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हर रिश्ते में तय करें बाउंड्रीः न बताएं हर बात (Set boundaries in every relationship: don’t tell everything)

बात चाहे पति-पत्नी के रिश्ते की हो, मां-बेटी की या फिर दोस्ती की... ज़रूरी नहीं कि ईमानदारी के नाम पर हम अपने दिल की हर बात सामने वाले से शेयर करें. रिश्तों की सलामती के लिए कुछ बातों को दिल में दबाए रखने में और एक बाउंड्री तय करने में ही भलाई है.

जो रिश्ते हमारे दिल के क़रीब होते हैं, उसमें झूठ की गुंजाइश नहीं होती. हम पूरी ईमानदारी से इस रिश्ते को निभाते हैं, मगर कई बार हमारी ज़रूरत से ज़्यादा ईमानदारी महंगी पड़ जाती है, क्योंकि हर रिश्ते की एक बाउंड्री लाइन होती है. उससे बाहर जाने पर मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं. 25 वर्षीया हेमा की 6 महीने पहले ही शादी हुई थी, वो बचपन से ही हर बात मां को बताती आई है, इसलिए शादी के बाद ससुराल की हर बात मां तक पहुंचाती रहती. हेमा की ये आदत उसके पति को बिल्कुल अच्छी नहीं लगी, उसने कई बार हेमा को समझाने की कोशिश भी की कि ससुराल की बात मायकेवालों को बताना सही नहीं, मगर वो नहीं मानी. अंततः कई बार झगड़े के बाद उनका तलाक़ हो गया.

ज़्यादा ईमानदार न बनें

मोना की आदत थी कि वो ऑफिस की दिनभर की बातें पति से शेयर करती. हर रोज़ ऑफिस से आने के बाद बॉस ने क्या कहा, कलीग से क्या बात हुई जैसी बातें पति से शेयर करती.

शुरू-शुरू में तो उसके पति ने कुछ नहीं बोला, लेकिन कुछ समय बाद मोना की इस आदत से वो परेशान हो गया. इतना ही नहीं बार-बार अपने कलीग की तारीफ़ करने के कारण उसे मोना पर शक़ होने लगा कि कहीं मोना का उसके साथ कोई चक्कर तो नहीं है, धीरे-धीरे ये शक़ बढ़ता गया और मोना के बड़बोलेपन के कारण उनके रिश्ते में दूरियां आ गईं. विशेषज्ञों का मानना है कि पार्टनर को अपनी पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ अलग रखनी चाहिए. ईमानदार होने का मतलब ये कतई नहीं है कि आप अपनी हर बात पार्टनर से शेयर करें. जितना ज़रूरी है बस उतना ही पार्टनर को बताएं. साथ ही इस बात का भी ध्यान रखें कि पार्टनर कहीं आपकी बातों का ग़लत मतलब तो नहीं निकाल रहा. अतः सोच-समझकर बातें शेयर करें.

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संभलकर करें ससुरालवालों की बात

यदि आपको अपने ससुरालवालों की कोई हरकत अच्छी नहीं लगती, तो बिना सोचे-समझे तुरंत पार्टनर के सामने उनकी बुराई करना न शुरू कर दें. पहले ये देख-परख लें कि पार्टनर आपकी बात को सकारात्मक तरी़के से समझेगा या नहीं. 27 वर्षीया रेणु का कहना है, “मेरी शादी को 4 साल हो गए हैं, जब कभी मुझे सासु मां या ननद की कोई बात अच्छी नहीं लगती, तो अपने पति से इस बारे में बात करती हूं और वो शांति से मेरी बात सुनते हैं, यदि उनकी मां/बहन की ग़लती रहती है, तो वो ये बात स्वीकार भी करते हैं. इसी तरह यदि उन्हें मेरे घरवालों से कोई शिकायत होती है, तो बिना बहस किए मैं भी उनकी बात सुन लेती हूं.” जानकारों का मानना है कि यदि पति-पत्नी में बहुत अच्छी अंडरस्टैंडिंग है, तो बातें शेयर करने में कोई परेशानी नहीं है, मगर ऐसा न होने पर हद से ज़्यादा शेयरिंग परेशानी का सबब बन सकती है.

