाहतें मुकम्मल नहीं होती, लेकिन उसकी महक ताउम्र महकती रहती है. प्यार क्या है, परिभाषित करना मुश्किल है, लेकिन कुछ रिश्ते ऐसे होते हैं, जो संबंधों के पर्याय बन जाते हैं. उसको मैंने कभी देखा नहीं, किंतु उसके क़िरदार से मुझे सच्चे प्यार की महक आती है. कुछ स्मृतियाँ समय के तटबंध तोड़कर यदा-कदा ज़ेहन में प्रवाहित होती रहती हैं.
- रश्मि वैभव गर्ग
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