आज अभिनेता इरफान ख़ान हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनका अभिनय, उनकी संवाद अदायगी, उनका सेंस ऑफ ह्यूमर, उनका चुटीलापन... वह सब कुछ हमारे बीच हमेशा रहेगा. इरफान एक बेहतरीन कलाकार थे, फिल्मों में सशक्त अभिनय से उन्होंने यह साबित भी किया.
फिल्म पान सिंह तोमर के लिए उन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. हासिल फिल्म के लिए सर्वश्रेष्ठ खलनायक का पुरस्कार भी उन्होंने जीता. लेकिन फिल्मों में मुक़ाम हासिल करने के लिए उन्हें काफ़ी संघर्ष करना पड़ा. आइए, इरफान ख़ान से जुडी कही-अनकही बातों के बारे में जानते हैं...
अभिनय का सफ़र और जीवन परिचय...
* इरफान ख़ान का जन्म राजस्थान के टोंक जिले में हुआ था.
* उनका परिवार जयपुर में रहता है.
* हाल ही में यानी 25 अप्रैल को उनकी मां सैयदा बेगम का इंतकाल हुआ था.
* लेकिन कोरोना वायरस के कारण देश में लॉकडाउन होने और उनकी तबीयत ठीक नहीं होने की वजह से वे मां के अंतिम यात्रा में शामिल नहीं हो सके थे. लिहाज़ा वीडियो कॉल के ज़रिए मां के अंतिम दर्शन किए.
* जब इरफान ख़ान ने फिल्मों में काम करने का निर्णय लिया, तब एक बार उनकी मां ने पूछा था कि अब तुम नाचने-गाने का काम करोगे. उनके परिवार में इसे ठीक नहीं समझा जाता था. सभी और इरफान ख़ुद भी बहुत कम फिल्में देखते थे. उस समय इरफान ने मां को आश्वस्त किया था कि वे कभी भी उन्हें शर्मिंदा होने नहीं देंगे. वे ऐसा कुछ करेंगे, जिससे उन्हें अच्छा लगेगा. और ऐसा उन्होंने किया भी. इरफान अपनी मां के काफ़ी क़रीब थे, मां की मृत्यु से वे आहत भी थे. यह संयोग ही था कि उनके जाने के चार दिन बाद इरफान ने भी दुनिया को अलविदा कह दिया.
* लंचबॉक्स फिल्म के लिए उन्हें कई अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार मिले थे
* उन्होंने अस्सी से अधिक फिल्मों में काम किया. अंग्रेजी मीडियम उनकी अंतिम फिल्म रही.
* बाइस से ज़्यादा धारावाहिक भी किए.
* जमींदार परिवार के होने बावजूद शिकार बहुत कम ही करते थे.
* जयपुर के रवींद्र मंच से अभिनय तो शुरू हुआ, पर संतुष्टि नहीं मिली. यही उन्होंने कई नाटक किए. जलते बदन उनका पहला नाटक था.
* दिल्ली के राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय में अदाकारी को ऊंची उड़ान मिली.
* शुरुआती में सरकारी स्कूल में पढ़ाई हुई. फिर मां की इच्छा के चलते इंग्लिश कॉन्वेंट स्कूल में पढ़ाई की.
* शुरू में उन्हें अंग्रेज़ी समझाने में काफ़ी दिक्कत आती थी. सज़ा भी मिलती थी.
* उनकी मां चाहती थीं कि ग्रेजुएशन पूरा करने बाद ही वे कुछ और करें. इसलिए उन्हें स्नातक करना पड़ा. उसके बाद उन्होंने अभिनय की तरफ़ रुख किया.
* खेल में इरफान क्रिकेट के शौकीन थे. जयपुर के चौगान स्टेडियम में क्रिकेट खेलने भी जाया करते थे. सीके नायडू ट्रॉफी के लिए वे सिलेक्ट भी हुए थे. लेकिन परिवार द्वारा उन्हें क्रिकेट में करियर बनाने की मंजूरी नहीं मिली.
* आज बुधवार यानी 29 अप्रैल को मुंबई के कोकिलाबेन हॉस्पिटल में उनका निधन हो गया. वे कैंसर और आंतों के इन्फेक्शन से जूझ रहे थे.
* इरफान के पिता यासीन का बिज़नेस था.
* उनकी मां चाहती थीं कि वे लेक्चरर बने, लेकिन इरफान पर अभिनय का जुनून सवार था.
* जब वे अभिनय की बारीकियां सीख रहे थे, उसी बीच उनके पिता का देहांत हो गया था.
