केमिकल से पके फल-सब्ज़ियों से हो सकती हैं गंभीर बीमारियां
कभी आपने गौर किया है कि जब आप किसी को मुस्कुराकर थैंक्यू सो मच कहते हैं, तो उसकी ख़ुशी का पारावार नहीं रहता है. ख़ुशी में पॉज़िटिव एनर्जी होती है. जब कोई आदमी ख़ुश होता है, तो उसके आसपास पॉज़िटिव एनर्जी का फील्ड बन जाता है. जो भी उस फील्ड के दायरे में आता है, उस पर भी पॉज़िटिव एनर्जी का इंपैक्ट होता है. इसी थ्यौरी के तहत थैंक्यू या थैंक्स कहनेवाले पर भी पॉज़िटिव एनर्जी का असर होता है. आपने जिसे थैंक्यू कहा वह तो ख़ुश होता ही है, लेकिन उससे भी ज़्यादा आप ख़ुश होते हैं. आपने यह भी गौर किया होगा कि जो हरदम ख़ुश या बिंदास रहते हैं, उनके आसपास कोई भी बीमारी नहीं फटकती. यही सिद्धांत थैंक्यू या थैंक्स कहनेवाले की सेहत को दुरुस्त रखता है. कई मैनेजमेंट गुरु और विशेषज्ञ मानते हैं कि किसी के आपके लिए कुछ कर देने के बाद जब कृतज्ञता व्यक्त करने के लिए ख़ुश होकर थैंक्स या थैंक्यू सो मच कहते हैं, तब सामनेवाले के साथ आपके चेहरे पर भी ख़ुशी पढ़ी जा सकती है. इसी ख़ुशी को अब मानव की सेहत ठीक करने के लिए भी इस्तेमाल किया जाने लगा. कई विशेषज्ञों का कहना है कि थैंक्यू शब्द का, जितना संभव हो, उतना इस्तेमाल करना चाहिए. प्रशंसा करने की यह कोशिश आपको कुछ क्षण के लिए ही सही, चिंतामुक्त ज़रूर कर देती है. अगर मेडिकल टर्मिनालॉजी की बात करें, तो ख़ुश रहने या हंसने के फ़ायदे जगज़ाहिर हैं. हाल ही में मशहूर पत्रिका फोर्ब्स में एक लेख छपा था, जिसमें थैंक्यू के लाभ के सात सिद्ध वैज्ञानिक कारण बताए गए हैं. पेसिफिक यूनिवर्सिटी की ओर से इस पर स्टडी भी कराई जा चुकी है, जिसमें थैंक्यू सो मच, थैक्स या थैंकिंग यू का मेडिकल कनेक्शन साबित हो चुका है. मैनेजमेंट गुरु एन. रघुरामन भी मानते हैं कि छोटे-छोटे अच्छे काम की भी तारीफ़ करने, मुस्कुराकर थैंक्यू बोलने से सेहत को फ़ायदा होता है. एक रिसर्च में पाया गया है कि थैंक्यू जितना ज़्यादा बोला जाए, उतना अच्छा. यह सिर्फ़ सेहत को चुस्त ही नहीं रखता है, बल्कि मानसिक संतुष्टि भी देता है. मायामी यूनिवर्सिटी के सायकोलॉजिस्ट प्रोफेसर माइकल मैकलफ के अनुसार, थैंक्यू शब्द प्रसन्नता और संतुष्टि देता है. यह शब्द दो लोगों को जोड़ता है. मतलब, यह जीवन के प्रति नज़रिया ही नहीं बदलता, बल्कि ख़ुश होने का भी मौक़ा देता है. इसीलिए ज़रूरी है कि किसी को थैंक्यू या शुक्रिया कहें और वो भी पूरे सम्मान के साथ. कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के मनोवैज्ञानिक रॉबर्ट एमन्स भी मानते हैं कि थैंक्स कहनेवाले लोग ज़्यादा जीवंत व चुस्त होते हैं. उनकी कृतज्ञता निगेटिव एनर्जी दूर रखती है. ऐसे लोगों को क्रोध और ईर्ष्या जैसी बीमारी की जड़ बनने वाली भावनाएं ज़्यादा इंप्रेस नहीं करती हैं.संकोची होते मर्द, बिंदास होतीं महिलाएं
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