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पापा के ऑपरेशन के बाद घर का माहौल कैसा है? इन तीन सालों में हमने जितना झेला है, वैसा कोई दुश्मन भी न झेले. हां, इस बीच हमारी बॉन्डिंग इतनी बढ़ गई है कि अब हम हर काम साथ मिलकर करते हैं. मैं ऑफिस से सीधे घर आ जाती हूं ताकि अपने पैरेंट्स के साथ समय बिता सकूं. छुट्टी के दिन भी मैं अपने परिवार के साथ ही रहती हूं. लिवर डोनेट करने से क्या आपकी हेल्थ पर कोई असर होगा? नहीं, लिवर बहुत जल्दी अपने शेप में फिर से आ जाता है. हां, कुछ रिश्तेदारों ने ये ज़रूर कहा कि अब इसकी शादी कैसे होगी, तो मेरा जवाब ये था कि जिस लड़के को इतनी समझ न हो कि अपने पैरेंट्स के लिए बच्चों को क्या करना चाहिए, उसे मेरा जीवनसाथी बनने का कोई हक़ नहीं है. अपने परिवार के बारे में बताइए, कैसे माहौल में हुई है आपकी परवरिश? हम सिकर, राजस्थान के रहनेवाले हैं. डैड ने रोजी-रोटी की तलाश में बहुत पहले ही गांव छोड़ दिया था, लेकिन हमारे काका, मौसी सब गांव में रहते हैं. हम ख़ुशनसीब हैं कि हमारे पैरेंट्स ने हमारी परवरिश बहुत अच्छे माहौल में की है. हम पांच भाई-बहन हैं, चार बहनें और एक भाई. भाई सबसे छोटा है, आप कह सकती हैं कि सोशल प्रेशर में मेरे पैरेंट्स को चार बेटियों तक बेटे का इंतज़ार करना पड़ा, लेकिन उन्होंने हम बहनों की परवरिश में कभी कोई भेदभाव नहीं किया. परिवार, रिश्तेदार कहते थे कि बेटियों पर इतना ख़र्च क्यों करते हो, इन्हें तो एक दिन पराए घर जाना है, लेकिन मेरे माता-पिता ने कभी हमारे लिए ऐसा नहीं सोचा. उन्होंने हमें बेटा-बेटी की तरह नहीं, औलाद की तरह पाला और हमें सारी सुविधाएं दी. रिश्तेदारों का तो ये हाल है कि डैड की बिमारी में मदद करने की बजाय उन्होंने गांव में ये अफवाह फैला दी थी कि अब डैड की बचने की कोई गुंजाइश नहीं है. लेकिन मेरी मां बहुत स्ट्रॉन्ग हैं, मां ने कभी हार नहीं मानी. उन्हें पूरा विश्वास था कि डैड ठीक हो जाएंगे.यह भी देखें: Viral Pics: बच्चन परिवार रॉयल अंदाज़ में, अमिताभ ने शेयर की वेडिंग अल्बम
क्या राजस्थान में आज भी बाल विवाह होते हैं? हां, राजस्थान में आज भी चोरी-छिपे बाल विवाह होते हैं. लोग बेटियों को जल्दी से जल्दी विदा कर देना चाहते हैं. उनके भविष्य के बारे में ज़रा भी नहीं सोचते. जब हम छुट्टियों में गांव जाते थे, तो लोगों की मानसिकता देखकर दंग रह जाते थे. तब मैं कोई 10 साल की रही होगी, हमारी एक रिश्तेदार मां से कहने लगीं, "लड़की अब बड़ी हो गई है, इसका रिश्ता पक्का कर दो", जबकि हम बहनों में मैं तीसरे नंबर की हूं. उनकी बात सुनकर मां ने साफ़ मना कर दिया और कहा, "मैं इतनी जल्दी अपनी बेटियों की शादी नहीं कर सकती." क्या आपके परिवार पर समाज का प्रेशर नहीं है? पहले मेरे माता-पिता परिवार या समाज के सामने खुलकर अपनी बात नहीं रख पाते थे, लेकिन अब जब उन्होंने देखा कि मुसीबत के समय कोई काम नहीं आता, हमें अपनी तकलीफ़ ख़ुद ही झलेनी होती है, तो वे अब इस बात को लेकर और स्ट्रॉन्ग हो गए हैं कि बेटियों को आत्मनिर्भर बनाना है, ताकि उन्हें कभी किसी का मुंह न देखना पड़े. - कमला बडोनी [amazon_link asins='B00YE6II46,B01EAM2N9Y,B01N4O8AWS' template='ProductCarousel' store='pbc02-21' marketplace='IN' link_id='120c07e8-c934-11e7-9914-5332780ec246']
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