आजकल की बदलती लाइफस्टाइल और भागदौड़ भरी ज़िंदगी में कई बार महिलाओं के पीरियड्स मिस हो जाते हैं. यदि आपके पीरियड्स बार-बार मिस हो रहे हैं, तो इस बात को नज़रअंदाज़ करने की बजाय तुरंत गायनकोलॉजिस्ट से मिलें.
पीरियड मिस हो जाए तो महिलाओं के मन में पहला सवाल यही आता है कि कहीं वे प्रेग्नेंट तो नहीं हो गई हैं. ऐसा नहीं है कि केवल प्रेग्नेंसी की वजह से पीरियड्स मिस होते हैं. और भी बहुत से कारण होते हैं, जिनकी वजह से महिलाओं को पीरियड्स देरी से होते है या फिर मिस हो जाते हैं.
तनाव
पीरियड्स मिस होने का एक प्रमुख कारण तनाव है. महिलाओं में यदि पारिवारिक या प्रोफेशनल वजहों से तनाव बहुत अधिक बढ़ जाता है, तो उनके पीरियड्स लेट या मिस हो सकते हैं. बहुत अधिक तनाव का सीधा असर तन और मन पर पड़ता है. ज़्यादा तनाव होने पर दिमाग़ में हाइपोथैलेमस नामक ग्लैंड पर असर पड़ता है, जिससे शारीरिक संरचना में गड़बड़ी हो सकती है. साइकोलॉजी ऑफ वीमेन क्वाटरली जर्नल के मुताबिक- जब महिलाओं को बहुत अधिक तनाव होता है या उनके काम का बोझ बहुत ज़्यादा बढ़ जाता है, तो इसका असर उनके पीरियड्स पर भी पड़ता है. तनाव के कारण शरीर में गोनैडोट्रोपिन रिलीज़िंग हार्मोन के प्रोडक्शन में बाधा आती है. गोनैडोट्रोपिन रिलीज़िंग हार्मोन ओव्यूलेशन और पीरियड के सायकल को नियंत्रित करने का काम करता है.
पीरियड में कैसे मैनेज करें तनाव को?
- पीरियड्स के दौरान बहुत अधिक चिंता या तनाव महसूस होने पर तुरंत गायनाकोलॉजिस्ट की सलाह लें.
- सारी बातें और लक्षण जानने के बाद गायनाकोलॉजिस्ट को सही उपचार करने में मदद मिलेगी.
- पीरियड्स से कुछ दिन पहले और उस दौरान बैलेंस्ड डायट लें.
- बिजी लाइफस्टाइल अपनाने की बजाय स्ट्रेस फ्री और रिलैक्स होकर काम करें.
- अपना फेवरेट म्यूजिक सुनें. पॉजिटिव सोच वाली किताबें पढ़ें.
- पीरियड्स के दौरान स्ट्रेस और मूड स्विंग्स बहुत अधिक होते हैं, इसलिए ख़ुद को शांत रखने का प्रयास करें.
- इन दिनों ज़्यादा काम करने की बजाय अपने लिए मी टाइम निकालें, जैसे- ब्रेक लेकर आराम करें, सो जाएं, वॉक पर जाएं.
हाई इंटेंसिटी वर्कआउट
जब महिलाएं पीरियड्स में हाई इंटेंसिटी एक्सरसाइज़ करती हैं, तो उनके हार्मोन्स असंतुलित होने लगते हैं. किसी का पीरियड्स के दिनों में ब्लड फ्लो बढ़ जाता है, तो किसी का ब्लड फ्लो कम हो जाता है और कुछ महिलाओं के पीरियड्स मिस हो जाते हैं.
जिन महिलाओं को पीरियड्स के दौरान बहुत अधिक ब्लीडिंग होती है या फिर जिन्हें ज़्यादा दर्द होता है, उन्हें भूलकर भी हाई इंटेंसिटी वर्कआउट नहीं करना चाहिए. अगर आप पीरियड्स में हाई इंटेंसिटी वर्कआउट करना चाहती हैं, तो ऐसा करने से पहले हेल्थ एंड फिटनेस केयर एक्सपर्ट्स से सलाह लें.
पीरियड्स के दौरान यदि इंटेंस वर्कआउट कर रही हैं, तो:
- शरीर को हाइड्रेटेड रखें.
- महिलाएं पीरियड के दौरान अपने बॉडी सिग्नल्स को समझें.
- पीरियड्स के दौरान अगर किसी महिला को हाई इंटेंस एक्सरसाइज़ करते हुए दर्द या बेचैनी महसूस हो, तो एक्सरसाइज़ करना बंद कर दें.
- पीरियड्स में हैवी और हाई इंटेंस वर्कआउट करने की बजाय लाइट और स्लो एक्सरसाइज़ करें.
- ऐसी एक्टिविटी न करें, जिनसे चोट लगने का ख़तरा हो, जैसे- कूदना, दौड़ना, वेट लिफ्टिंग आदि.
- बेहतर होगा कि पीरियड्स के दिनों में एक्सरसाइज़ करने की बजाय ख़ुद को 1-2 दिन का आराम दें. ऐसा करने से शरीर को आराम मिलेगा, साथ ही हार्मोंस भी संतुलित रहेंगे.
- बेहतर होगा कि हाई इंटेंस एक्सरसाइज और हैवी वर्कआउट करने से बचें. इनकी जगह योग और मेडिटेशन करने से पीरियड के दर्द से राहत मिलेगी. ब्लड फ्लो भी सामान्य रहेगा.
- जो महिलाएं रनिंग करती हैं, वे पीरियड्स के दौरान वॉक करें.
पोलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम
महिलाओं में पॉलीसिस्टिक ओवरियन सिंड्रोम (पीसीओएस) की समस्या होना बहुत आम बात है. जिन महिलाओं को पीसीओएस की समस्या होती है, वे ओव्यूलेट नहीं कर पाती हैं. उनमें एंड्रोजन का स्तर बहुत अधिक होता है, जिसकी वजह से ओवरी में छोटे-छोटे सिस्ट बनने लगते हैं. पीसीओएस के लक्षण हैं- इरेगुलर पीरियड्स, पीरियड्स लेट या मिस होना, इनफर्टिलिटी, पिंपल्स, वज़न बढ़ना, हाई ब्लड प्रेशर, स्किन और बालों से जुड़ी समस्याएं.
इस स्थिति में पीरियड मिस होने पर ये करें:
- लो कार्बोहाइड्रेट डायट लें.
- वज़न कम करें.
- रोज़ाना कम-से-कम 30 मिनट तक एक्सरसाइज़ करें.
- डॉक्टर से मिलकर पीसीओएस का सही इलाज कराएं. डॉक्टर हार्मोन को संतुलित करने के लिए दवाएं देंगे, जिसकी वजह से पीरियड्स नियमित हो जाते हैं.
बदलती लाइफस्टाइल
हमारी लाइफस्टाइल में बहुत बदलाव आने के अनेक कारण हैं. जैसे- आज की दौड़ती-भागती ज़िंदगी में काम का बढ़ता बोझ, बढ़ता तनाव, एक्सरसाइज़ न करना, बैलेंस्ड डायट न लेना, अनियमित दिनचर्या आदि, जिनका सीधा असर पड़ता है महिलाओं के पीरियड्स पर. इन कारणों से महिलाओं के पीरियड्स मिस या देरी से हो सकते हैं.
लाइफस्टाइल बदलाव के कारण जब पीरियड मिस हो तो:
- रोज़मर्रा की दिनचर्या का समय तय करें.
- बैलेंस्ड डायट लें. डायट में हरी सब्ज़ियां, मौसमी फल, दालें और डेयरी प्रोडक्ट्स शामिल करें.
- कम-से कम 8-10 ग्लास पानी ज़रूर पीएं.
- रोज़ाना 30 मिनट एक्सरसाइज़ और 15 मिनट मेडिटेशन ज़रूर करें.
- शराब, सिगरेट और अन्य नशीली चीज़ों से दूर रहें.
- स्ट्रेस फ्री रहने की कोशिश करें.
- यदि पीरियड मिस हुए ज़्यादा दिन हो गया है, तो गायनोकोलॉजिस्ट से मिलें.
बर्थ कंट्रोल पिल्स
अनवॉन्टेड प्रेग्नेंसी से बचने के लिए महिलाएं बर्थ कंट्रोल पिल्स लेती हैं. कई बार इन बर्थ कंट्रोल पिल्स के कारण महिलाओं के पीरियड्स मिस हो जाते हैं या उनमें ब्लड का फ्लो बहुत कम हो जाता है. हालांकि कुछ डॉक्टर पीरियड्स को नियमित करने के लिए कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स देते हैं. इनसे हार्मोन लेवल को नियंत्रित किया जा सकता है.
बर्थ कंट्रोल पिल्स ले रही हैं तो:
- गायनोकोलॉजिस्ट के प्रीस्क्रिपशन के अनुसार ही कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स लें.
अन्य बीमारियां
यदि कोई महिला बहुत लंबे समय तक बीमार रहती है और इलाज के तहत एंटीडिप्रेसेंट, एंटीसाइकोटिक्स, थायरॉयड और कीमोथेरेपी की दवाएं लेती है, तो इन दवाओं का असर पीरियड्स पर भी पड़ता है और पीरियड्स कुछ दिनों के लिए लेट या मिस हो सकते हैं.
किसी बीमारी की वजह से मिस हो पीरियड्स तो:
- उपरोक्त बताई गई दवाएं अपने डॉक्टर से पूछकर खाएं और कोर्स होने के बार दवाएं बंद कर दें.
वज़न का घटना-बढ़ना एंडोक्रिनोलॉजी एंड मेटाबॉलिज्म जर्नल में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार- कई बार घटते-बढ़ते वज़न का महिलाओं के पीरियड्स पर भी असर पड़ता है. वज़न के घटने या बढ़ने से हार्मोंस में बदलाव आता है और पीरियड्स सायकल प्रभावित होता है.
वज़न ऊपर-नीचे होने पर जब पीरियड मिस हो तो:
- डायटिशन से मिलकर और उसके बताए डायट चार्ट के अनुसार बैलेंस्ड डायट फॉलो करें.
- मौसमी फल और सब्ज़ियों का सेवन करें.
मेनोपॉज
महिलाओं में मेनोपॉज एक ऐसी स्थिति है, जब उनके पीरियड्स बंद हो रहे होते हैं. इस दौरान ब्लड फ्लो कम-ज़्यादा या बार-बार हो सकता है. लेकिन मुख्य प्रॉब्लम प्रीमेनोपॉज फेज के समय आती है. जब उन्हें पीरियड्स नहीं आते हैं और महिलाओं को लगता है कि वे प्रेग्नेंट हो गई हैं. इस वजह वे तनावग्रस्त भी हो जाती हैं.
मेनोपॉज की स्थिति में पीरियड मिस होने पर:
- पीरियड मिस होने पर महिलाएं घबराएं या परेशान न हों.
- डॉक्टर से मिलकर समस्या का समाधान निकालें.
- पूनम कोठारी