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ग़ज़ल- प्यासे दिल की धरती पर… (Poetry- Pyase Dil Ki Dharti Par…)


ख़्वाबों में आ कर क्या होगा
इक रोज़ हक़ीक़त बन जाओ

यूं दिल में रह कर क्या होगा
इक रोज़ सामने आ जाओ

पर्दे में छुप कर क्या होगा
इक रोज़ झलक दिखला जाओ

आंसू पीना कोई हल ही नहीं
एक रोज़ कहर बरपा जाओ

तुम छुपी हो मेरी धड़कन में
यह बात हमें बतला जाओ

अब क्या बोलू वो बात नहीं
कुछ अपनी बात सुना जाओ

मेरे प्यासे दिल की धरती पर
कुछ प्यार की बूंद गिरा जाओ…

- मुरली मनोहर श्रीवास्तव

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