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रिश्तों में स्पेस कितना ज़रूरी, कितना ग़ैरज़रूरी… स्पेस के नाम पर कहीं छल तो नहीं रहा आपको पार्टनर? (Relationship Goals: How Much Space Is Too Much Space… Know How Much Space In A Relationship Is Normal?)

आजकल हर रिश्ते में एक शब्द ज़रूरत ज़्यादा ही ऐड हो गया है और वो है स्पेस. पैरेंट्स कुछ पूछें तो हम स्पेस का हवाला देते हैं, भाई-बहन एक-दूसरे के सामान को हाथ लगाएं तो हम स्पेस को हथियार बना लेते हैं और अब ये स्पेस नाम का भूत पति-पत्नी के रिश्ते में भी घुस आया है. किसी भी सवाल से बचने के लिए हम कह देते हैं प्लीज़ थोड़ा स्पेस दो. आख़िर रिश्तों में स्पेस कितना ज़रूरी है और कितना नहीं? और कहीं इस स्पेस की आड़ में पार्टनर आपसे छल तो नहीं कर रहे? इन बातों पर गौर करना ज़रूरी है.

  • ये माना कितना भी करीबी रिश्ता हो उसमें एक मर्यादा होनी ही चाहिए लेकिन ये मर्यादा या सीमा तय कौन करेगा?
  • हम अपनी सुविधानुसार इसको बार-बार बदलते रहते हैं.
  • स्पेस ज़रूरी है ताकि रिश्ते में दम न घुटे, लेकिन इतनी ज़्यादा छूट न हो कि रिश्ता ही दम तोड़ दे.
  • दोस्तों से बात करने, मिलने-जुलने और पार्टी करने की छूट सही है.
  • सहेलियों संग मौज-मस्ती, हॉलिडे, मूवी, शॉपिंग पर ज़रूर जाना चाहिए. इसे ज़रूरी स्पेस कहेंगे.
  • अपने परिवार के लिए अपनी मर्ज़ी से कोई निर्णय लेने या कुछ अच्छा करने की छूट ज़रूरी है.
  • अपने पैसों को एक हद तक खर्च करने की भी छूट ठीक है.
  • लेकिन अपने निर्णय हर बार थोप देना ग़लत है, ये सामनेवाले के स्पेस में दख़ल है.
  • आपका पार्टनर आपकी ही मर्ज़ी से और आपकी ही पसंद का खाए, पहने और आपके अनुसार ही दिनचर्या रखे… ये भी स्पेस में दख़ल है.
  • आप जब भी फ़ोन करे उसे उठाना ही होगा चाहे वो काम में ही व्यस्त क्यों न हो और न उठाने पर उससे सौ सवाल व शक करें- ये भी स्पेस में दख़ल है. इनसे आपका रिश्ता कमज़ोर व घुटन भरा होगा. क्योंकि आप अपने पार्टनर को वाक़ई में स्पेस नहीं दे रहे.
  • लेकिन एक-दूसरे से बातें छिपाना स्पेस नहीं, चोरी है.
  • अपने-अपने फ़ोन को सिर्फ़ इसलिए लॉक करना कि कहीं पार्टनर चेक न कर ले, स्पेस नहीं छल है.
  • अपने सोशल मीडिया को छिपाना या उसका पासवर्ड न बताना भी स्पेस नहीं कपट है.
  • आख़िर पति-पत्नी का रिश्ता इतना करीबी होता है कि उसमें छुपाने जैसा कुछ होना ही नहीं चाहिए.
  • ये माना हर पल एक-दूसरे के सिर पर सवार रहना या बस सवाल ही करते रहना ग़लत है, वहां ज़रूर आप अपने स्पेस की मांग कर सकते हैं.
  • अगर पार्टनर बिना वजह शक या जासूसी ही करे तब भी स्पेस की ज़रूरत जायज़ है.
  • लेकिन कई बार इसी स्पेस के नाम पर लोग रिश्तों को छलते हैं. ऐसे में आपको भी सतर्क रहना होगा कि कहीं आपके साथ तो ऐसा नहीं हो रहा?

कहीं स्पेस के नाम पर आपके साथ छलावा तो नहीं हो रहा?

