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समय से पूर्व जन्मे बच्चे जल्द सीखते हैं भाषा (Pre-Mature Babies Are Quick Language Learners)

Pre-Mature Babies भारत में एक साल में पैदा होने वाले कुल शिशुओं में से 13 फ़ीसदी शिशु समय से पहले यानी प्रीमैच्योर जन्म लेते हैं. बच्चे का जन्म 37 हफ़्ते की प्रेग्नेंसी से पहले होने पर उसे समय से पहले जन्म यानी प्रीमैच्योर बर्थ कहा जाता है. अब एक शोध में पता चला है कि प्रीमैच्योर्ड डिलीवरी में जन्म लेनेवाले बच्चे कुशाग्र बुद्धि के होते हैं. आइए जानते हैं इस लेख में कि कैसे प्रीमैच्योर्ड बच्चों का दिमाग़ इतना तेज़ चलता है. अगर आपके यहां कोई बच्चा समय से पूर्व यानी प्रीमैच्योर्ड पैदा हो जाता है तो टेंशन बिल्कुल मत लीजिए. उसका अच्छी तरह पालन-पोषण कीजिए, क्योंकि आपके घर में कोई ऐरा-गैरा नहीं, बल्कि कुशाग्र बुद्धि का बच्चा पैदा हुआ है. एक रिसर्च में पाया गया है कि समय से पूर्व पैदा होने वाले बच्चे ज़्यादा प्रतिभाशाली होते हैं. कुशाग्र बुद्धिवाले इन बच्चों की सीखने की क्षमता ग़जब की होती है. प्रीमैच्योर बच्चे तेज़ दरअसल, डिलीवरी डेट से पहले जन्म लेने वाले बच्चों ने भाषा और अनुभूति को लेकर जल्दी संबंध विकसित किया. रिसर्च में यह भी खुलासा हुआ कि इस तरह के बच्चों में भाषा की मज़बूत पकड़ विकसित होती है. गौरतलब है, भारत में समय से पहले जन्मे शिशुओं की दर लगातार बढ़ रही है. भारत सरकार की जनसंख्या विभाग की अधिकृत वेबसाइट पर पोस्ट डेटा के मुताबिक़, किसी भी अन्य देश की तुलना में भारत में सबसे ज़्यादा बच्चे समय से पहले जन्मे होते हैं. विश्वभर में होने वाले कुल समय से पूर्व जन्मे 23.6 फ़ीसदी यानी क़रीब-क़रीब एक चौथाई हिस्सा भारत का है. पेट में बच्चे तंदुरुस्त सामान्यत: माना जाता है कि प्रेग्नेंसी की अवधि के बाद बच्चा जितने दिन पेट में रहता है, बच्चे के स्वस्थ होने की उम्मीद उतनी ही ज़्यादा होती है, क्योंकि अगर मां स्वस्थ है तो गर्भ में बच्चे को सबसे अधिक पौष्टिक भोजन मिलता है. इससे बच्चे के अंग और ज़्यादा परिपक्व होते हैं, उसके फेफड़े अच्छी तरह से सांस लेने की अवस्था में आ जाते हैं और उसमें स्तनपान करने की ज़्यादा शक्ति हो जाती है. गहन देखभाल की ज़रूरत वैसे बेहतर मेडिकेयर के चलते समय से काफ़ी पहले जन्मे बच्चों की गहन देखभाल के तरी़के में पिछले कुछ दशकों में काफ़ी अच्छा सुधार हुआ है. ऐसे बच्चों के जीवित रहने की दर पहले की तुलना में काफ़ी ज़्यादा बढ़ गई है. हालांकि कई बार समय से ज़्यादा पहले जन्मे बच्चों में सेरेब्रल पाल्सी और सीखने में मुश्किल जैसे लंबी अवधि की विकृतियां आ सकती हैं. धूम्रपान या शराब ख़तरनाक इसलिए जो महिलाएं धूम्रपान करती हैं या फिर शौकिया तौर पर ड्रग्स का सेवन करती हैं, उन्हें इन आदतों को छोड़ने से समय से पहले डिलीवरी का ख़तरा वाक़ई कम हो सकता है. कम से कम अगली बार बच्चे के जल्दी आने की संभावना को देखते हुए वे पहले से तैयारी कर सकेंगी. साथ ही अपनी कम्युनिटी में बहुत से अन्य माता-पिता से पर्याप्त सहयोग पा सकती हैं. बहरहाल, समय से पूर्व प्रसव से जन्मे बच्चे भाषा और संज्ञानात्मक कौशल को सीखने में पूर्णकालिक प्रसव के ज़रिए पैदा हुए बच्चों की तुलना में ज़्यादा बेहतर होते हैं. अमेरिका के इलिनोइस के नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी के सांद्रा वाक्समान ने कहा कि इस अध्ययन से ऐसे शिशुओं के जल्द अनुभव करने की भूमिका को समझने और भाषा के संपर्क व परिपक्व स्थिति को जानने में मदद मिलती है. शोधकर्ताओं की टीम ने स्वस्थ एवं समय से पूर्व पैदा हुए और पूर्णकालिक शिशुओं की एक ही उम्र वाले बच्चों की तुलना की. इसमें भाषा और वस्तु वर्गीकरण के बीच उनके संबंध के विकास का अध्ययन किया गया. इस शोध का प्रकाशन ऑनलाइन पत्रिका डेवेलपमेंटल साइंस में हुआ है. यह भी पढ़े: घरेलू कामों से बच्चे बनते हैं कॉन्फिडेंट समय से पहले जन्म होने के क्या कारण हैं? बच्चे प्रीमैच्योर्ड क्यों पैदा होते हैं, इस बात पर अभी तक कोई स्पष्ट राय नहीं है. हालांकि डॉक्टरों का मानना है कि महिलाओं की सेहत की गर्भावस्था पर ज़्यादा असर पड़ता है. अमूमन अगर कोई अनहोनी न हो तो स्वस्थ महिलाओं में गर्भावस्था पूरे नौ महीने चलने की संभावना ज़्यादा रहती है, जबकि बीमार और शारीरिक रूप से कमज़ोर महिलाओं की डिलीवरी प्रीमैच्योर होने की संभावना ज़्यादा रहती है. हालांकि यह बात तो डॉक्टर भी पूरे विश्‍वास के साथ नहीं बता सकते कि कौन से बच्चे समय से जन्म लेंगे और कौन बच्चे समय से पहले जन्म लेंगे. कहा जाता है कि ऐसे बहुत से चिकित्सकीय एवं सामाजिक कारण हैं, जिनकी वजह से समय से पहले प्रसव और जन्म की संभावना अधिक बढ़ जाती है.

