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थायरॉइड के साथ मोटापा घटाने के पक्के उपाय व डायट प्लान ( Secrets to Help Thyroid Patients Lose Weight)
थायरॉइड की समस्या से जूझ रहे ज़्यादातर लोगों की सबसे बड़ी शिकायत यही होती है कि चाहे वे कितनी भी कोशिश क्यों न कर लें, उनका वज़न घटता नहीं है. अगर आप भी इसी श्रेणी में आते हैं तो हम आपको थायरॉइड की समस्या के साथ वज़न कम (Thyroid Patients Lose Weight) करने के आसान व असरदार तरी़के बता रहे हैं, ताकि थायरॉइड प्रॉब्लम आपकी पर्सनैलिटी के आड़े न आए.
थायरॉइड और वज़न का कनेक्शन
अब तक इतना तो समझ में आ गया होगा कि थायरॉइड ग्रन्थि हमारे रक्त में इन हार्मोन्स को पहुंचाने का काम करता है, जिससे मेटाबॉलिज़्म नियंत्रित रहता है. जब यह ग्रंथि पर्याप्त मात्रा में इन हार्मोन्स का उप्तादन नहीं करती तो मेटाबॉलिज़्म स्लो हो जाता है, जिसके कारण वज़न बढ़ने के साथ-साथ थकान, ठंड, डिप्रेशन, पेट फूलना, सेक्स इच्छा से कमी, अनियमित माहवारी, मांसपेशियों में दर्द, शुष्क त्वचा, बालों का गिरना व हाई ब्लडप्रेशर जैसी समस्याएं होती हैं. आपको बता दें कि मेटाबॉलिज़्म स्लो होने के कारण हाइपोथायरॉइड से पीड़ित व्यक्ति वज़न का अन्य लोगों की तुलना में ज़्यादा जल्दी बढ़ता है.
हाइपोथायरॉइडिज़्म के साथ कैसे वज़न कम करें?
थायरॉइड हार्मोन्स की कमी हो जाने पर शरीर सामान्य गति से कैलोरीज़ बर्न नहीं कर पाता, जिसके कारण वज़न घटाने में दिक्कत होती है. यही वजह है कि हाइपोथायरॉइडिज़्म की समस्या होने पर मोटापा कम करना मुश्क़िल हो जाता है, पर यह नामुमक़िन नहीं है. आप संतुलित डायट व एक्सरसाइज़ की मदद से थायरॉइड की समस्या होते हुए भी वज़न कम कर सकते हैं. इसके लिए हम आपको कुछ बेसिक थायरॉइड डायट व एक्सरसाइज़ संबंधित जानकारी दे रहे हैं.
संतुलित आहार ग्रहण करें
हाइपोथायरॉइड की समस्या होने पर शरीर में सेलेनियम व आयोडिन की कमी हो जाती है, जिससे थायरॉइड ग्रन्थि के कार्य में बाधा उत्पन्न होती है. अतः खाने में सेलेनियम व आयोडिन युक्त खाद्य पदार्थ शामिल करें. इसके लिए सीफूड, अंडा, सनफ्लावर सीड्स, सूखे मेवे, ट्यूना, सैलमन मछली इत्यादि का सेवन करें.
कम अंतराल पर थोड़ा-थोड़ा खाएं
एक बार में ज़्यादा खाने के बजाय दो-दो घंटे के अंतराल पर थोड़ा-थोड़ा खाएं. हाइथायरॉइडिज़्म के कारण पाचन शक्ति कमज़ोर हो जाती है इसलिए कम खाने पर उसे पचाना आसान होता है. ऐसा करने से ब्लड शुगर भी नियंत्रित रहता है. इसके लिए लंच के पहले व शाम के समय हल्का स्नैक्स लेना न भूलें. स्नैक्स के रूप में नट्स का सेवन कर सकते हैं. नट्स में सेलेनियम होता है, जो थायरॉइड ग्रन्थि को ठीक तरी़के से कार्य करने में मदद करता है.
सिंपल कार्ब्स और शुगर से दूर रहें
अगर आपको हाइपोथायरॉइडिज़्म की समस्या है तो लो कार्बोहाइड्रेट डायट का अनुसरण करना ज़रूरी है, साथ ही सिंपल कार्ब्स व शुगर से परहेज़ भी करना चाहिए. अगर आप वज़न कम करना चाहते हैं तो आपको कम कैलोरीज़ लेना चाहिए, क्योंकि इस बीमारी में मेटाबॉलिज़्म स्लो होने के कारण कैलोरीज़ आसानी से बर्न नहीं होतीं. अतः कॉम्पलेक्स कार्बोहाइड्रेट्स युक्त डायट, जैसे-स्टार्ची वेजिटेबल्स, दाल व बीज वाली सब्ज़ियां, जैसे मटर, सेम इत्यादि का सेवन करें. इससे आपका पेट अधिक देर तक भरा रहेगा और आप ओवरईटिंग से बच जाएंगे. हार्वड मेडिकल स्कूल में छपी के रिपोर्ट के अनुसार, कॉम्पलेक्स कार्बोहाइड्रेट्स का सेवन करने और सिंपल कार्बोहाइड्रेट से परहेज़ करने से शरीर में साइटोकाइन्स का प्रोडक्शन कम हो जाता है. नतीज़तन पेट व शरीर फूलने जैसी समस्याएं नहीं होतीं.
