- बोलती आंखें और नपे-तुले अंदाज़ में खिलखिलाते लब... चेहरे का एक-एक भाव मानो दिल में उतर जाए... इतनी सशक्त अदाकारा बेमिसाल स्मिता पाटिल (smita patil) को आज हम नम आंखों और मुस्कुराते होंठों से याद कर रहे हैं उनकी पुण्यतिथि पर.
- 13 दिसंबर 1986 को उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया था. आंखें नम इसलिए कि वो बेहद कम उम्र में दुनिया छोड़कर चली गईं और मुस्कुराते लब इसलिए कि वो हमें बेहतरीन यादें देकर गईं.
- 17 अक्टूबर 1955 में जन्मीं स्मिता देश की बेहतरीन एक्ट्रेसेस में से एक रही हैं और उन्होंने 80 से भी अधिक हिंदी-मराठी फिल्मों में अपने अभिनय का जौहर दिखाया है.
- अपने करियर में उन्हें 2 नेशनल अवॉर्ड से सम्मानित किया गया. साथ ही उन्हें पद्म श्री से भी नवाज़ा गया.
- स्मिता ने फिल्म एंड टेलीविज़न इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया, पुणे से ग्रैजुएशन किया और अपने करियर की शुरुआत की श्याम बेनेगल जैसे दिग्गज डायरेक्टर के साथ 1975 में चरणदास चोर मूवी से.
- समानांतर सिनेमा में उन्होंने अपनी ख़ास जगह बनाई थी और मंथन, मंडी, मिर्च मसाला, भूमिका, अर्थ व आक्रोश जैसी फिल्मों से सबके बीच अपनी विशेष पहचान भी बनाई.
- इतना ही नहीं, स्मिता महिलाओं से जुड़े मुद्दों पर भी लगातार अपनी आवाज़ उठाती रहीं व उनके हक़ की लड़ाई में भी काफ़ी सक्रिय भूमिका निभाती रहीं.
- राज बब्बर से शादी के बाद बच्चे के जन्म से संबंधित कुछ मेडिकल कॉम्पिलीकेशन्स के चलते मात्र 31 वर्ष की आयु में वे दुनिया से चली गईं.
मेरी सहेली की ओर से इस महान अदाकरा को नमन!
- गीता शर्मा
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