सुनो,
तुम आज मना लेना ये दिवस..
कोई टोके अगर कि बस एक ही दिन?
तो कह देना, हां एक और दिन..
कोई पूछे अगर कि आज ऐसा क्या ख़ास है,
तो कह देना आज मेरा मन मेरे आस-पास है..
आज के थोड़े गैरज़रूरी काम,
कल पर छोड़ देना..
मन को परेशान करने वाली हलचलों को,
शांति के रास्ते पर मोड़ देना..
कोई बधाई न दे अगर,
तो भुनभुनाते हुए बालों का जूड़ा बनाकर
'किसी को कुछ पड़ी ही नहीं', कहकर दिन ख़राब मत करना..
बाल खुले छोड़कर, मनपसंद कपड़े पहनकर,
थोड़ा सा सज लेना और अपनी ही नज़र उतार लेना..
सुनो,
आज महिला-दिवस है,
थोड़ा सा ही सही, इतरा ज़रूर लेना…
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