* फिर उन्होंने अपने स्कॉलरशिप के ज़रिए अपने अभिनय का कोर्स पूरा किया.
* उनके संघर्षों के दिनों में उनकी पत्नी सुतापा सिकदर ने उनका बेहद साथ दिया.
* सुतापा स्क्रीनप्ले राइटर हैं.
* साल 1995 में दोनों ने शादी कर ली. इरफान का परिवार इस शादी के ख़िलाफ था, लेकिन बाद में सब रज़ामंद हो गए.
* इरफान शर्मीले स्वभाव के थे. वे सुतापा को पसंद करते थे. तब उनके भोपाल के रंगमंच के मित्र आलोक चटर्जी उनके शादी का प्रस्ताव सुतापा के पास लेकर गए थे. इस पर सुतापा ख़ूब हंसी भी थीं और पूछा भी की इरफान ने ख़ुद क्यों नहीं कहा. तब आलोक ने उनके शर्मीले नेचर के बारे में बताया. बकौल आलोक के इरफान अक्सर उन्हें कहते थे कि वे नहीं होते, तो शायद उनकी शादी सुतापा से नहीं हो पाती.
* इरफान के दो बेटे बाबिल और अयान हैं.
* एक बार अपने इंटरव्यू में इरफान ने कहा था कि अगर ऊपरवाले ने मुझे ज़िंदगी बक्शी, तो मैं अपनी पत्नी के लिए और जीना चाहूंगा, क्योंकि उसने हमेशा मेरा साथ दिया. हर संघर्ष में चाहे वह फिल्म करियर का हो या मेरे बीमारियों से लड़ने का वह हमेशा मेरे साथ रही. मैं उनका शुक्रगुज़ार हूं और ख़ुशनसीब हूं कि मुझे इतनी अच्छी पत्नी मिली.
* इरफान के पिता अक्सर उन्हें ब्राह्मण करके ताना मारते थे, क्योंकि वे पठान परिवार में जन्म लेने के बावजूद मांस यानी नॉन वेज नहीं खाते थे.
* दरअसल इरफान को नॉन वेज खाना पसंद नहीं था. तब उनके पिता अक्सर कहते थे कि ना जाने यह ब्राह्मण कहां पठान के घर में पैदा हो गया.
इरफान ने सलाम बॉम्बे फिल्म से अपने फिल्मी करियर की शुरुआत की थी.
* इस फिल्म में छोटा-सा रोल था, लेकिन वह अपना प्रभाव छोड़ने में कामयाब रहे. उसके बाद कई छोटी-मोटी फिल्में की.
* कई सीरियल भी किए,जिनमें चंद्रकांता, भारत एक खोज, चाणक्य जैसी सीरियल ख़ास रहीं.
* लेकिन उन्हें सही मायने में कामयाबी हासिल फिल्म से मिली.
* इस फिल्म में उन्होंने खलनायक की भूमिका निभाई थी और इसके लिए उन्हें बेस्ट विलेन का अवार्ड भी मिला था.
* अभिनय के लिए 2011 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया था.
* लंचबॉक्स फिल्म के लिए उन्हें कई अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार मिले थे.
* हिन्दी मीडियम, अंग्रेज़ी मीडियम, मदारी, लंचबॉक्स, स्लमडॉग मिलेनियर, द नेमसेक, लाइफ ऑफ पई, मकबूल, पीकू, पान सिंह तोमर, हासिल, स्पाइडर मैन, जुरासिक वर्ल्ड, इन्फर्नो आदि उनकी बेहतरीन फिल्में रहीं.
* हॉलीवुड एक्टर टॉम हैंक्स ने उनकी तारीफ़ करते हुए कहा था कि इरफान की आंखें भी अभिनय करती हैं.
* इरफान नेशनल ही नहीं इंटरनेशनल एक्टर थे. उन्होंने कई हॉलीवुड फिल्में भी की थीं और अपने अभिनय की छाप छोड़ी.
* वहां के निर्माता-निर्देशकों को भी उनका काम काफ़ी पसंद था.
* लाइफ ऑफ पई फिल्म के ताईवान के निर्देशक ने भी उन्हें याद किया. उनका कहना था कि इरफान एक सशक्त अभिनेता थे.
* इरफान खान सरल व सहज कलाकार थे. हर कोई उनसे आसानी से जुड़ जाता था.