कलीग के सामने न खोलेें दिल के राज़

घर के साथ ही दोस्तों/कलीग के सामने भी खुली किताब न बनें. ख़ासकर ऑफिस में अपने सहयोगियों के सामने अपने निजी रिश्तों की समस्याओं और कमज़ोरियों को ज़ाहिर न करें, क्योंकि इससे ऑफिस में आपकी छवि नकारात्मक और कमज़ोर इंसान की बन सकती है. ये बात सच है कि जहां हम दिन के 8-9 घंटे बिताते हैं, वहां किसी कलीग से इमोशनली अटैच हो जाना लाज़मी है. साइकोलॉजिस्ट का कहना है, “महिलाओं को कभी भी अपनी पर्सनल बातें मेल कलीग से शेयर नहीं करनी चाहिए, क्योंकि ज़्यादातर मामलों में ऐसा होने पर मेल कलीग पहले मोरल और इमोशनल सपोर्ट देता है, फिर धीरे-धीरे बात दोस्ती और अफेयर तक पहुंच सकती है, इसलिए बेहतर है कि अपने दिल की बात महिला कलीग से, यदि वो आपकी बेस्ट फ्रेेंड है तभी शेयर करें.” दिल की बात किसी से साझा करने से मन का बोझ हल्का हो जाता है, मगर ध्यान रखें कि आप किससे क्या शेयर कर रहे हैं. बेहतर होगा कि दोस्तों व कलीग के साथ अपने रिश्तों की बाउंड्री लाइन बना लें और उससे बाहर जाकर कोई बात न करें.

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पैरेंट्स को न बनाएं हर बात का राज़दार

माना कि आजतक आप अपनी मां से दोस्तों से लेकर कॉलेज तक की हर बात शेयर करती आई हैं, मगर शादी के बाद आपकी ज़िंदगी बदल जाती है, आप किसी और परिवार का हिस्सा बन जाती हैं. ऐसे में ससुराल वालों की हर बात मायके पहुंचाने से दोनों परिवार के रिश्तों में खटास आ सकती है. साथ ही ये बात याद रखिए कि पति-पत्नी के बीच की बात कभी भी अपने पैरेंट्स से शेयर न करें, वरना आपका रिश्ता भी ख़तरे में पड़ सकता है. पार्टनर को लगेगा कि आप अब तक उसे और उसके परिवार को अपना नहीं पाई हैं, तभी हर छोटी-बड़ी बात अपने पैरेंट्स से शेयर करती हैं. आपका ऐसा रवैया उनका दिल दुखा सकता है. साइकोलॉजिस्ट का कहना है, “शादी के बाद बेटियों को हर बात मां से शेयर करने से बचना चाहिए, क्योंकि अधिकतर मामलों में मां न्यूट्रल नहीं होती. कभी वो ज़रूरत से ज़्यादा बेटी का सपोर्ट करती है, तो कभी दामाद का, इसलिए बेहतर होगा कि ससुराल की कोई समस्या मां से शेयर करने की बजाय किसी ऐसे व्यक्ति से शेयर करें जो पक्षपाती न हो. पार्टनर से दिल की बात शेयर करने में कोई बुराई नहीं है, मगर पति से कुछ भी शेयर करने से पहले ये जान लें कि उनका नेचर कैसा है, उन्हें कौन-सी बात अच्छी या बुरी लग सकती है. ध्यान रखें कि पति के सामने अपने किसी मेल कलीग की बार-बार तारीफ़ और बढ़ा-चढ़ाकर बात करने से आपके रिश्ते में दूरियां आ सकती हैं.

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