बॉलीवुड इंडस्ट्री में ऐसे अनेकों हीरे हैं, जिन्हें अपनी किस्मत चमकाने के लिए जिंदगी में खुद को बहुत घिसना पड़ा. उन्हीं में से एक हैं मशहूर एक्टर राजपाल यादव. अपने शानदार और दमदार एक्टिंग से लोगों के दिलों पर राज करने वाले राजपाल यादव ने 90 के दशक में फिल्मों में एंट्री की और आते ही छा गए. लेकिन सफलता हासिल करने से पहले उन्होंने अपनी जिंदगी में कई उतार-चढ़ाव देखे हैं. आज हम आपको उनके संघर्ष के दिनों से जुड़ी कुछ ऐसी बातें बताएंगे, जिससे कोई भी इंस्पायर हो सकता है.
उत्तरप्रदेश के शाहजहांपुर से निकले राजपाल यादव के पिता एक गरीब किसान हुआ करते थे. बचपन में परिवार की माली हालत कुछ ठीक नहीं थी, उन्होंने अपनी ज़िंदगी में काफी मुश्किल भरे वक्त देखे हैं. एक इंटरव्यू के दौरान राजपाल यादव ने बताया था कि, जब वो छोटे थे तो उनके गांव में एक भी पक्का घर नहीं था. उनका घर भी कच्चा ही था. गांव में वो बचपन में अपने दोस्तों के साथ गड्ढों में भरे पानी में खेलते थे. उनके पिता किसान थे. बड़ी मुश्किल से खेती के सहारे घर चलता था. लेकिन उनके पिता ने कभी भी उन्हें किसी चीज की कमी महसूस नहीं होने दी. उन्हें गांव से दूर अच्छे स्कूल में पढ़ाया.
जब राजपाल यादव के स्कूल की पढ़ाई खत्म हो गई तो परिवार की हालत देख उन्होंने कुछ कमाने के बारे में सोचा और ऑर्डनेंस क्लॉथ फैक्ट्री में टेलरिंग से अप्रेंटिस का कोर्स कर लिया और फिर कुछ दिनों तक इसका काम भी किया. लेकिन शुरुआत से ही फिल्मों में एक्टिंग करने की ख्वाहिश थी, जिसकी वजह से वो एक्टिंग के गुर सीखने दिल्ली आ गए और नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा के थियेटर में एक्टिंग सीखने लगे.
दिल्ली के थियेटर में कुछ दिन काम करने के बाद वो मुंबई आ गए और फिर काम ढूंढने की शुरुआत हुई. एक वक्त ऐसा भी था जब उनके पास एक जगह से दूसरे जगह पर जाने के लिए किराए के पैसे नहीं होते थे, जिसकी वजह से जूहू, लोखंडवाला, आदर्श नगर और यहां तक कि बांद्रा तक उन्हें पैदल ही चलना पड़ता था, लेकिन वो कभी थके नहीं और ना कभी रुके. वो हमेशा अपने साथ में फोटो लेकर चलते थे और फोटे दिखाकर काम मांगते थे.
राजपाल यादव ने दूरदर्शन से अपने एक्टिंग करियर की शुरुआत की थी. कई टीवी शोज में उन्होंने छोटे-मोटे रोल किए. इसके बाद उन्होंने फिल्मों में काम की तलाश शुरु कर दी. उन्होंने इंटरव्यू में बताया था कि, "मैं 1997 में मुंबई आया था और उस वक्त हर डायरेक्टर और प्रोडक्शन हाउस के चक्कर लगाता था. रामगोपाल वर्मा, महेश भट्ट, श्माम बेनेगल, गोविंद निहलानी से लेकर प्रकाश झा तक सबके पास जाता था. राम गोपाल वर्मा के ऑफिस में तो रोज ही जाता था. उनके ऑफिस के बाहर रहने वाला वॉचमैन तक मुझे पहचानने लगा था."
राजपाल यादव ने बताया था कि वो ये वाकया कभी नहीं भूल सकते जब रामगोपाल वर्मा ने उन्हें पहली बार किसी फिल्म में ब्रेक दिया था. उस फिल्म में मनोज वाजपेयी के साथ रामगोपाल वर्मा काम कर रहे थे. जब राजपाल यादव नवाजुद्दीन सिद्धिकी के साथ फिल्म के सेट पर पहुंचे तो रामगोपाल वर्मा ने उन्हें कुली का रोल दिया था. फिल्म में राजपाल यादव का डायलॉग सिर्फ 3 लाइन का था. जब राजपाल यादव की बारी आई तो उन्होंने उस 3 लाइन के डालॉग को इतने शानदार तरीके से बोला कि वहां मौजूद हर कोई ताली बजाने लगा। ऐसे में रामगोपाल वर्मा ने उस लाइन के डायलॉग को 13 लाइन लंबा कर दिया था.
राजपाल यादव हमेशा कहते हैं कि उनके करियर में रामगोपाल वर्मा का काफी बड़ा रोल रहा है। उन्होंने राजपाल यादव के साथ करीब 17 फिल्में बनाई. यहां तक कि राजपाल यादव को लीड एक्टर के तौर पर लेकर रामगोपाल वर्मा ने फिल्म 'मैं माधुरी दीक्षित बनना चाहती हूं' भी बनाई। राजपाल यादव ने कभी भी अपने करियर में पीछे मुड़कर नहीं देखा। उन्होंने लगातार एक से बढकर एक फिल्मों में काम किया और टैलेंट के दम पर लोगों के दिलों पर राज किया.