* आज की ही बात ले लीजिए. आज उनके चले जाने पर जब मुंबई के वर्सोवा कब्रिस्तान में उन्हें सुपुर्द-ए-ख़ाक किया जा रहा था, तब एक स्पॉटबॉय उनके अंतिम दर्शन के लिए कब्रिस्तान आया. वो इरफान से केवल एक बार ही मिला था. लेकिन एक ही मुलाकात में इरफान ने उस शख्स पर ऐसी गहरी छाप छोड़ी थी कि वो अंतिम बार उन्हें देखने के लिए ख़ुद को रोक ना सका. ऐसे थे सभी के प्रिय अदाकार इरफान.
* लॉक डाउन के कारण बहुत कम के लोग ही शोक यात्रा में शामिल हो पाए. पुलिस ने उनकी पत्नी से रिक्वेस्ट की थी कि सोशल डिस्टेंसिंग का ख़्याल रखा जाए, तो उन्होंने भी पुलिस का साथ दिया और अस्पताल से घर ना जाते हुए सीधे कब्रिस्तान में ही पार्थिव शरीर को लाया गया.
* निर्देशक विशाल भारद्वाज भी कब्रिस्तान में पहुंचे थे अपने मित्र और प्रिय कलाकार इरफान को अंतिम विदाई देने के लिए. गौर करनेवाली बात है कि उनकी फिल्म मकबूल में इरफान ने जानदार अभिनय किया था.
* अभिनेता, नेता, खिलाड़ी, मशहूर शख्सियत... हर किसी ने इरफान ख़ान को याद किया और उनके प्रति अपनी भावनाओं को व्यक्त किया.
* प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीजी से लेकर सुपरस्टार बिग बी अमिताभ बच्चन तक ने अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि दी.
* हर किसी को उनका यूं चले जाना दुखी कर गया. तभी तो आयुष्मान खुराना यह कह गए कि आपके साथ काम करने का मौक़ा नहीं मिल पाया. सोचा था एक आध फिल्म आपके साथ करूंगा. शूटिंग में पेड़ के नीचे चाय पीते हुए आपसे ज़िंदगी का पाठ सीख लूंगा.. पर यह हो न सका.. लेकिन आपने जो भी दिया बहुत दिया.. आप हमेशा याद आएंगे...
* शाहरुख ख़ान को भी अपने दोस्त का यूं अलविदा कहना खल गया. बिल्लू फिल्म में उनकी ख़ास जुगलबंदी दिखने को मिली थी.
* अक्षय कुमार, आमिर ख़ान, अजय देवगन, सलमान ख़ान, प्रियंका चोपड़ा, शाहिद कपूर जिस किसी ने उनके साथ काम किया था, उनको क़रीब से जाना था.. वे सभी ग़मगीन हैं, क्योंकि वे जानते हैं कि उन्होंने एक लाजवाब कलाकार ही नहीं, बल्कि एक बेहतरीन इंसान को भी खो दिया है.
* महाभारत सीरियल के कर्ण यानी पंकज धीर के साथ इरफान ने करियर के शुरुआती दिनों में चंद्रकांता धारावाहिक में काम किया था. पंकजजी के अनुसार इरफान शर्मीले स्वभाव के थे और यही उनके अभिनय में मील का पत्थर साबित हुई.
* मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर का भी यह कहना था कि उनके फेवरेट कलाकारों में से एक थे इरफान खान.
* गायिका लता मंगेशकरजी ने भी इरफान के जाने का दुख प्रकट किया.
* अनुपम खेर इरफान के बारे में कहते हुए एक वीडियो शेयर करते हुए बेहद भावुक हो गए थे. उनकी आंखें भर आई थीं, क्योंकि ड्रामा के दिनों में इरफान उनके जूनियर हुआ करते थे. उनसे जुड़ी कई यादें थीं.
* फिल्म इंडस्ट्री के अधिकतर लोगों ने इस बात को ख़ास कहा कि इरफान की जगह कोई नहीं भर सकता.
* कुमार विश्वास ने बहुत संजीदा होते हुए अपने मित्र को भावभीनी श्रद्धांजलि दी.
रहने को सदा दहर में आता नहीं कोई
तुम जैसे गए ऐसे भी नहीं जाता कोई
इक बार तो ख़ुद मौत भी घबरा गई होगी
यूं मौत को सीने से लगाता नहीं कोई...
सच, लोग तो जाते हैं, पर कोई इस कदर तो नहीं जाता... इरफान का यूं जाना हर किसी को ग़मगीन कर गया. ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें. ॐ शांति!
- ऊषा गुप्ता