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कविता- नया साल और यादें… (Poetry- Naya Saal Aur Yaadein…).

काश मैं दे पाता
तुम्हें वो उपहार
जो अनेक बार देने के लिए सोचता रहा
और न दे सका
संकोच के कारण
कि तुम्हारे पास सब कुछ है
इतना ही नहीं
कुछ भी ख़रीद सकने की ताक़त है तुम्हारे भीतर
कहीं तुम
अस्वीकार न कर दो ये छोटे छोटे उपहार
कि कहीं
यह उपहार
बहुत छोटे तो नहीं हो जाएंगे तुम्हारे क़द से
कि कहीं तुम
मुझे ग़लत तो न समझ लोगी
कहीं मेरी भावना
तुम्हें आहत तो न कर देगी
ये कैसा आदमी है
कितना ग़लत कर रहा है?
कई बार महंगे उपहार भी सोचे
लेकिन वे और भी ग़लत हो उठते
गर सोच लेती तुम
कि ऐसे उपहार दे
यह किसी अपने के साथ
छल कर रहा है
जब यह अपने को छल सकता है
तो मुझे भी तो इस उपहार से छल लेगा
काश मैंने दिए होते
वह छोटे छोटे उपहार कम से कम तुम्हारे जन्मदिन पर
भले ही वे बहुत छोटे थे
जैसे गुलाब के फूल
गणेश जी की एक नन्ही सी प्रतिमा
जो तुम हर वक़्त अपने पर्स में रख पाती
काश!
मैंने हिम्मत की होती
और दे देता एक गुलाबी सूट तुम्हें
भले ही वह सूती कुर्ता मात्र पांच सौ का होता
जो सस्ता हो कर भी
तुम्हारे बदन को
गुलाबी कर देता
दे देता एक रूमाल या कोई परफ़्यूम
तो कम से कम
आज तुम्हें याद तो आता
ठीक वैसे ही
जैसे मैं तुम्हें याद करता हूं
तुम्हारी बर्थडे पर
एक छोटी सी चॉकलेट
जिस का विज्ञापन कहता है
ए गिफ्ट टू समवन
हू यू लव तक
तुम्हें न दे पाने के
अफ़सोस के साथ
काश!
मेरी ज़िंदगी में
लौट आते वो दिन
एक बार फिर
जिसमें मैं
संकोच छोड़ कर
दे पता तुम्हें कुछ छोटे से उपहार
जो मेरे दिल में बसे हैं
चलो और कुछ नहीं तो
चॉकलेट खाते हुए
या फिर हाथ में गुलाब के फूलों का गुलदस्ता ले
कि कभी मेरी पसंद के गुलाबी सूट में
चलो और कुछ नहीं तो
गणेशजी के मंदिर के सामने
एक फोटो पोस्ट कर देना
सोशल मीडिया पर
या भेज देना मुझे
व्हाट्सएप पर कोई ऐसी ही सेल्फी
मुझे अपने भीतर महसूस कर
कि जिससे मुझे लगे
नए साल में भी
तुम मुझे भूले नहीं हो!..

- शिखर प्रयाग


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Photo Courtesy: Freepik

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