पर्याप्त मात्रा में कैलोरीज़ ग्रहण करें
यह सही है कि आप अपने वज़न को लेकर चिंतित होंगे लेकिन बहुत ज़्यादा कैलोरीज़ घटाना सही विकल्प नहीं है. डॉक्टर्स थायरॉइड के मरीजों को पर्याप्त मात्रा में कैलोरीज़ ग्रहण करने पर जोर देते हैं, क्योंकि बहुत कम कैलोरीज़ का सेवन करने पर टी3 का उत्पादन और कम हो जाता है.
नारियल के तेल का प्रयोग करें
हाइपोथायरॉइडिज़्म होते हुए भी वज़न कम करने का एक दूसरा आसान तरीक़ा है नारियल के तेल का इस्तेमाल. इस तेल में मौजूद स्वास्थ्यवर्धक फैटी एसिड्स थायरॉइड हार्मोन्स के प्रोडक्शन को प्रोत्साहित करते हैं, साथ ही कोलेस्ट्रॉल लेवल कम करके वज़न घटाने में मदद करते हैं. इसके साथ ही नारियल के तेल में मौजूद मीडियम चेन फैटी एसिड्स हमारे शरीर के सेल्स में मौजूद माइट्रोकॉड्रिया में प्रवेश कर जाते हैं. माइट्रोकॉड्रिया एनर्जी बर्न करने में मदद करता है और फैट को एनर्जी में परिवर्तित करता है, जिससे मेटाबॉलिज़्म बढ़ता है. अतः खाना बनाने के लिए एक्स्ट्रा वर्जिन कोकोनट ऑयल का प्रयोग करें. ध्यान रहे कि एक दिन में 3 टेबलस्पून से ज़्यादा नारियल के तेल का प्रयोग न करें.
फिश ऑयल सप्लिमेंट्स लें
फिश ऑयल में ओमेगा-3 फैटी एसिड्स होते हैं, जो हमारा शरीर प्रोड्यूस नहीं करता. इसलिए इसे खाद्य पदार्थों के माध्यम से ग्रहण करना आवश्यक है, ताकि अंडरऐक्टिव थायरॉइड सही तरी़के से कार्य कर सके. ओमेगा-3 फैटी एसिड्स शरीर में फैट को एकत्रित होने से भी रोकता है और उसे गतिशील रखता है. यह ख़ासतौर पर पेट की चर्बी जिसे विस्रल फैट कम करने में मदद करता है. विस्रल फैट के कारण हाई ब्लड प्रेशर और हाई ब्लड शुगर जैसी बहुत-सी समस्याएं होती हैं. लेकिन फिश ऑयल सप्लिमेंट लेना शुरू करने से पहले डॉक्टर से सलाह लें. आमतौर पर इसे एक दिन में 3 ग्राम से ज़्यादा नहीं ग्रहण करना चाहिए.
एप्पल साइडर विनेगर लें
यह हाइपोथायरॉइडिज़्म और बढ़ते वज़न को कम करने में मददगार सिद्ध हो सकता है. एप्पल साइडर विनेगर थायरॉइड हार्मोन्स को नियंत्रित करने में मदद करता है. यह डिटॉक्सिफिकेशन में सहायक है और साथ ही मेटाबॉलिज़्म बढ़ाता है, जिससे वज़न कम होने में मदद मिलती है. इसके लिए एक ग्लास हल्के गर्म पानी में 2 टेबलस्पून रॉ अनफिल्टर्ड एप्पल साइडर विनेगर, थोड़ा-सा शहद मिलाकर पीएं, इसे दिन में दो बार ग्रहण करें.
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हार्मोन्स को संतुलित रखें
शरीर को पर्याप्त मात्रा में पोषण प्रदान करके अपने हार्मोन्स को संतुलित रखने की कोशिश करें. थायरॉइड के मरीज के डायट में ऐसे खाद्य पदार्थ होने चाहिए, जो हार्मोन्स को संतुलित रखने में मदद करें. गुड फैट्स युक्त खाद्य पदार्थ हार्मोन्स के उत्पादन में मदद करते हैं. इसके लिए घी, मक्खन, नारियल का तेल, अंडा इत्यादि का सेवन करें.
तनाव से दूर रहने की कोशिश करें
तनाव के कारण कभी-कभी लोग ओवरईटिंग कर लेते हैं. स़िर्फ इतना ही नहीं, इससे कार्टिसोल का उत्पादन बढ़ जाता है, इससे भूख ज़्यादा लगती है, परिणामस्वरूण इंलुसिन लेवल प्रभावित होता है. अतः तनाव से बचने की कोशिश करें. आप जितना स्ट्रेस फ्री और ख़ुश रहेंगे, वज़न उतनी जल्दी कम होगा.