प्रीमैच्योर डिलीवरी के बच्चे

35 हफ़्ते में जन्मे बच्चे 35 हफ़्ते में पैदा होनेवाले बच्चों को किसी तरह की अपंगता, विकृति या बीमारी होने की आशंका बहुत ही कम रहती है. हालांकि यह संभव होता है कि क़द में बच्चा थोड़ा छोटा हो सकता है या उसे कभी-कभी सांस लेने में थोड़ी मुश्किल भी हो सकती है. इस तरह के बच्चों की ट्रीटमेंट तो नहीं, हां, देखभाल की ज़्यादा ज़रूरत पड़ती है. हालांकि इस तरह के केसेज़ बहुत कम देखने को मिलते हैं. 28 से 34 हफ़्ते के बीच जन्मे बच्चे 34 हफ़्ते से भी कम समय तक गर्भ में रहे बच्चों को पूरी तरह विकसित होने का समय नहीं मिल पाता. इसके चलते उनके आंतरिक अंगों को पूरी तरह परिपक्व होना शेष होता है. ऐसे बच्चे बहुत ज़्यादा कमज़ोर होते हैं. उन्हें स्तनपान करने और सांस लेने में मुश्किल हो सकती है. ऐसे शिशुओं की देखभाल के लिए नवजात गहन चिकित्सा इकाई की ज़रूरत पड़ती है, जहां उनकी बेहतर देखभाल की जाती है. वैसे डॉक्टर मानते हैं कि अच्छी चिकित्सकीय सुविधाएं मिलने पर 28 हफ़्ते की प्रेग्नेंसी में जन्म लेने वाले बच्चों के जीवित रहने की बहुत ज़्यादा संभावना रहती है. 28 हफ़्ते से पहले जन्मे बच्चे दुर्भाग्यवश, 28 हफ़्ते की प्रेग्नेंसी से पहले पैदा हुए बच्चों का जीवित रहना बहुत ज़्यादा मुश्किल होता है. जो बच्चे किसी तरह मेडिकेयर की बदौलत जीवित रहने में सफल हो भी जाते हैं, उनमें भी मामूली से लेकर काफ़ी गंभीर क़िस्म की अपंगता हो सकती है या कोई बीमारी भी हो सकती है. यह भी पढ़े: मदर्स गाइड- बच्चों के आम रोगों में उपयोगी घरेलू नुस्ख़े  प्रीमैच्योर्ड डिलीवरी कब होती है? कई चिकित्सकीय कारण हैं, जिनके चलते बच्चे के समय से पहले ही पैदा होने की आशंका बढ़ जाती है: वेजाइना में वायरस इंफेक्शन, गर्भ में जुड़वा या इससे ज़्यादा बच्चे होना, प्रेग्नेंसी के दौरान अत्याधिक ब्लीडिंग, प्रेग्नेंसी की विकृति या असामान्यता, ग्रीवा की कमज़ोरी, गर्भपात करवाने के बाद, घरेलू हिंसा का शिकार होना, धूम्रपान व ड्रग्स का सेवन, लंबे समय तक कठोर शारीरिक श्रम.

- योजना महीप

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