रसिक श्याम
लेकर अधरों पर मुस्कान
छेड़ वंशिका की तान
पुकार रहे राधा नाम
राधा
मन ही मन रिझाये
रसिक मन को समझाये
श्याम तेरे बिन
ये मन कहीं चैन न पाये..
रसिक प्रेम की
रसिक प्रेमिका ने
रसिक प्रेम को
बंधनों में नहीं बांधा..
प्रेम तो एक अनुभूति है
जिसमें दो अलग कहां
चाहे कृष्ण कहो
चाहे कहो राधा..
प्रेम तो दो आत्माओं का
मिलन है
आत्ममिलन में
देह कहां बनी बाधा…
- रश्मि वैभव गर्ग
यह भी पढ़े: Shayeri
Photo Courtesy: Freepik
Link Copied