व्यायाम है ज़रूरी
एक्सरसाइज़ सभी के लिए ज़रूरी है, लेकिन हाइपोथायरॉइड के मरीजों के लिए यह रामबाण का काम करता है. नियमित रूप से एक्सरसाइज़ करने के
कैलोरीज़ बर्न होती है और हार्मोन्स का स्राव भी सामान्य गति से होता है. एक्सरसाइज़ करते समय हमारे शरीर में हैप्पी हार्मोन्स का स्राव होता है, जिससे दिनभर तनाव नहीं होता और रात में अच्छी नींद आती है. इतना ही नहीं, व्यायाम से मेटाबॉलिज़्म भी बढ़ता है. फलस्वरूप वज़न कम होने में मदद मिलती है. डीप ब्रीदिंगवाले एक्सरसाइज़ करें. इससे आपको ज़्यादा ऑक्सिजन ग्रहण करने व कार्बनडाइऑक्साइड बाहर निकालने में मदद मिलेगी. इतना ही नहीं, इससे वज़न कम करने, तनाव घटाने व रिलैक्स होने में मदद मिलती है.
दवा सही तरी़के से लें
थायरॉइड की दवा सुबह-सुबह खाली पेट ख़ूब पानी के साथ लें. इसे दूसरी दवाइयों के साथ मिक्स न करें. दवा लेने के आधे घंटे बाद ही चाय-नाश्ता ग्रहण करें. सही तरी़के से थायरॉइड की दवा लेने से शरीर में थायरॉइड लेवल सामान्य रहता है. अगर थायरॉइड लेवल सामान्य रहता है तो वज़न कम होने में मदद मिलती है.
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वॉटर रिटेंशन घटाने के तरी़के
थायरॉइड के मरीजों के शरीर में वॉटर रिटेंशन ज़्यादा होता है, उसे नियंत्रित रखने के लिए निम्न उपाय करें.
. अचार, नमकीन, सॉल्टेड मेवे, सॉस व नमक से प्रिज़र्व्ड खाद्य पदार्थों से परहेज़ करें.
. सलाद में नमक न मिलाएं.
. तले हुए खाद्य पदार्थों से परहेज़ करें, ये पचने में ज़्यादा समय लेते हैं, जिससे आपको भारीपन महसूस होता है.
. सॉफ्ट ड्रिंक्स पीने से बचें. क्योंकि उनमें मौजूद कार्बोनेशन के कारण वॉटर रिटेंशन होता है.
. खाना धीरे-धीरे खाएं.
. दिनभर में कम से कम 10-12 ग्लास पानी पीएं.
. रोज़ाना कम से कम 30 मिनट तक एक्सरसाइज़ करें, क्योंकि सामान्य व्यक्ति का शरीर एक्सरसाइज़ के 20 मिनट बाद वज़न घटाना शुरू करता है, जबकि थायरॉइड के मरीज को और ज़्यादा समय लगता है.
. खाना खाने के बाद कम से कम 15 मिनट तक ब्रिस्क वॉक करें.
. अपने डायट में नारियल पानी, नींबू पानी इत्यादि शामिल करें.
. ब्रोकोली व पत्तागोभी कच्चा खाने से परहेज़ करें.
हाइपोथायरॉइड के मरीजों के लिए डायट प्लान
नाश्ताः वेजिटेबल पोहा, 1 ग्लास छाछ या दूध, 5 भीगे हुए बादाम
मिड मॉर्निंगः एक कटोरी फ्रूट सलाद
लंचः एक कटोरी सलाद, एक कटोरी दाल, एक कटोरी सब्ज़ी व दो रोटी.
शाम का नाश्ताः स्पाउट चाट या दही के साथ फल
रात का खानाः एक बाउल सूप या सलाद, एक कटोरी सब्ज़ी, दो रोटी
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इनसे बचें
. हाई ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाले खाद्य पदार्थ, जैसे-कॉर्न, व्हाइट ब्रेड, मैदा, मफिन्स, केक्स, डेज़र्ट इत्यादि का सेवन न करें. क्योंकि इससे रक्त में ज़रूरत से ज़्यादा ग्लूकोज़ बनता है, जो फैट में कंवर्ट हो जाता है.
. ग्वॉइट्रॉजेन्स एक प्रकार का तत्व होता है, जो थायरॉइड ग्रन्थि में कार्यप्रणाली में बाधा पहुंचाता है और ग्रन्थि को आयोडिन का इस्तेमाल नहीं करने देता. इससे ग्रन्थि का आकार बढ़ने लगते हैं, क्योंकि ग्रन्थि आयोडिन की कमी पूरी करने के लिए ज़्यादा सेल्स का उत्पादन शुरू कर देता है. इसलिए ग्वॉइट्रॉजेन्स युक्त खाद्य पदार्थ, जैसे-सोया प्रॉडक्ट्स, ब्रोकोली, पत्तोगोभी, फूलगोभी, मूली, पालक, स्ट्रॉबेरी, पीच व मूंगफली का सेवन कम करें, लेकिन इसे पूरी तरह बंद न करें, क्योंकि वे पोषण भी प्रदान करते हैं.
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