हे गिरिधारी, कृष्ण कन्हैया
नटवर नागर बंसी बजैय्या
मनमोहक है छवि तुम्हारी
हे मुरलीधर धेनु चरैय्या।
हे गोपाला, नंद के लाला
तुम्हरे सँग खेलत हैं ग्वाला
कुंज गलिन या यमुना तीरे
साथ चले बृज की हर बाला।
निरखि-निरखि प्रभु छवि तिहारी
माँ जसुमति जाएँ बलिहारी
माखन मिसरी भोग लगावें
सृष्टि के सगरे नर नारी।
फोड़त मटकी माखन खाएँ
ग्वाल बाल सँग खूब छकाएँ
खीझ खीझ कर सबै ग्वालिने
तुम पर मन मन रीझी जाएँ
तन पीताम्बर मुकुट सिर सोहे
मनमोहन जन-जन मन मोहे
रूप पियारा अद्भुत न्यारा
वंदन करूँ कोटि प्रभु तोहे
हे ज्ञानेश्वर, हे मधुसूदन
शीश झुका नित करूँ मैं वंदन
पा जाऊँ आशीष तुम्हारा
जीवन तब महके बन चंदन
- मीनू त्रिपाठी
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