  • अरे तुमने मेरे फ़ोन को हाथ क्यों लगाया, इतनी समझ नहीं कि किसी का फ़ोन ऐसे नहीं देखते… अगर आपका पार्टनर ऐसा कहे तो समझ जाएं कि वो कुछ छिपा रहा है.
  • अगर वो सोशल मीडिया पर काफ़ी वक्त बिताता है और आपसे अपना अकाउंट हाइड करके रखता है तो ज़रूर दाल में कुछ काला है.
  • अपने लैपटॉप का पासवर्ड बदलता रहता है कि कहीं आप ओपन न कर लें तो ये भी ग़लत है.
  • अक्सर ऑफ़िस से देर घर आता है और वीकेंड में भी बहाने बनाकर बाहर जाता है तो ये सही नहीं.
  • आपके द्वारा कुछ भी सवाल करने पर यही कहता है कि पर्सनल स्पेस में दखल मत दो तो वो स्पेस की आड़ में धोखा कर रहा है.
  • क्या पार्टनर ज़रूरत से ज़्यादा घर से बाहर वक्त बिताने लगा?
  • क्या उसका फ़ोन अक्सर नॉट रीचेबल मिलने लगा?
  • क्या आपके साथ वक्त कम बिताने लगा?
  • अपने में ही खोया रहने लगा और अपने लुक्स व फ़िटनेस को लेकर ज़्यादा अलर्ट हो गया?
  • फ़ोन को लॉक रखने लगा और बार-बार पासवर्ड बदलने लगा?
  • आपके सवालों से खीजने लगा और हर सवाल पर बस स्पेस की बात कहने लगा?
  • मुझे मेरा स्पेस चाहिए, तुम्हारे हर सवाल का जवाब नहीं… इतने सवाल मत करो… क्या इस तरह की बातें करने लगा?
  • आपसे कतराने व सवालों से बचने लगा और गोल-मोल उलझे से जवाब देने लगा?
  • ये तमाम बातें इशारा करती हैं कि स्पेस की मांग आख़िर क्यों बढ़ रही है…

क्या करें जब बात स्पेस की हो?

  • आपको पार्टनर को ये बताना होगा कि ये स्पेस में दखल नहीं आपका हक़ है.
  • आपको पूरा हक़ है ये जानने का कि वो सोशल मीडिया पर किसके साथ चैट करते हैं और किस तरह के दोस्त बनाते हैं.
  • क्या आप उनके इस बर्ताव से कम्फ़र्टेबल हो? अगर कहीं कुछ असहज लगे तो आपका सवाल करना बनता है.
  • आपको उनके फ़ोन को छूने का और पासवर्ड जानने का भी पूरा हक़ है.
  • स्पेस का मतलब ये नहीं कि कोई आपस में सवाल-जवाब ही न हों.
  • रिश्ते में जवाबदेही बनती है. स्पेस की आड़ में कोई बच नहीं सकता इससे.
  • बेहतर होगा कि आप दोनों मिलकर अपना स्पेस तय करें जिसमें दोनों सहज हों और कोई छल-कपट न हो.
  • ऐसा न हो कि बस हर बात पर एक की ही मर्ज़ी चले.
  • अपनी पसंद दूसरे पर न थोपें.
  • अगर पार्टनर आपकी किसी आदत से परेशान है, जैसे- ज़रूरत से ज़्यादा शॉपिंग, फ़िज़ूलखर्ची, ज़्यादातर घर से बाहर रहना और वो अगर इसको लेकर आपसे सवाल करे और आपको अपनी आदतों को बदलने को कहे तो ये स्पेस में दख़ल नहीं बल्कि उनका हक़ है.
  • इसी तरह किसी अन्य बुरी आदत या लत पर टोकना-समझाना भी ग़लत नहीं.एक-दूसरे को समझाएं भी, सपोर्ट भी करें, बेहतर करने की दिशा में साथ भी दें, पर एक-दूसरे को अपनी प्रॉपर्टी समझना और उसको अपने अनुसार ही चलाना ग़लत है.
  • एक-दूसरे के प्रति विश्वास बढ़ाएं ताकि स्पेस मांगने की नौबत ही न आए.
  • भरोसा करें और भरोसा जीतें ताकि स्पेस नाम का शब्द आपके रिश्ते के बीच न आए.
  • पिंकी शर्मा

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